मैं बरा उत्खाटु बच्चा, मैं बरा उत्खाटु
उछल-कुद में माहिर बच्चा, मैं बरा उत्खाटु
शरारत में आगे रहता,
वो करता मैं जो मन कहता,
हरपल-हरदम चार्ज मैं रहता
जहाँ मैं जाऊँ सब ये कहता, मैं बरा उत्खाटु !!!
मैं बरा उत्खाटु बच्चा, मैं बरा उत्खाटु
गुड्डे-गुरिया नहीं मेरा चॉइस
खेल-कुद नहीं मेरा ख़्वाइश
मोबाइल गेम अब मेरा डिवाइस
गेम खेलूँ तो सब ये कहता, मैं बरा उत्खाटु !!!
मैं बरा उत्खाटु बच्चा, मैं बरा उत्खाटु
बहन से लड़ता और झगड़ता
सॉरी बुलवा के ही उसे छोड़ता
मम्मी की डाँट पे मैं रोता
पापा से शिकायत मेरी होता,मैं बरा उत्खाटु !!!
मैं बरा उत्खाटु बच्चा, मैं बरा उत्खाटु
अंग्रेजी में मुझे मज़ा नहीं आता
गणित का गिनती मुझे जरा भाता
लैपटाप मे पढ़ मैं बोर हो जाता
देख़ता इधर-उधर मम्मी कहती, मैं बरा उत्खाटु !!!
मैं बरा उत्खाटु बच्चा, मैं बरा उत्खाटु
✍️ स्वरचित : गौरव कर्ण (गुरुग्राम, हरियाणा)