ओ देश के नौजवान
जागो जागो तुम कहाँ हो,
किससे तुम्हे लड़ना है,
और किसलिए लड़ना है,
कौन सी सीमा अपनी,
कौन सी सीमा दुश्मन की,
जागो देश के पहलवान।
ओ देश के नौजवान।
माना दो नगर के बीच,
खीची गई रेखा केवल काल्पनिक है,
दो देशो के बीच रेखा,
अंतर करती रहन सहन वेशभूषा है,
पर पूरी दुनिया मानवता की,
देखो कुदरत है समान मेहरबान।
ओ देश के नौजवान ।
तैनात तो रहना है,
पर युद्ध घृणा आक्रोश कैसा,
तेरा मेरा का बटवारा कैसा,
अनंत आकाश पर एक ग्रह,
जिस पर खिले रंग बिरंगे फूल,
तो क्यो पाकिस्तान-हिन्दूस्तान।
ओ देश के नौजवान ।
शहीद हो रहे आज भी,
बनता जा रहा इतिहास,
कब्र पर कब्र,
अब तो समझो जानो,
नही कोई लकीर न वजीर,
लड़ना और लड़ाना,
देश के गद्दारो है काम।
ओ देश के नौजवान।
save tree🌲save earth🌍&save life❤