खो गया है ख़ुशी मुझसे
कोई तो ढूँढ के ला दो
मिल जाये जल्दी से मुझको
कोई तो रपट लिखा दो
रूठ गया लगता है मुझसे
कोई तो उसे मना दो
अब ना जाये दूर मुझसे
कोई तो उसे बता दो
हरपल हरदम साथ था मेरे
अब जाने कहाँ गया वो
ढूँढ रहा हूँ कब से उसको
जाने क्यूँ छुप गया वो
रात था मेरे पास था मेरे
सुबह क्यूँ चला गया वो
हँसता खेलता यहीं था मेरे
अब क्यूँ रुला गया वो
मुझसे क्या गलती हुई है
जो वो ख़फ़ा ख़फ़ा है
वो जो चाहा सब किया है
फिर क्यूँ रूठा रूठा है
लगता ग़म से साथ है उसका
तभी वो भागा भागा है
दोस्ती निभाने ग़म से खुशी ने
मुझे क्यूँ दगा दिया है
अब मिला तो जाने ना दूँगा
इतना तो वो समझ ले
ग़म को पास मैं आने ना दूँगा
जो चाहे अब वो कर ले
खुशी को खुशी मैं इतना दूँगा
ग़म अब तो तू निकल ले
अब रूठा खुशी मना मैं लूँगा
ऐ इंसान अब तो हँस ले
✍️ स्वरचित : गौरव कर्ण (गुरुग्राम, हरियाणा)