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थोड़ा किया थोड़ा और करना है

7 नवम्बर 2021

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थोड़ा किया थोड़ा और करना है
नदियों सा मुझे बहते रहना है
पहाड़ सी ऊंचाई मुझे पाना है
समंदर की गहराई तक जाना है
थोड़ा किया थोड़ा और करना है

मुझे आसमाँ में ऊंचा उड़ना है
सूर्य की तरह उजाला लाना है
चन्द्रमा की तरह अँधेरा हटाना है
चट्टान की तरह अडिग रहना है
थोड़ा किया थोड़ा और करना है

मुझे आग में तप के निकालना है
धरती सा सबको समेटे रखना है
बारिश की तरह सबको भिगोना है
बादल की तरह सबपे छा जाना है
थोड़ा किया थोड़ा और करना है

मुझे हवा की तरह ठंढ़क देना है
पानी की तरह प्यास बुझाना है
फूलों जैसा हरदम खिलना है
शहद से ज्यादा मीठा बनना है
थोड़ा किया थोड़ा और करना है

जिन्दगी को अभी खूब हंसाना है
दुःखों को अपनों से दूर भगाना है
खुशियाँ कहीं से चुरा के लाना है
किस्मत अपनी नींद से जगाना है
थोड़ा किया थोड़ा और करना है

मंज़िल अपनी नजदीक नहीं है
मंज़िल को दौड़ कर पकड़ना है
वक़्त के पीछे मुझे भागना नहीं है
वक़्त को कान पकड़ के लाना है
थोड़ा किया थोड़ा और करना है

मुझे बड़ों की दुआएँ लेना है
अभी छोटों संग प्यार बाँटना है
कमज़ोर की लड़ाई लड़ना है
गिरने वालों का सहारा बनना है
थोड़ा किया थोड़ा और करना है

मुझे रुकना नहीं चलते रहना है
दूसरों के आंसू हांथों से पोछना है
इस जहाँ को कुछ दे के जाना है
गुज़रा अगर तारों सा टिमटिमाना है
थोड़ा किया थोड़ा और करना है

✍️ स्वरचित : गौरव कर्ण (गुरुग्राम, हरियाणा)

Jyoti

Jyoti

👌

30 दिसम्बर 2021

Gaurav Karna

Gaurav Karna

30 दिसम्बर 2021

धन्यवाद 🙏

Anita Singh

Anita Singh

सुन्दर👌

25 दिसम्बर 2021

Gaurav Karna

Gaurav Karna

25 दिसम्बर 2021

बहुत धन्यवाद 🙏🙏

26
रचनाएँ
गौरव की गौरव गाथा, भाग 1
4.5
गौरव की गौरव गाथा एक कविता संग्रह है, इसमें सारी की सारी मेरे द्वारा रचित कविताएं हैं
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7 नवम्बर 2021
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<p>यूँ ही नहीं हम सब, तिरंगे का सम्मान करते हैं <br> यूँ ही नहीं हम सब, तिरंगे को सलाम करते हैं <br>

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7 नवम्बर 2021
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थोड़ा किया थोड़ा और करना है

7 नवम्बर 2021
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<p>थोड़ा किया थोड़ा और करना है <br> नदियों सा मुझे बहते रहना है <br> पहाड़ सी ऊंचाई मुझे पाना है <br

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8 नवम्बर 2021
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<p>मैं गौरव हूँ, मुझे भीड़ का हिस्सा नहीं बनना <br> मैं गौरव हूँ, मुझे कुछ सबसे अलग है दिखना <br> <b

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10 नवम्बर 2021
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कवि भी मैं कविता भी मैं

12 नवम्बर 2021
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बच्चे की शरारत

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14 नवम्बर 2021
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<p>गुस्से में बीबी फन फैलाई नाग है <br> थोड़ा भी छेड़ दो डशने को तैयार है <br> गुस्से में बीबी फन फै

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सोंचा था कुछ अच्छा करने का

14 नवम्बर 2021
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<p>सोंचा था कुछ अच्छा करने का <br> दिमाग ने करने से रोक दिया <br> मन में फिर द्वंद सा होने लगा <br>

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माँ बाप की प्यारी ये बेटियाँ

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<p>माँ बाप की प्यारी ये बेटियाँ <br> होती हैं सारी ये बेटियाँ <br> भगवान ने बनाई ये बेटियाँ <br> जग

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21 नवम्बर 2021
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<p>मैं कैसी बेबस माता हूँ <br> मैं तेरी भारत माता हूँ <br> छल कपट और लालच द्वेष में <br> अपनों से धो

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21 नवम्बर 2021
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<p>माँ तुझसा कोई नहीं, माँ तुझसे बढ़कर कोई नहीं <br> <br> जब सुबह उठना हो तो, माँ सा अलार्म कोई नहीं

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तेरी आने से जिंदगी की चाल बदल गयी

26 नवम्बर 2021
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<p>तेरी आने से जिंदगी की चाल बदल गयी <br> कभी मायूस थी जिंदगी आज हाल बदल गयी <br> <br> तेरे पहले निर

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29 नवम्बर 2021
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<p>गुरु ही ब्रम्हा, गुरु ही विष्णु <br> गुरु ही देव महेश्वर हैं <br> गुरु साक्षात परमेश्वर हैं <br>

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बस चार दिन का जिंदगी

29 नवम्बर 2021
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<p>भगवान ने दिया हमें काम की जिंदगी, बस चार दिन का जिंदगी -2<br> लड़कपन, बचपन, जवानी, बुढापा, यही है

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