माँ तुझसा कोई नहीं, माँ तुझसे बढ़कर कोई नहीं
जब सुबह उठना हो तो, माँ सा अलार्म कोई नहीं
सुबह की भागम-भाग में, माँ सा फुर्तीला कोई नहीं
वेरायटी खाना बनाने वाली, माँ सा शेफ कोई नहीं
पापा के डाँट से बचाने को, माँ सा दोस्त कोई नहीं
माँ तुझसा कोई नहीं, माँ तुझसे बढ़कर कोई नहीं
चूम के दर्द ठीक करने वाली, माँ सा डॉक्टर कोई नहीं
टुटे खिलौने जोड़ने वाली, माँ सा इंजीनियर कोई नहीं
अच्छी शिक्षा देने वाली, माँ सा ट्रेनर कोई नहीं
सवाल का जवाब चाहिए तो, माँ सा टीचर कोई नहीं
माँ तुझसा कोई नहीं, माँ तुझसे बढ़कर कोई नहीं
धूप में आँचल देने वाली, माँ सा छतरी कोई नहीं
थके को आराम देने वाली, माँ सा गोद कोई नहीं
झट से नींद लाने वाली, माँ सा लोरी कोई नहीं
अपने कमर पे घुमाने वाली, माँ सा ट्रांसपोर्ट कोई नहीं
माँ तुझसा कोई नहीं, माँ तुझसे बढ़कर कोई नहीं
पहला कदम बढ़ाने के लिये, माँ सा हौसला कोई नहीं
बच्चों के ख़ातिर जान पे खेले, माँ सा हिम्मत कोई नहीं
भूखे पेट रह बच्चे का पेट भरे, माँ सी ममता कोई नहीं
कौर बना खाना खिलाने वाली, माँ सा प्यार कोई नहीं
माँ तुझसा कोई नहीं, माँ तुझसे बढ़कर कोई नहीं
✍️ स्वरचित : गौरव कर्ण (गुरुग्राम, हरियाणा)