तुम अगर साथ हो मेरे, मैं हर मुश्किल को पाट दूँ
मैं हर हार को जीत जाऊँ, मैं हर खतरे को काट दूँ
कभी जो आये तुझपे विपदा, मैं उसे अपने पे ले लूँ
तेरा मैं ढाल बन जाऊँ, तेरे हर वार अपने पे ले लूँ
कभी गर उदास तू हो जाये, मैं तेरा हंसी बन जाऊँ
तेरे हर ग़म को मैं ले लूँ, मै तेरा आँसू पी जाऊँ
तुम अगर साथ हो मेरे, मैं हर मुश्किल को पाट दूँ..........
कभी जो रूठ जाये तो, मैं अपने कान पकर तुझे मनाऊँ
तुझसे मैं माफ़ी भी मांगू, मैं तेरा मुस्कान बन जाऊँ
कभी ग़र थक जाये तु तो, मैं तेरा आराम बन जाऊँ
तेरे हर काम मैं कर दूँ, मै तेरा जान बन जाऊँ
तुम अगर साथ हो मेरे, मैं हर मुश्किल को पाट दूँ .........
कभी ना अकेला तू समझना, मैं तेरे साथ हरदम हूँ
तेरे साथ बन्धन है मेरा, मैं तेरा मीत हमदम हूँ
कभी थक के सोना चाहे, मैं तेरा बिस्तर बन जाऊँ
जो अच्छी नींद दे सके, वो थपकी हांथ बन जाऊँ
तुम अगर साथ हो मेरे, मैं हर मुश्किल को पाट दूँ
मैं हर हार को जीत जाऊँ, मैं हर खतरे को काट दूँ
✍️ स्वरचित : गौरव कर्ण (गुरुग्राम, हरियाणा)