होली
रंग एक ना था जीवन के।
होली ने रंगे सबके तन मन चोल के।।
कितना उत्सव और उल्लास भरा।
थिरकते पाँव गीत मीठे बोल के ।।
बौराई आम मदहोश का संदेश देते।
मानवता में मीठे रस घोल के।।
ऐसा प्रेम घटा है अन्तश में ।
जग तौल न पाया कितने मोल के ।।
मीरा का रंग न छुड़ा सका राणा।
ज्यो कृष्ण का रंग चढ़ा सिर बोल के ।।
जहाँ जहाँ पड़ी है गाठे खोल के।
निकाल देती है मवाद टटोल के।।
होलिका जल गई प्रहलाद बच गया।
राक्षस का अन्त मन भूगोल के ।।
Save tree🌲 save earth🌍 &save life♥️