मापनी-122 122 122 12, काफिया-आया, रदीफ़- सनम........
“गजल/गीतिका”
तुझे प्यार करना न आया सनम
तुने दिल खिलौना बनाया सनम
तुझे क्यूँ न जाने सुहाई पलक
नयनों ने नयना मिलाया सनम॥
वफा बेवफा की अलग है व्यथा
बताओ कि क्या कह बुलाया सनम॥
सुनाओ तनिक रागनी आप की
जिसे जिद जगह दे रुलाया सनम॥
कहा मान लेते अगर तुम सखे
बहारें न करती जुदाया सनम॥
कभी पूछ लेते मिरे अरमान से
नजाकत चढ़ाकर गिराया सनम॥
गरज फरज गौतम गुनाह किसका
किए बिन हृदय में समाया सनम॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी