14/8/2022प्रिय डायरी, आज शब्द.इन का शीर्षक है हर घर तिरंगाआजादी के इस अमृत महोत्सव में हर घर तिरंगा अभियान से जुड़ते हम देशवासी
हिन्द के हिंदुस्तानी हम, हिन्द की शान बढ़ाए।कर्मभूमि से जुड़े रहे हम, देश का मान बढ़ाए।। 1हिन्द हिन्दू सौराष्ट्र हम, मातृभाषा पे गर्व करे।गर्व अपनी संस्कृति पर, सरलता से व्यक्त करे।। 2ध्वजा हमारा है त
मैं अबला नहीं, सबला बनना चाहती हूं; मैं आज बॉलीवुड में पनप रहे ,अपराधों का भंडाफोड़ करना चाहती हूं।बॉलीवुड पर कुछ गुंडों का, एकाधिकार मिटाना चाहती हूं।बॉलीवुड हमारी संस्कृति और राष्ट्रप्रेम ,युवा वर्ग की प्रगति का दुश्मन जो ठहरा;उसे सुधारने
प्राचीन शिक्षा पद्धति का विलोपन, नवीन शिक्षा पद्धति का आगमन; ऋषि मुनियों द्वारा प्रदत्त शिक्षा ,गुरुकुल पद्धति वाली शिक्षा को नमन;आश्रम में रह कर गुरु और गुरुमाता की सेवा करते हुए शिष्यों का होता अध्ययन;किताबी ज्ञान के साथ साथ वास्तव में मिल
कट्टर पंथियों द्वारा राम मन्दिर के भूमि पूजन के खिलाफ प्रोपगंडा डॉ शोभा भारद्वाज 'ऑल इंडिया इमाम एसोसियेशन के मौलाना साजिद रशिदी टीवी डिबेट में कहते थे राम मंदिर बनाइये कौन मना करता है ,मन्दिर वहीं बनायेंगे तारीख नहीं बतायेंगे| जब मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ उनके विचार अलग थे मौलाना ने कहा
*इस संसार में मनुष्य जैसा कर्म करता उसको वैसा ही फल मिलता है | किसी के साथ मनुष्य के द्वारा जैसा व्यवहार किया जाता है उसको उस व्यक्ति के माध्यम से वैसा ही व्यवहार बदले में मिलता है , यदि किसी का सम्मान किया जाता है तो उसके द्वारा सम्मान प्राप्त होता है और किसी का अपमान करने पर उससे अपमान ही मिलेगा |
मेरा न्यारा देश है ये भारतदीप जले घर-घर, हर आँगनरंग-बिरंगी सजी रंगोली द्वारों परप्रिये का श्रृंगार देख, इठलाये साजनविजय-ध्वजा फहरे हर चौबारेवीरों का ये देश राष्ट्र की सीमा संवारेपाई हर बच्चे ने आज महारथदेश-प्रेम से बड़ा न कोई स्वारथजग-मग करता मेरा प्यारा भारतस्वरचित ©®★★★★★★★★★★★★★★प्रेरणात्मक सृजन
*किसी भी परिवार , समाज एवं राष्ट्र को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए नियम एवं संविधान की आवश्यकता होती है , बिना नियम एवं बिना संविधान के समाज एवं परिवार तथा कोई भी राष्ट्र निरंकुश हो जाता है | इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजों की दासता से १५ अगस्त सन १९४७ को जब हमारा देश भारत स्वतंत्
*किसी भी देश का भविष्य युवाओं को कहा जाता है | युवा शक्ति राष्ट्र शक्ति के रूप में जानी जाती है | भारत के संपूर्ण जनसंख्या का एक चौथाई हिस्सा आज युवा वर्ग है | छात्रों को राष्ट्र का भविष्य एवं भाग्यविधाता कहा जाता है छात्र समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | विद्यालय में रहकर सामाजिकता , नैति
*आदिकाल से ही से ही इस धराधाम पर अनेकों योद्धा ऐसे हुए हैं जिन्होंने अपनी शक्तियों का संचय करके एक विशाल जनसमूह को अपने वशीभूत किया एवं उन्हीं के माध्यम से मानवता के विरुद्ध कृत्य करना प्रारंभ किया | पूर्वकाल में ऐसे लोगों को राक्षस या निशाचर कहा जाता था | इनके अनेक अनुयायी ऐसे भी होते थे जिनको यह न
राष्ट्र का नेता कैसा हो?जो रहें लिप्त घोटालों में,जिनके चित बसे सवालों में,जिह्वा नित रसे बवालों में,दंगा झगड़ों का क्रेता हो?क्या राष्ट्र का नेता ऐसा हो?राष्ट्र का नेता कैसा हो?जन गण का जिसको ध्यान नहीं,दुख दीनों का संज्ञान नहीं,निज थाती का अभिज्ञान नहीं,अज्ञान हृदय में सेता हो,क्या राष्ट्र का नेता
राष्ट्रवाद, राष्ट्रभक्ति, राष्ट्रप्रेम सियासतदानों का धतूरा है जिसे चटा कर सियासतदान अपनी सियासत पर पकड़ बनाये रखना चाहते है. सिकंदर ने ग्रीक लोगो को चटाया, नेपोलियन ने फ्रांसीसियों को, हिटलर ने जर्मनियों को , मोसलनी ने इटली के लोंगो को, जापान के समुराइयों ने
*हमारा भारत देश ‘विविधता में एकता’ वाला देश है । यहाँ पर विभिन्न धर्मो व सम्प्रदायों के लोग रहते हैं । सभी की अपनी-अपनी भाषाएं, रहन-सहन, वेशभूषा, रीति-रियाज, वेद-पुराण एवं साहित्य है । सब की अपनी-अपनी संस्कृति है । सभी लोगों की संस्कृति उनकी पहचान बनाये हुये है । संस्कृति के प्रकाश र्मे ही भारत अपने
यह राष्ट्र मुझे करता अभिसींचित् प्रतिपल मलय फुहारों से , प्रतिदानों में मिले ठोकरों , धिकारों, दुत्कारों से , जो लूट रहे मुझको हर क्षण ,उन कायर कुधारों से , विविध द्रोहियों के विषबाणों , कुटिलता के कलुषित वारों से | गाँव ,समाज के लोग असहाय , क्यों नैतिकता फूट रही, अभी कल तक जन-जन सहाय,क्यों आज सत्
राष्ट्र गान देशभक्ती की चेतना अवश्य जगाएगा " एक बालक को देशभक्त नागरिक बनाना आसान है बनिस्बत एक वयस्क के क्योंकि हमारे बचपन के संस्कार ही भविष्य में हमारा व्यक्तित्व बनते हैं।" सुप्रीम कोर्ट का फैसला , सिनेमा हॉल में हर शो से पहले राष्ट्र गान बजाना अनिवार्य होगा। हमार
तिरंगे के आड़ में तिरंगे के आगे सर उठाते होऔर भ्र्ष्टाचार में गिर जाते हो जन - गण का गान भी गाते हो और मिथ्या लबों पे लाते हो वीर - शहीदों पर श्रद्धा - सुमन लुटाते हो और दिल में कुस्वार्थ बसाते होलोकतंत्र में सेवा दिखाते हो और जनता से कर चुकवाते हो पर एक तिरंगा और राष्
तुर्की ने अपने लोकतंत्र को बचाया या वो धार्मिक कट्टरता की ओर बढ़ रहा है ?तुर्की में जो कुछ हुआ उस पर सीधे सीधे कोई राय कायम कर लेना थोड़ी जल्दबाजी होगी ! क्या वास्तव में तुर्की की जनता अपने लोकतंत्र को बचाने के लिए सेना से भिड़ गई ? इस पर भ्रम पैदा हो रहा है तो उसके कारण हैं ! सवाल कई हैं जैसे की किस
ये सत्य है की पुरे विश्व मैं मोदी जी ने यात्राये करके भारत का नाम रोशन कर दिया... पर सत्यता यह भी है की भारत मैं एक आम आदमी अभी भी जैसा पहले था वैसा ही अभी भी है बल्कि महंगाई बढ़ने के कारण ओर ज्यादा परेशान …. राष्ट्र धर्म संस्कृति विरोध ,, दंगो के कारण असुरक्षित ।... हमको दूसरे ल