शीर्षक- दंगा/झगड़ा/फसाद आदि
“हाइकू मुक्तक”
रोते झगड़े, विलखते झगड़े, किसके हाथ
यह फसाद, बिगड़ते रिश्ते, किसके साथ
दंगे दर्पण, समर समर्पण, अंधे तूफान
काया सुंदर, नटखट मंजर, कौन अनाथ॥-1
झगड़े बोलें, अपने मुख खोलें, कहते सार
मिले फसाद, हों घर बरबाद, जुड़ते तार
आग लगी है, उड़ चली हवा है, तपती आँच
दंगे सपने, हैं किसके अपने, मौन बीमार॥-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी