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मैं कैसे बदल जाऊँ

8 नवम्बर 2021

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मैं कैसे बदल जाऊँ, अब मैं कैसे बदल जाऊँ
भगवान ने बनाया मुझको ऐसा, मैं कैसे बदल जाऊँ

‘ना’ बोलने से दिल दुखता, तो कैसे ‘ना’ बोलूँ
उम्मीद से माँगे मुझसे कोई, तो कैसे ‘ना’ बोलूँ
ग़र काम किसी के आ सकूँ, तो कैसे ‘ना’ बोलूँ
अब ‘ना’ बोलने को बोले सब, तो कैसे बदल जाऊँ
भगवान ने बनाया मुझको ऐसा, मैं कैसे बदल जाऊँ

दोस्त बुलाए मुझको, तो कैसे ना भरोसा करूँ
रिश्ते ग़र कुछ बोले, तो कैसे ना भरोसा करूँ
कोई झूठ ही बोले मुझसे, तो कैसे ना भरोसा करूँ
अब भरोसा ना करने को बोले सब, तो कैसे बदल जाऊँ
भगवान ने बनाया मुझको ऐसा, मैं कैसे बदल जाऊँ

कोई सामने से मदद माँगे, तो कैसे ना मैं मदद करूँ
कोई रो-कलप के चाहे कुछ, तो कैसे ना मैं मदद करूँ
कोई दिल में बुरा हो चाहे कुछ, तो कैसे ना मैं मदद करूँ
अब मदद ना करने को बोले सब, तो कैसे बदल जाऊँ
भगवान ने बनाया मुझको ऐसा, मैं कैसे बदल जाऊँ

मेरे खून में नहीं ग़द्दारी, तो कैसे मैं ग़द्दारी करूँ
माँ बाप की शिक्षा भूल के, तो कैसे मैं ग़द्दारी करूँ
मुझे लगता डर भगवान से, तो कैसे मैं ग़द्दारी करूँ
अब ग़द्दारी करने को बोले सब, तो कैसे बदल जाऊँ
भगवान ने बनाया मुझको ऐसा, मैं कैसे बदल जाऊँ

मैं जानता ‘ना’ ना बोलने से, मैं ही तो परेशान होता
सब पे भरोसा करने से, मैं ही तो धोखा खाता
बिना जाने मदद करके, मैं ही तो बर्बाद होता
जो किस्मत में लिखा है मेरे, तो कैसे बदल जाऊँ
भगवान ने बनाया मुझको ऐसा, मैं कैसे बदल जाऊँ

✍️ स्वरचित : गौरव कर्ण (गुरुग्राम, हरियाणा)

Jyoti

Jyoti

👌

30 दिसम्बर 2021

Gaurav Karna

Gaurav Karna

30 दिसम्बर 2021

धन्यवाद 🙏

Anita Singh

Anita Singh

अच्छी कविता👌

25 दिसम्बर 2021

Gaurav Karna

Gaurav Karna

25 दिसम्बर 2021

बहुत धन्यवाद 🙏🙏

26
रचनाएँ
गौरव की गौरव गाथा, भाग 1
4.5
गौरव की गौरव गाथा एक कविता संग्रह है, इसमें सारी की सारी मेरे द्वारा रचित कविताएं हैं
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मैं कैसे बदल जाऊँ

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कवि भी मैं कविता भी मैं

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14 नवम्बर 2021
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<p>मैं कैसी बेबस माता हूँ <br> मैं तेरी भारत माता हूँ <br> छल कपट और लालच द्वेष में <br> अपनों से धो

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तेरी आने से जिंदगी की चाल बदल गयी

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<p>तेरी आने से जिंदगी की चाल बदल गयी <br> कभी मायूस थी जिंदगी आज हाल बदल गयी <br> <br> तेरे पहले निर

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<p>भगवान ने दिया हमें काम की जिंदगी, बस चार दिन का जिंदगी -2<br> लड़कपन, बचपन, जवानी, बुढापा, यही है

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