छत्तीसगढ के स्कूलों में अब नहीं ली
जा सकेगी मनमानी फीस !
वैसे तो देशभर में स्कूल फीस अभिभावकों के लिये एक समस्य बनती आई है लेकिन अब कम से कम छत्तीसगढ सरकार ने तो इसपर संज्ञान लिया है: पालकों की समस्याओं को समझते हुए विधानसभा के मानसून सत्र में छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन विधेयक 2020 बहुमत से पारित हो गया है इससे अब स्कूलों में फीस तय करने का काम स्कूल नहीं उसमें पढने वाले बच्चों के अभिभावक तय करेंगे इसके लिये एक समिति बनाई जाएगी, वही निजी स्कूलो की फीस तय करेगी:पालकों की शिकायत को दूर करने और फीस को नियंत्रित करने विधेयक लाया गया है: फीस पर नियंत्रण रखने के लिए तीन समिति बनेगी,यह समिति स्कूल, जिला और राज्य स्तर पर बनाई जाएगी: विद्यालय फीस समिति का अघ्यक्ष जिले का कलेक्टर होगा: समिति में कलेक्टर द्वारा नामांकित नोडल अधिकारी, प्राथमिक शाला, माध्यमिक शाला, उच्च माध्यमिक शाला और उच्चतर माध्यमिक स्कूल से एक-एक अभिभावक सदस्य होंगे जबकि संबंधित अशासकीय विद्यालय के प्राचार्य सदस्य सचिव होंगे:कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला फीस समिति के सदस्यों व कलेक्टर द्वारा नामांकित एक लेखा अधिकारी अथवा कोषालय अधिकारी, एक शिक्षाविद्, एक कानूनविद्, अशासकीय विद्यालय के दो अभिभावक सदस्य, अशासकीय विद्यालयों के प्रबंधक के दो व्यक्ति सदस्य होंगे: जिला शिक्षा अधिकारी इस समिति का सदस्य सचिव होगा:राज्य फीस समिति के अध्यक्ष स्कूल शिक्षा विभाग के भारसाधक मंत्री होंगे: समिति में आयुक्त या संचालक लोक शिक्षण, संचालक लोक शिक्षण के वित्त नियंत्रक अथवा संयुक्त संचालक वित्त सदस्य रहेंगे: स्कूल शिक्षा विभाग के भारसाधक सचिव इस समिति के सदस्य सचिव होंगे: एक तरह से यह एक बडा समूह होगा जो स्कूल की फीस तय करने में निर्णायक भूमिका अदा करेगा: नये नियम के अनुसार विद्यालय प्रबंधन समिति के सभी सदस्य व्यक्तिगत तथा संयुक्त रूप से अधिनियम के प्रावधानों का पालन करने के लिए जिम्मेदार होंगे: यदि विद्यालय प्रबंधन समिति इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के किसी प्रावधान का उल्लंघन करती है तो विद्यालय प्रबंधन समिति का प्रत्येक सदस्य सक्षम न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध होने पर प्रथम उल्लंघन के लिए 50 हजार रूपए या इस अधिनियम के अधीन सक्षम समिति द्वारा निर्धारित फीस के आधिक्य में ली गई रकम का दोगुना, जो भी अधिक हो, का जुर्माना लिया जाएगा: प्रत्येक पश्चातवर्ती उल्लंघन के लिए एक लाख रूपए या इस अधिनियम के अधीन सक्षम समिति द्वारा निर्धारित फीस के आधिक्य में ली गई रकम का चार गुना जो भी अधिक हो, का जुर्माना होगा: इस धारा के अंतर्गत प्रकरणों का विचारण सक्षम न्यायालय द्वारा किया जाएगा: अधिनियम के अंतर्गत समितियों में नामांकित सदस्यों का कार्यकाल सामान्य रूप से दो वर्ष का होगा, परन्तु कलेक्टर द्वारा उन्हें किसी भी समय बिना कारण बताए कार्यकाल समाप्ति के पूर्व भी हटा सकेंगे: गठित समिति के सदस्यों को किसी भी प्रकार के वेतन अथवा भत्तों की पात्रता नहीं होगी:राज्य फीस समिति अशासकीय विद्यालय द्वारा ली जाने वाली फीस के संबंध में नीति निर्धारित कर सकेगी और अन्य समितियां इस प्रकार निर्धारित नीति के अनुरूप फीस निर्धारित करेंगी इस अधिनियम के प्रारंभ होने के पूर्व से संचालित समस्त अशासकीय विद्यालयों का प्रबंधन इस अधिनियम के प्रारंभ होने के एक माह के भीतर और इस अधिनियम के प्रारंभ होने के एक माह बाद खुलने वाले समस्त अशासकीय विद्यालयों का प्रबंधन ऐसे अशासकीय विद्यालयों के खुलने के तीन माह के भीतर अशासकीय विद्यालयों के द्वारा ली जाने वाली फीस के अनुमोदन हेतु प्रस्ताव विद्यालय फीस समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगी: यह समिति प्रस्ताव पर अपना निर्णय एक माह के भीतर लेगी: एक बार सक्षम समिति द्वारा फीस का अनुमोदन हो जाने के बाद, यदि अशासकीय विद्यालय का प्रबंधन फीस बढ़ाना चाहे तो उसे शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के कम से कम 6 माह पूर्व, सुसंगत अभिलेख सहित अधिनियम के तहत गठित विद्यालय फीस समिति के समक्ष फीस बढ़ाने का प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा: समिति यथा संभव तीन माह के भीतर फीस बढ़ाने के प्रस्ताव पर निर्णय देगी:विद्यालय फीस समिति विद्यालय की वर्तमान फीस में अधिकतम 8 प्रतिशत तक की वृद्धि का अनुमोदन कर सकेंगी परन्तु यदि समिति की राय में वर्तमान फीस में 8 प्रतिशत से अधिक वृद्धि किया जाना आवश्यक हो तो वह अपनी अनुशंसा के साथ प्रस्ताव जिला फीस समिति को अग्रेषित करेगी और विद्यालय फीस समिति से ऐसा प्रस्ताव प्राप्त होने पर जिला फीस समिति यथासंभव तीन माह के भीतर, उस पर निर्णय करके फीस का निर्धारण करेगी: अशासकीय विद्यालयों का प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत गठित सक्षम समिति द्वारा निर्धारित की गई फीस से अधिक नहीं लेगी: