आज के समय
में वातावरण में
कितना प्रदुषण है
इस बात को सभी अच्छे
से जानते ही
हैं। इसी प्रदुषण
के कारण वर्तमान
में लोग सांस
या अस्थमा से
बड़ी संख्या में
ग्रस्त हैं। आज के समय
में सांस फूलने
की समस्या आम
हो चुकी है।
यह समस्या सूजन,
संक्रमण, प्रदूषित वातावरण, धूम्रपान
कि आदत तथा आनुवंशिक आदि कई कारणों से
हो सकती है।
आज बाहरी वातावरण
में धूल, धुआं
तथा मिट्टी काफी
मात्रा में रहते
हैं। इस कारण ही सांस
फूलने या अस्थमा
कि समस्या के
चांस ज्यादा बढ़
जाते हैं। प्रदूषित
वातावरण के अलावा
धूम्रपान भी सांस
कि समस्या का
मुख्य कारण माना
जाता है। आयुर्वेद
में सांस तथा
उससे संबंधित समस्याओं
का सरल उपाय
मौजूद है। अतः आप सांस
संबंधी किसी भी समस्या के
लिए आयुर्वेद से
सरल समाधान पा
सकते हैं तथा इस समस्या
से आसानी से
छुटकारा पा सकते हैं।
सांस फूलने अथवा
अस्थमा
के
कारण
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इस समस्या के कई कारण हैं। यदि सर्दी के वातावरण में अचानक गर्म हवा चलने लगे तो सांस की समस्या हो सकती है। बदलते मौसम में एलर्जी होने पर भी सांस की समस्या हो सकती है। यदि किसी को सांस की समस्या पहले से होती है तो मौसम बदलने पर वह और भी बढ़ जाती है। प्रदुषण के कारण नाक तथा गले का संक्रमण भी सांस फूलने की समस्या को बढ़ा सकता है।
सांस फूलने की
समस्या
का
आयुर्वेदिक
समाधान
आयुर्वेद में सांस
की समस्या को
दूर करने के लिए अनेक
प्रकार की ओषधियों
का वर्णन है।
इन्ही औषधियों सही
मात्रा तथा अनुपात
में लेकर री-रैस्प अवलेह तथा कैप्सूल का
को निर्मित किया
गया है। यह सांस कि
सभी समस्याओं सहित
अस्थमा रोग में भी बहुत
प्रभावशाली है। री-रैस्प कि
अवलेह सांस कि समस्या के
लिए अमृत तुल्य
है। अस्थमा कि
समस्या में भी यह बेहद
लाभकारी है। यह औषधी पूर्णतः
आयुर्वेदिक है अतः
इसका कोई दुष्प्रभाव
भी नहीं होता
है। यह औषधी ब्रोंकाइटिस तथा पुरानी
खांसी में भी अत्यंत लाभदायक
साबित होती है।
छाती में दबाव,
खांसी तथा सांस
फूलने कि समस्या
से भी यह अवलेह चटनी
निजात दिलाती है।
अतः यदि आप चाहते हैं
कि इस प्रकार
कि समस्या से
आप कभी ग्रस्त
न हों तो री-रैस्प
कि अवलेह तथा
कैप्सूल का सेवन आपके लिए
बहुत लाभकारी साबित
होगा।