अमोलक जी को लगा कि लाजो जी ताना मार रही हैं कि प्रथम को पांच साल हो गए हैं शादी किए मगर अभी तक कोई बच्चा नहीं लगा रितिका को । लाजो जी को समझाते हुए वे कहने लगे "आजकल बच्चे बहुत समझदार हो गए हैं । वे अपनी मर्जी से बच्चे पैदा करते हैं , भगवान भरोसे नहीं बैठा करते , जैसे हम बैठे रहते थे" ।
"हां, ये बात तो सही कही आपने । वैसे आप सही बात कभी कभी ही कहते हो वरना तो ऊटपटांग ही बकते रहते हो" ।
अमोलक जी ने भृकुटियां टेढी करते हुए लाजो जी को देखा तो लाजो जी सकपका गईं । लाजो जी की एक खासियत और थी कि वे अमोलक जी को चाहे कुछ भी कह लेती थीं मगर उन्हें पता था कि आज जो "स्टेटस" वे एनजॉय कर रही हैं वह अमोलक जी के रुतबे के कारण ही है । इसलिए जब भी कभी अमोलक जी टेढी नजरों से देखते थे तो लाजो जी एक बार तो सिहर जाती थी । तब समर्पण करते हुए वह बोली
"मेरे कहने का मतलब है कि हमारे जमाने में तो बच्चे भगवान की देन ही समझे जाते थे । इसलिए प्रथम तो शादी के 11 महीने बाद ही पैदा हो गया था । अब देखो , प्रथम को कितने साल हो गये हैं शादी किए मगर बच्चे के बारे में कोई चिन्ता ही नहीं है उन्हें । पता नहीं मैं पोते का मुंह देख भी पाऊंगी या नहीं ? आप कुछ कहते क्यों नहीं उसे ? वो चौधराइन की बहू कितनी समझदार है जो दो साल के बाद ही उसने "खुशखबरी" सुना दी । आप एक बार प्रथम से बात तो कीजिए न । पता तो चले कि उनके इरादे क्या हैं" ?
अमोलक जी अब थोड़े आश्वस्त हुए कि लाजो अपने दायरे में आ गई थी । बात तो सही थी उसकी कि प्रथम की शादी को पांच साल हो गए थे । उनका मन भी करता था कि वे भी एक नन्हे मुन्ने के साथ खेलें । उसे पीठ पर बैठाकर शाही सवारी करवाएं । पर पता नहीं और कितना इंतजार करना पड़ेगा अभी । पर आज ये लाजो जी इस मुद्दे को लेकर क्यों बैठ गईं ? पहले तो कभी इतनी उद्विग्न नहीं हुई थीं वे ? अच्छा शीला भाभीजी ने जब से समाचार सुनाया है कि उनकी बहू पेट से है तभी से लाजो जी के पेट में पानी पच नहीं रहा है । तो ये है असली कारण पोते पोती की इच्छा का । मगर इसमें गलत तो कुछ भी नहीं है । लाजो जी सही तो कह रही हैं । अब तक "रिजल्ट" क्यों नहीं आया ? क्या कहीं प्रथम या रितिका में कुछ कमी तो नहीं है ? यह प्रश्न कौंधते ही अमोलक जी विचलित हो उठे । अब तो बात करनी ही पड़ेगी प्रथम से । उन्होंने इतना कहकर बात समाप्त कर दी
"आज बात करते हैं प्रथम से इस विषय में । आप कुछ अनाप-शनाप मत कह देना रितिका को" ।
लाजो जी ने मन ही मन कहा "वे जमाने और थे जब सास "ललिता पंवार" हुआ करती थीं । आजकल तो बहू "ललिता पंवार" बनी हुई हैं । उनमें इतनी हिम्मत कहां जो रितिका को कुछ कह पायें । वो तो बस अमोलक जी पर ही चढ सकती हैं और किसी पर नहीं" ।
अमोलक जी ऑफिस के लिए तैयार हुए और जाने ही वाले थे कि सामने प्रथम दिखाई दे गया ।
"क्या हाल चाल हैं तेरे ? कैसा चल रहा है तेरा वर्क फ्राॅम होम" ? मुस्कुराते हुए अमोलक जी ने पूछा
"प्राण पीते हैं ये मल्टी वाले भी । जब इन्हें पता है कि हम वर्क फ्राॅम होम कर रहे हैं तो ये इतना काम लाद देते हैं कि रात को ग्यारह बजे तक बैठना पड़ता है । सुबह नौ बजे से शुरु हो जाते हैं स्साले । बस, लंच का एक घंटा देते हैं बीच में । नींद भी पूरी नहीं हो पाती है , पापा" । प्रथम अपना दुखड़ा सुनाने लगा ।
" और रितिका ? क्या उसकी भी ऐसी ही हालत है" ?
"उसकी तो और बुरी हालत है । उसका बॉस बदल गया है अभी अभी । पिछले बॉस के साथ तो बढिया ट्यूनिंग थी । लेकिन ये तो किसी की सुनता ही नहीं है । लगातार नाइट शिफ्ट दिए जा रहा है बदमाश" । प्रथम गुस्से से बोला
"तो रितिका इसकी शिकायत क्यों नहीं करती है मैनेजमेंट से ? क्या कोई सुनवाई का सिस्टम नहीं है वहां पर" ?
"है क्यों नहीं ? कागजों में सब कुछ है । मगर मैनेजमेंट इनकी ही सुनता है कर्मचरी की नहीं । लगाई थी एक शिकायत रितिका ने मगर वह खारिज कर दी उन्होंने"
अमोलक जी सोचते हुए बोले "तो ऐसा क्यों नहीं करते कि या तो कंपनी बदल लो या फिर काम छोड़ दो" ।
"कंपनी बदलने पर सोच रही है रितिका । काम तो नहीं छोड़ सकती है ना घर में बैठे बैठे बोर हो जाएगी वह । इसलिए झेल रही है इनको" ।
"एक काम करो , एक पत्र लिख दो मैनेजमेंट को कि वह अब रात की शिफ्ट में और काम नहीं कर सकेगी । रखना हो तो दिन में रख लें नहीं तो जय राम जी की" ।
"अगर कंपनी ने बात नहीं मानी और निकाल दिया तो" ?
अमोलक जी सोचते हुए बोले "ऐसा रिस्क नहीं लेगी कंपनी । रितिका एक ट्रेंड कर्मचारी है और इस कोरोना काल में एक ट्रेंड कर्मचारी को हटाने का जोखिम कोई कंपनी नहीं ले सकती है । थोड़ी रिस्क जरूर है । क्या पता दबाव काम कर जाये" ?
"आप ठीक कहते हैं पापा । आज ही एप्लीकेशन मूव करवा देता हूं" । इतना कहकर प्रथम जाने लगा ।
"अरे सुन । एक बात बता , तेरी शादी को कितने साल हो गए हैं" ?
प्रथम मुस्कुराकर कहने लगा "आज मेरी शादी कैसे याद आ गई पापा ? कोई खास बात है क्या" ?
"हां, खास ही समझो । मैं तो यह कहना चाह रहा हूं कि अपनी एक बार बात हुई थी तब मैंने कहा था कि हमें तीन साल बाद बच्चा चाहिए । अब तो पूरे पांच साल हो गए हैं भई । और कब तक इंतजार करें हम" ?
अब लाजो जी भी पास में आ गई थीं । वैसे वो थीं तो आसपास ही और इनकी सारी बातें ध्यान से सुन रही थीं मगर अब उनका पसंदीदा टॉपिक आ गया था बातों में तो वे भी उसमें शामिल हो गई ।
"देख प्रथम, जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है । पता नहीं कब बुलावा आ जाये हमारा भगवान के घर से ? कम से कम एक पोता या पोती का मुंह तो दिखला दे" । लाजो जी धीमी आवाज में बोलीं ।
"अभी कहां बुलावा आ रहा है मम्मी ? अभी तो सौ साल और जीना है आप दोनों को । अभी से ऐसी बातें मत किया करो, हां" । प्रथम ने टालने के उद्देश्य से विषय बदलते हुए कहा
अब अमोलक जी ने पुन : मोर्चा संभाला "बात को बदलो मत प्रथम । ये बताओ कि तुम लोगों ने कोई प्लानिंग कर रखी है या कोई ..."
कमरे में एकदम से सन्नाटा सा छा गया । माहौल गंभीर हो गया था । प्रथम खामोश ही रहा ।
"खामोश रहने से काम नहीं चलेगा बरखुरदार । बता कि आखिर बात क्या है ? पहले तो यह बता कि तुम लोग बच्चा चाहते भी हो या नहीं" ? अब सीधे बात करना ही मुनासिब समझा अमोलक जी ने ।
"चाहते क्यों नहीं हैं ? पर रितिका अभी और समय चाहती है" ।
"पांच साल तो हो गए । और अगर एक मिनट को मान लो कि कल बच्चा लग भी जाये तो कम से कम नं महीने तो और लगेंगे ना उसे पैदा होने मे । और कितना समय लोगे तुम लोग ? बाद में तो बच्चे पैदा करने में भी समस्या आती है " । "आपकी बात सही है पापा , मगर अभी रितिका तैयार नहीं है । अब मैं अकेले तो बच्चे पैदा नहीं कर सकता हूं ना" ?
अमोलक जी को सारा माजरा समझ में आ गया । तो अब रितिका से बात करनी ही पड़ेगी । ऐसा सोचकर वे ऑफिस निकल गए ।
क्रमश:
हरिशंकर गोयल "हरि"
9.6.22