"गीत" झूम के सावन आ गया रे
एक बूँद वर्षा की गगन से, आ के गिरती गाल
एक बूँद अरवी के पत्ते, एक टमाटर लाल......झूम के सावन आ गयो रे
एक बूँद उड़ चली अकेली, जा के मिलती ताल
एक उड़ी बौछार बिकल हो, जा के पहुंची खाल.....झूम के सावन आ गयो रे
एक उड़ चली संग सहेली, कर के ऊँचा भाल
एक उड़ गई नजर छुपा के, अब होगी किस हाल.....झूम के सावन आ गयो रे
एक बूँद है ठंड की मारी, झुकी कमल की नाल
एक बूँद पंखुड़ी में भौरा, बनी कमलिनी ढ़ाल……. झूम के सवान आ गयो रे
एक बूँद तरुवर में झूला, झूले लहँगा लाल
एक बूँद गोरी (गौतम)के नैना, साजन बिन बेहाल.......झूम के सावन आ गयो रे
महातम मिश्र 'गौतम' गोरखपुरी