"कली छंद"
*विधान:भगण भगण भगण लघु गुरु* *211 211 211 1 2* *11 वर्ण 4 चरण* *दो दो चरण समतुकांत*
साथ रहे घर गाँव सजनी।
भाव सुभाव अभाव भजनी।।
शान सदा खुशहाल कथनी।
देश बने धनवान मथनी।।
लाग लगाव निभाव धर लें
आपुहि आप सहाय कर लें।।
रोक न पाँव बढ़ा चित दया
मानव मानव मानव मया।।
राघव रावण मारन गयो
राक्षस नाहक मात हरयो।।
आय गयी सिय लेकर भिक्षा
संत समाज नियामक दिक्षा।।
सावन पावन भावन मना
नाचत मोर सुहावन वना।।
पात लता मन लागत निको
कोयल बैन बिना वह फिको।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी