हर बार पत्नी की हा में हा मिलाना सही नही है एक बार पत्नी बोली मुजे कामवाली बाई की बहूत याद आ रही है क्योकी में थक गई हू काम करके 😫। तब पति अखबार पढ़ रहा था और उसका ध्यान नही था 🙄। वो हर बार की की तरह हा मिला दी और बोला मु जे भी बहुत याद आ रही । तब पत्नी को गुसा आया 😡 और बरतन मार उथाके फेका पति की
बेसाख्ता तेरा नाम क्या आ गया जुबां पे सुबह-सबेरेआज दिन भर एक दर्जन गीत लिखे हैं नाम पर तेरे।--श्रीधर
आज कुटिया पधारे जो श्रीराम जी, देख शबरी कि आँखे सजल हो गयीं।राह में फूल नित जो सजाती रही, साधना आज उसकी सफल हो गयी।।रूप सुन्दर मनोहर धनुष हाथ में, और हैं साथ में भ्रात उनके लखन।राम ने जब कुटी में किया आगमन, देखते ही प्रफुल्लित हुआ आज मन।।प्रेम से दौड़ शबरी मिली राम से, आज कठनाइयाँ सब सरल हो गयी।राह म
Sweet सा पागल हू ,मस्ती में रहता हु देख भाई तेरा अब वीडियो में रहता है ,पहले तो भाई तेरा isqa में रहता था ,जब भी कॉल आता बिजी बताता था ,दोस्त मेरे मुह पे गाली दे जाते थे जब मेरा Call Busy जो आता था लड़की थी Temu गांव उसकी भानु कहती थी Sweet
लघुकथाकिरायेदार" भैया ये छह पाईप हैं जो पास की दूकान पर ले चलने हैं , ले चलोगे ? " मैंने ई - रिक्शे वाले को रोककर कहा ।" जी, ले चलेंगे । "" बताओ किराया क्या लोगे ? " " सत्तर रुपए लगेंगे ।"" भैया , पचास लो । सत्तर का काम तो नहीं है । "" ठीक है , पचास दे दीजिएगा ।"" तो फिर लाद लो । "वो अपने काम पर
एक रूपये नहीं तो जेल, झूठे आरोप की सजा ! एक गरीब व्यक्ति से लेकर एक बड़े से बड़े व्यक्ति तक उसकी इज्जत उसके लिए बहुत माईने रखती है. कहा भी गया की व्यक्ति को अपनी इज्जत बनाने में वर्षो लग जाते है और गवाने में एक मिनट ही काफी है. समाज में प्रत्येक व्यक्ति को ये अधिकार है की वो अपनी मान प्रतिष्ठा, इज्
(1)वो घर से निकला पीने को, मानो अंतिम पल जीने को।उसे अंतिम सत्य का बोध हुआ। मानो अंतिम घर से मोह हुआ।सोते बच्चों को जी भर देखा, सोती बीबी के गालों को चूमा,माँ-बाप को छूपकर देखा, चुपके सोते चरणों को पूजा।कुछ पैसे
छत्तीसगढ के स्कूलों में अब नहीं लीजा सकेगी मनमानी फीस ! वैसे तो देशभर में स्कूलफीस अभिभावकों के लिये एक समस्य बनती आई है लेकिन अब कम से कम छत्तीसगढ सरकार नेतो इसपर संज्ञान लिया है: पालकों की समस्याओं को समझते हुए विधानसभा के मानसूनसत्र में छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन विधेयक 2020 बहु
कट्टर पंथियों द्वारा राम मन्दिर के भूमि पूजन के खिलाफ प्रोपगंडा डॉ शोभा भारद्वाज 'ऑल इंडिया इमाम एसोसियेशन के मौलाना साजिद रशिदी टीवी डिबेट में कहते थे राम मंदिर बनाइये कौन मना करता है ,मन्दिर वहीं बनायेंगे तारीख नहीं बतायेंगे| जब मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ उनके विचार अलग थे मौलाना ने कहा
भारतीय राजनीति का एक स्वर्णिम युग रहा है। जब राजनीति के धूमकेतु डॉ राम मनोहर लोहिया, अटल बिहारी बाजपेई, बलराम मधोक, के. कामराज, भाई अशोक मेहता, आचार्य कृपलानी, जॉर्ज फर्नांडिस, हरकिशन सिंह सुरजीत, ई. नमबुरूदीपाद, मोरारजी भाई देसाई, ज्योति बसु, चंद्रशेखर, तारकेश्वरी सिन्हा जैसे अनेक हस्तियां रही है।
प्यारे देशवासियों,आप सभी जानते हैं इन दिनों हमारा देश कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रहा है। यह एक ऐसी भयानक बीमारी है जो एक इंसान से दूसरे में और धीरे-धीरे समाज में फैलती है। आपस में ज़्यादा मिलने जुलने और संपर्क बढ़ने से इसका वायरस बहुत तेजी से फैलता है। सिर्फ एहतियात बरतकर ही इस बीमारी से बचा जा
जिंदगी किसी है पहेली एक बार जरूर पडे लेख अटैच फाइल में दिया गया है
द्रौपदी स्वयंवर : एक और दृष्टिकोण द्रौपदी स्वयंवर का समय, पांचाल की राजधानी काम्पिल्य में सभा भरी हुई थी, विशाल सभागार की एक ओर चबूतरे पर सिंहासन पर द्रुपद विराजमान थे, उनकी दाहिनी ओर क्रम से युवराज धृष्टद्युम्न और उनके बाद अन्य राजकुमार बैठे थे, सत्यजित, उत्तमजस, कुमार, युद्धमन्यु, वृंक, पांचाल्य
एक आवाजवो जान सी अनजान,वो रोती रही आज,वो मांगे कई माफ़ी,वो लड़ती रही आज,हर इक साँस,कस्ती हुयी,आँखे बंद,ढलती हुयी,पर न ख़तम हुयी आस,वो न शांत,हर इक जान की आवाज,वो भी कह रही आज,
लघुकथावीरानगी " तो फिर तूने उनका पीछा किया ! "" हां किया , मेरे पास और कोई चारा नहीं है ।"" कितनी दूर तक गयी ? "" जब तक कि वे मुझसे औझल नहीं हो गये ।"" अगर उन्हें पता लग गया तो ?"" तो क्या ? मैं उन्हें एसा सबक सिखाऊँगी कि सारी ऊमर याद रखेंगें " वो बहुत आवेश में थी । " तुझे पूरा यकीन है कि वे किसी अ
स्वर्गीय सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजली धारा 370, 35 a की समाप्ति है डॉ शोभा भारद्वाज 15 अगस्त 1947 देश आजाद हुआ अधिकाँश प्रांतीय कांग्रेस समितियों के सरदार पटेल के पक्ष में होने के बाद भी गांधी जी कीइच्छा का सम्मान करते हुए नेहरू जी देश के प्रधान मंत्री बनाया गया ,पटेल उपप्रधान मंत्री एवं गृह मं
लघुकथा कसकदिन ढले काफी देर हो चुकी थी ।शाम, रात की बाहों में सिमटने को मजबूर थी । वो कमरे में अकेला था । सोफे का इस्तमाल बैड की तरह कर लिया था उसने । आदतन अपने मोबाईल पर पुरानी फिल्मों के गाने सुनकर रात के बिखरे अन्धेरे में उसे मासूमियत पसरी सी लगी । वो उन गानों के सुरीलेपन के बीच अपने तल्ख हुए सु
ओ मेरे दोस्त मत रूठ जाना,ये शरीर बेजान हो जायेगा २ तू जिए हजारो साल मेरी उमर तुझे लग जाये ,पता नही मेरे मरने का तुफान कब आयेगा।