गिलोय आयुर्वेद की एक ऐसी औषधी
है, जिसका सेवन
हर उम्र का व्यक्ति कर सकता है। यह
बेल के रूप में पाई
जाती है और इसका आकार
पान के पत्ते
की तरह होता
है। प्रत्येक आयुवर्ग
के लोगों के
लिए यह बहुत लाभदायक होती है।
यह मानव शरीर
की रोग प्रतिरोधक
क्षमता को बढ़ाने
में बहुत मददगार
होती है। इसी कारण इसका
सेवन करने वाले
बीमार होने से आसानी से
बच जाते हैं।
गिलोय में प्रोटीन,
कैल्शियम तथा फॉस्फोरस
काफी मात्रा में
पाएं जाते हैं
जो मानव शरीर
के लिए बेहद
लाभदायक होते हैं।
बच्चों तथा
बड़े
आयुवर्ग
के
लोगों
के
लिए
गिलोय
के
फ़ायदे
-
1 - कई बार
बच्चों में खून की कमी
के कारण वे एनीमिया का शिकार
हो जाते हैं।
ऐसे में उनको
गिलोय अर्क बहुत
लाभ देता है।
यदि बच्चों को
गिलोय अर्क का सेवन पहले
से कराया जाए
तो वे एनीमिया
का शिकार नहीं
हो पाते हैं।
2 - पीलिया रोग में
भी गिलोय अर्क
का सेवन करना
लाभदायक होता है।
पीलिया रोग से पीड़ित किसी
भी उम्र के लोग इसका
सेवन कर लाभ ले सकते
हैं।
3 - यह रोग प्रतिरोधक
क्षमता को बढ़ाता
है। यदि इसका
सेवन प्रतिदिन किया
जाए तो आने वाली अनेक
बीमारियों से बचा
जा सकता है।4
- अक्सर बच्चों को
डेंगू तथा टाइफाइड
बुखार के बचाव में भी
यह बहुत कारगर
साबित होता है।
ऐसी स्थिति में
गिलोय अर्क का सेवन कराने
पर बुखार से
जल्दी निजात मिल
जाती है और प्लेटलेट काउंट बढ़ना
भी तेजी से शुरू हो
जाता है।
5 - किसी भी प्रकार
के रक्त विकार
में बहुत ही उपयोगी साबित
होता है।
गिलोय अर्क को
क्यों
कहा
जाता
है
अमृत
तुल्य
-
1 - आयुर्वेद
में गिलोय को
अमृता के नाम से भी
जाना जाता है।
क्योंकि यह अमृत के समान
ही शरीर की समस्त बीमारियों
से रक्षा करता
है।
2 - गिलोय अर्क को
हर उम्र के व्यक्ति को स्वस्थ
तथा बिमार दोनों
अवस्थाओं में दिया
जा सकता है।
3 - गिलोय अर्क, गिलोय
चूर्ण, टेबलेट या
सीरप से ज्यादा
प्रभावशाली और शीघ्र
लाभ देने वाला
होता है।
4 - गिलोय अर्क के
सेवन से बच्चों
में शारारिक, मानसिक
तथा रोग प्रतिरोधक
क्षमता का विकास
होता है।