यूँ ही नहीं हम सब, तिरंगे का सम्मान करते हैं
यूँ ही नहीं हम सब, तिरंगे को सलाम करते हैं
सदियों लगा हमे, आक्रांताओं से लड़ते-लड़ते
तब जाके मेरे दोस्त हमने, हिंदुस्तान ऐसा पाया है
कौन कहता है हमे आजादी, बिना लड़े ही मिल गई है
कौन कहता है हमने लड़ाइयां, अनशन से जीती है
लाखों-करोड़ों लोगों का, लहू बहा है इस धरती पर
तब जाके मेरे दोस्त हमने, हिंदुस्तान ऐसा पाया है
भगत,सावरकर,मंगल,बोस सब ने खून बहाया है
रियासतों में बंटा था भारत, पटेल ने एक बनाया है
चंद लोगों की बात नहीं है, सब ने हांथ बटाया है
तब जाके मेरे दोस्त हमने, हिंदुस्तान ऐसा पाया है
कौन कहता है भूखा-नंगा गरीब, देश था हमारा
कौन कहता है क्या था यहाँ,जिसे लुटा जा सकता
पुरखों ने सोने की चिड़िया, ज्ञान का भंडार बनाया है
तब जाके मेरे दोस्त हमने, हिंदुस्तान ऐसा पाया है
देश सरहद की रक्षा करते, वीरों ने प्राण गंवाया है
दुश्मन को औकात दिखा, उसको पीछे भगाया है
लाखों वीर शहीद हुए, इस धरती की रक्षा करने में
तब जाके मेरे दोस्त हमने, हिंदुस्तान ऐसा पाया है
कौन कहता इतिहास भारत का, कुछ ही तो पुराना है
कौन कहता वास्को द गामा ने,भारत को खोजा है
हजारों सालों से मेरा भारत, पुरखों ने बसाया है
तब जाके मेरे दोस्त हमने, हिंदुस्तान ऐसा पाया है
चापलूस इतिहासकार ने, झूठ को सच दिखाया है
मुग़लों को बड़ा बना के,भारत के वीरों को दबाया है
सच कहाँ छुपता है, लोगों ने सच को दिखाया है
तब जाके मेरे दोस्त हमने, हिंदुस्तान ऐसा पाया है
✍️ स्वरचित : गौरव कर्ण (गुरुग्राम, हरियाणा)