इस दुनियाँ में भाँति भाँति के लोग होते हैं
कुछ हाँ के साथ तो कुछ ना में होते हैं
कुछ हँसते रहते हैं तो कुछ हरदम रोते हैं
कुछ महफ़िल में हँसते हैं कुछ तन्हाई में रोते हैं
इस दुनियाँ में भाँति भाँति के लोग होते हैं
कुछ ग़म बाँटते हैं तो कुछ ख़ुशी देते हैं
कुछ मैं में जीते हैं तो कुछ हम में होते हैं
कुछ गुस्सा दिखाते हैं तो कुछ प्यार बाँटते हैं
कुछ दिल से चलते हैं कुछ दिमाग़ से चलते हैं
इस दुनियाँ में भाँति भाँति के लोग होते हैं
कुछ अपने लिए जीते हैं कुछ औरों के लिए मरते हैं
कुछ ज़िंदा हो के भी मरे होते हैं कुछ मर के ही जीते हैं
कुछ मरने पे हंसते हैं कुछ मरने पे रोते हैं
कुछ नाम के लिए जीते हैं कुछ काम के लिए जीते हैं
इस दुनियाँ में भाँति भाँति के लोग होते हैं
कुछ दर्द में जीते हैं कुछ दर्द को दवा बना लेते हैं
कुछ गिरने पे हंसते हैं कुछ गिरों का सहारा होते हैं
कुछ अपनो पे हँसते हैं कुछ अपनो से हँसते हैं
कुछ अपनो से लरते हैं कुछ अपनो के लिए लरते हैं
इस दुनियाँ में भाँति भाँति के लोग होते हैं
कुछ हर चीज़ की तारीफ़ कुछ हर में बुराई ढूँढते हैं
कुछ अपने चीज़ दूसरों के नाम कुछ दूसरों का हक़ मारते हैं
कुछ औरो का इज़्ज़त करते हैं कुछ औरों को बैजत करते हैं
कुछ सिने में राज़ दवा लेते हैं कुछ राज़ उगलते हैं
इस दुनियाँ में भाँति भाँति के लोग होते हैं
कुछ समय के साथ तो कुछ समय से आगे चलते हैं
कुछ गिर के संभलते हैं कुछ संभलके गिरते हैं
कुछ ग़म में पीते हैं कुछ ग़म को ही पी लेते हैं
कुछ खाने के लिए जीते हैं कुछ जीने के लिए खाते हैं
इस दुनियाँ में भाँति भाँति के लोग होते हैं
✍️ स्वरचित : गौरव कर्ण (गुरुग्राम, हरियाणा)