हरभजन सिंह. भारतीय क्रिकेट का कलरफुल चेहरा. बीच मैदान भंगड़ा करते, दर्शकों से मज़ाक करते, हंसते-हंसाते हरभजन सिंह को हम सबने देखा ही है. 3 जुलाई 1980 को पैदा हुए हरभजन सिंह, मैदान पर अपनी आक्रामकता के लिए पहचाने जाते रहे हैं. आज हम आपको एक ऐसा ही मैच याद दिलाते हैं.
2010 का एशिया कप था. पाकिस्तान से दाम्बुला में मैच हो रहा था. पाकिस्तान ने पहले बैटिंग करते हुए 267 रन बनाए. काफी-उतार चढ़ाव देखता हुआ, मैच आख़िरी लम्हों तक आ पहुंचा था. हरभजन सिंह और सुरेश रैना स्ट्राइक पर थे. 49वें ओवर की आख़िरी गेंद थी. 7 गेंदों में 7 रन चाहिए थे. शोएब अख्तर बॉलिंग कर रहे थे. और उन्होंने पंगा ले लिया सरदार से.
अख्तर ने बाउंसर फेंकी. हरभजन ने मारने की कोशिश की, लेकिन बल्ले को गेंद के आसपास भी न ले जा सके. अपनी कामयाबी से ऐंठे हुए अख्तर ने हरभजन को कुछ कहा. गरम दिमाग सरदार ने पलटकर जवाब दिया. अच्छी-खासी कहासुनी हो गई. इतनी कि अंपायर और बाकी खिलाड़ियों को बीच में आना पड़ा.
अगला ओवर मुहम्मद आमिर का था. 6 गेंदों में 7 रन चाहिए थे. पहली गेंद पर रैना ने एक रन लिया. दूसरी गेंद पर स्ट्राइक लेने के चक्कर में रन आउट हो गए. अगली दो गेंदों में 3 रन आये. आखिरी 2 गेंदों में 3 रन चाहिए थे. तनाव साफ़ दिखाई दे रहा था. बल्लेबाज़, गेंदबाज़, फील्डर्स यहां तक कि दर्शक भी फुल टेंशन में थे. मुहम्मद आमिर ने गेंद फेंकी. और…
…और हरभजन ने उसे टोंक दिया. लॉन्ग ऑन पर बहुत लंबा छक्का जड़ दिया. उसके बाद शेर की दहाड़ मारी. जैसे ही गेंद दर्शकों में जा गिरी, हरभजन ने थर्ड मैन की दिशा में देखा. वहां शोएब अख्तर खड़े थे. उन्होंने गरजते हुए हरभजन सिंह को देखा और एक इशारा किया. जिसका मतलब था, ‘चल जीत गया ना, अब निकल ले’. शोएब अख्तर अपनी झेंप मिटा रहे थे. लेकिन हरभजन ने भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को एक और लम्हा दे दिया था. याद करने के लिए. बात करने के लिए.
आप भी देखिए वो लम्हा:
http://www.thelallantop.com/bherant/in-2010-asia-cup-harbhajan-singh-hit-second-last-ball-six-to-seal-the-match-against-pakistan/