गिलोय को आयुर्वेद
में अमृता कहा
जाता है। यह इसलिए क्यों
की यह अमृत के सामान
है। इसका सेवन
प्रत्येक आयु वर्ग
का व्यक्ति कर
सकता है। इसका
आकार पान के पत्ते की
तरह होता है।
बच्चों को स्वस्थ
रखने के लिए भी यह
अत्यंत लाभकारी है।
6 वर्ष से 10 वर्ष
तक के बच्चों
को इसका सेवन
कराया जा सकता है। असल
में बच्चों की
रोग प्रतिरोधक क्षमता
बड़े लोगों से
कम होती है इसलिए वे
जल्दी बीमार हो
जाते हैं। यदि
बच्चा आसानी से
गिलोय अर्क का सेवन नहीं
कर पा रहा है तो
उसको दूध, शहद,
गुनगुना पानी, जूस
आदि के साथ मिलाकर भी
इसको दिया जा सकता है।
इन सब चीजों
के साथ गिलोय
अर्क को मिलाकर
आसानी से बच्चे
को दिया जा सकता है।
6 से 10 वर्ष के स्वस्थ बच्चों
के लिए गिलोय
अर्क की मात्रा
2 से 4 बूंद प्रतिदिन
देनी चाहिए। गिलोय
अर्क शरीर की रोग प्रतिरोधक
क्षमता को बढ़ाता
है जिसके कारण
इसका सेवन करने
वाले बीमार होने
से आसानी से
बच जाते हैं।
बच्चों के लिए
गिलोय
के
फ़ायदे
-
1 - बच्चों में खून
की कमी होने
पर वे एनीमिया
से ग्रस्त हो
जाते हैं। इस स्थिति से
बचाव में गिलोय
अर्क बहुत लाभकारी
है।
2 - पीलिया रोग से ग्रस्त बच्चों के लिए भी गिलोय अर्क बेहद लाभकारी होता है। पीलिया रोग से पीड़ित बड़े आयुवर्ग के लोग भी इसका सेवन कर लाभ ले सकते हैं।
3 - अक्सर बच्चों को डेंगू तथा टाइफाइड बुखार के बचाव में भी यह बहुत कारगर साबित होता है। ऐसी स्थिति में गिलोय अर्क का सेवन कराने पर बुखार से जल्दी निजात मिल जाती है और प्लेटलेट काउंट बढ़ना भी तेजी से शुरू हो जाता है।
4 - यह औषधी प्रत्येक आयु वर्ग के व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। अतः इसके सेवन से अनेक बीमारियों से आसानी बचा जा सकता है।
5 - रक्त विकार की समस्या में गिलोय अर्क बहुत ही उपयोगी साबित होता है।
गिलोय अर्क का
महत्व
-
1 - इसमें प्रचुर मात्रा
में एंटी-ऑक्सीडेंट
होते हैं अतः यह फ्री
रेडिकल्स डैमेज से
सुरक्षित रखता है।
2 - इसका सेवन पेट की बच्चो को पेट की समस्याओं से बचाता है।
3 - गिलोय अर्क, गिलोय चूर्ण, टेबलेट या सीरप से ज्यादा प्रभावशाली और शीघ्र लाभ देने वाला होता है।
4 - गिलोय अर्क के सेवन से मानव की शारारिक, मानसिक तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।