स्वर्गीय सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजली धारा 370, 35 a की समाप्ति है
डॉ शोभा भारद्वाज
15 अगस्त 1947 देश आजाद हुआ अधिकाँश प्रांतीय कांग्रेस समितियों के सरदार पटेल के पक्ष में होने के बाद भी गांधी जी की
इच्छा का सम्मान करते हुए नेहरू जी देश के प्रधान मंत्री बनाया गया ,पटेल उप
प्रधान मंत्री एवं गृह मंत्री बनाये गये| उनकी पहली प्राथमिकता देसी
रियासतों (राज्यों) को भारत में मिलाना था उन्होंने कठिन कार्य को बिना रक्तपात के
कर दिखाया उन्हे भारत का लौह
पुरूष के रूप से सम्मानित किया जाता है | जर्मनी के
प्रधान मंत्री बिस्मार्क का जर्मनी के एकीकरण में योगदान था लेकिन विश्व के इतिहास
में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसने इतनी बड़ी संख्या में रियासतों को मिला कर मजबूत
राष्ट्र के गठन का साहस किया हो| 3 जून 1947 के प्लान के अनुसार हिंदुस्तान और
पाकिस्तान (पूर्वी पाकिस्तान जो आज बंगला देश के नाम से सम्प्रभु राष्ट्र है ) दो
राष्ट्रों का निर्माण होगा और आजादी के दिन से ब्रिटिश साम्राज्य में विलीन
रियासते भी आजाद हो जाएँगी वह स्वेच्छा से हिन्दुस्तान या पाकिस्तान में विलय कर
सकती हैं| इन 562 रियासतों
का क्षेत्रफल लगभग 40% था परन्तु सरदार पटेल ने रजवाड़ों को समझाया कुएं के मेढक न बन कर
भारत रूपी महासागर में विलय कर लो जूनागढ़ , हैदराबाद और जम्मू कश्मीर को छोड़ कर सभी रियासतों के रजवाड़ों ने भारत
में विलय स्वीकार कर लिया |
जूनागढ सौराष्ट्र
के पास एक छोटी रियासत चारों ओर से भारतीय भूमि से घिरी थी। वहाँ के नवाब ने 15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी जबकि सर्वाधिक जनता हिंदू थी और भारत में
विलय चाहती थी। नवाब के विरुद्ध बहुत विरोध हुआ तो भारतीय सेना जूनागढ़ में प्रवेश
कर गयी। नवाब भागकर पाकिस्तान चला गया और 9 नवम्बर 1947
को जूनागढ का भारत में विलय हो गया जनमत संग्रह में जनता ने भी
विलय का समर्थन किया था| हैदराबाद भारत की भारत भूमि से घिरी सबसे बड़ी रियासत थी, । वहाँ के निजाम ने पाकिस्तान के प्रोत्साहन
से स्वतंत्र राज्य का दावा किया और अपनी सेना बढ़ाने लगा। वह ढेर सारे हथियार आयात
कर रहा था पटेल को सूचना मिली बस्तर की रियासत में कच्चे सोने की खानें हैं जिसे निजाम
पट्टे पर खरीद कर अपनी शक्ति बढाना चाहता है । श्री पटेल के निर्णय द्वारा भारतीय सेना 13 सितंबर 1948
को हैदराबाद में
प्रवेश कर गयी। तीन दिनों के बाद निजाम ने आत्मसमर्पण कर नवंबर 1948 में भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर
लिया।
पंडित नेहरू के विरोध के बाद भी 13 नवम्बर को सरदार पटेल ने सोमनाथ के भग्न मंदिर
के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया, भव्य सोमनाथ
के मन्दिर का निर्माण हुआ दुःख आज तक अयोध्या में श्री राम का मन्दिर नहीं बन सका
देश का बहुसंख्यक समाज सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की प्रतीक्षा कर रहा है |
1950 में श्री पटेल नें पंडित नेहरू को एक पत्र कर
नेहरू जी को चीन तथा उसकी तिब्बत के प्रति नीति से सावधान किया था, चीन का रवैया
कपटपूर्ण, विश्वासघाती एवं भविष्य में भारत का दुश्मन सिद्ध होगा बतलाया था।
तिब्बत पर चीन का कब्जा नई समस्याओं को जन्म देगा लेकिन नेहरू जी के अपने स्वप्न
थे जिसका परिणाम 1962 में चीन द्वारा थोपे गये युद्ध द्वारा भुगता |1950 में ही गोवा की स्वतंत्रता के संबंध में चली दो घंटे की
कैबिनेट बैठक में लम्बी वार्ता सुनी पटेल ने नेहरू जी से पूछा था "क्या हम
गोवा जाएंगे,
केवल दो घंटे की
बात है।" नेहरू जी को उनका कथन नागवर गुजरा था | उनकी इच्छा अधूरी रह गयी
गोवा नेहरू जी के कार्यकाल में आजाद हुआ लेकिन 1961 में |
कश्मीर - 5 अगस्त
2019
का दिन संसदीय इतिहास का महत्वपूर्ण दिन रहा राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह
द्वारा जम्मू कश्मीर की धारा 370 ,35A को समाप्त करने का प्रस्ताव लाया गया धारा के हर
पहलूओं पर विचार किया गया प्रस्ताव जम्मू कश्मीर की आम जनता के हित में है लेकिन
सरकार के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं था सांसदों ने पार्टी लाइन से हट कर देश हित
में धारा 370 ,35 A हटाने के पक्ष में
वोट दिया राज्यसभा में पास होने के बाद दूसरे दिन लोकसभा में प्रस्ताव पर जम कर
बहस हुई कुछ कांग्रेसी सांसदों ने पुन : सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया धारा ‘370 एवं 35A ,’ ‘370’ सांसदों
के समर्थन से पास हो गया लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया जम्मू
कश्मीर प्रदेश में लद्दाख के पास अधिक बड़ा भूभाग है लेकिन बजट का अधिकाँश हिस्सा
घाटी के पास चला जाता वहाँ भी दूर दराज
गाँवों तक विकास पहुँचाया नहीं गया केवल तीन परिवारों के हाथों में सत्ता रहती थी भारत
सरकार का बजट उनकी शान शौकत में खर्च हो जाता था कश्मीर के अलगाव वादी भी शानदार
शाही जीवन बिताते हैं उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित एवं शानदार था अन्य बच्चों
के हाथ में पत्थर जेहादी बनने की शिक्षा | अलगाव वादियों के नेतृत्व में पाकिस्तान
ज़िंदाबाद के नारे घाटी में गूँजते थे भारत सरकार के हिस्से में केवल गालियाँ थीं | धारा 370 हटाने के बाद कश्मीर में चाक चौकंद व्यवस्था की गयी लद्दाख की
जनता ने धारा हटाने का स्वागत किया गया जम्मू भी शांत रहा लेकिन घाटी में विरोध का
भय था, छुट पुट घटनाओं को छोड़ कर अन्य शान्ति हैं|
धारा 370 कश्मीरी लीडर शेख अब्दूल्ला के प्रभाव से
राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद द्वारा जारी अध्यादेश द्वारा अस्थायी रूप से संविधान
में जोड़ी गयी इसमें धारा 358 के अनुसार संविधान संशोधन के नियमों का पालन नहीं
किया गया था |
370
धारा को अधिकांश
विशेषज्ञ राजनीति क भूल मानते हैं पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का
मानना था कश्मीर की जनता विशेष दर्जा पाकर जनमत संग्रह की स्थिति में भारत के पक्ष
में वोट देगी |
पाकिस्तान का
निर्माण धर्म के आधार पर हुआ था ? कश्मीरी उसके साथ विलय को स्वीकार नहीं करेंगे कहते हैं शेख
अब्दुल्ला की भी यही धारणा थी पाकिस्तान में इस्लामिक ताकते सिर उठा लेंगी उनकी
राजनीति भारत में ही चल सकेगी| वह नेहरू जी को प्रभाव में लेकर कश्मीर के लिए विशेषाधिकारों के लिए दबाब डाल
रहे थे जबकि संविधान निर्माता डॉ अम्बेडकर दूरदर्शी थे उन्होंने शेख अब्दुल्ला का
विरोध करते हुए विशेषाधिकार का समर्थन नहीं किया| शेख फिर नेहरूजी से मिले उन्होंने उन्हें गोपाल स्वामी आयंगर के पास भेजा |नेहरू जी ने शेख के प्रस्ताव को अपनी
प्रतिष्ठा से जोड़ लिया अंत में वही हुआ जो शेख चाहते थे वह कश्मीर को अपने परिवार
की जागीर बनाना चाहते थे अब तक तीन परिवारों का कश्मीर पर वर्चस्व रहा है
21 अक्टूबर 1947 लगभग 5000 नौर्थ वेस्ट फ्रंटियर पाकिस्तान ,के शस्त्रों से लैस कबायलियों ने पुंछ से
कश्मीर पर कब्जा करने के लिए हमला किया वह श्री नगर से 35 किलोमीटर दूर
थे| डिफेन्स कमेटी
मीटिंग चल रही थी इसमें कश्मीर की सरकार द्वारा भेजा गया टेलीग्राम पढ़ा गया कश्मीर
घाटी संकट में है उसकी रक्षा के लिए तुरंत मदद की जरूरत हैं |सरदार पटेल
बेचैन थे लार्ड माउंटबेटन
भारत के गवर्नर जरनल थे उनका गेम प्लान शुरू हो गया| उनकी रूचि कश्मीर की भौगौलिक स्थिति के महत्व पर थी यहाँ के गिलगित प्रदेश से पाचँ राष्ट्रों की सीमाएं मिलती थी चीन
पाकिस्तान अफगानिस्तान भारत और सोवियत रशिया अब टूट चुका है |
माउंट बेटन ने
तर्क दिया जम्मू कश्मीर सम्प्रभु राज्य है महाराजा ने भारतीय संघ के साथ विलय
स्वीकार नहीं किया है तुरंत सरदार पटेल ने वी.के मेनन को वास्तविक स्थिति जानने के
लिए विमान द्वारा श्रीनगर भेजा मेनन अगले दिन ही कश्मीर की वास्तविक स्थिति की
जानकारी,
कश्मीर के
महाराजा द्वारा हस्ताक्षर किया गया विलय का पत्र और ‘शेख अब्दुल्ला’ प्रभाव शाली नेता ,नेशनल कांफ्रेंस कश्मीर के अध्यक्ष का विलय की स्वीकृति का ले आये यदि श्री नगर के
एयर पोर्ट पर कबायलियों का कब्जा हो जाता कश्मीर में सशस्त्र सेनायें उतारना
मुश्किल था , कबायली लूटपाट करने लगे 26 अक्टूबर की शाम को होने वाली मीटिंग में माउंट बेटन ने जवाहर लाल नेहरु को
समझाया कश्मीर का विलय स्थिति सुधरने के बाद जनमत से स्वीकार किया जाये नेहरू ने
बिना किसी हिचक के प्रस्ताव तुरंत स्वीकार कर लिया अब श्री पटेल मजबूर थे| एक
कूटनीतिक भूल का परिणाम |एक ऐसी कूटनीतिक भूल जिसे आज तक देश भुगत रहा
है कश्मीर की धरती खून से रंगी जा रही हैं |
कश्मीर युद्ध का
अखाड़ा बन गया पहली नवम्बर को माउंटबेटन जिन्ना से बात करने लाहौर गये उन्होंने
जिन्ना से पूछा युद्ध विराम की स्थिति में क्या कबायली लौट जायेंगे? जिन्ना का उत्तर था पहले भारतीय सेनायें
लौटें |
जिन्ना चाहते थे
दोनों गवर्नर जनरल मिल कर जनमत संग्रह करवा लें माउंटबेटन जानते थे गृह मंत्री
सरदार पटेल हैं |एक और बड़ी भूल लार्ड माउंटबेटन के प्रभाव से नेहरू जी ने की एक
जनवरी 1948
कश्मीर का मामला
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पास भेज दिया यहीं से समस्या का
अंतर्राष्ट्रीकरण हो गया विश्व शक्तियाँ के दखल के कारण समस्या का हल मुश्किल था
सुरक्षा परिषद में पास होने वाले प्रस्तावों पर सोवियत रूस के वीटो की जरूरत
पड़ती थी |समस्या का निराकरण के लिए तीसरी शक्ति की
मध्यस्थता के प्रस्तावों से छुटकारा नेहरू जी की बेटी देश की प्रधान मंत्री इंदिरा
जी ने दिलवाया बंगलादेश युद्ध के बाद इंदिरा जी और श्री भुट्टो के बीच वार्ता के
दौरान इंदिराजी ने दबाब से शर्त मनवाई कश्मीर की समस्या का हल अब आपसी बातचीत से
निकाला जाएगा |
महान राजनीतिज्ञ एवं कूटनीतिज्ञ सरदार
साहब ने 15 दिसम्बर 1950 ,आँखें मूंद ली अब नेहरू जी पर कोई दबाब नहीं था| आजादी के वर्षों बीत जाने के बाद उन्हें भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित किया
गया लेकिन भारत के इतिहास में उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में अमर है |31 अक्टूबर
2018 ,उनका स्मारक उनकी याद में ‘स्टेचू आफ यूनिटी’ राष्ट्र को समर्पित किया गया उसकी
विशालता दर्शाती हैं कैसे महान नेता ने भारत को एक जुट किया था |