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gazal

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अपनी इस बेचैनी को खत्म कर कुछ बोलना चाहिए। कुछ हमे कुछ तुम्हे बोलना चाहिए। रात का वक्त और लंबा सफर, थोड़ी देर हमे ठहर जाना चाहिए। रिश्तों में मिठास रखने के लिए, एक दूसरे के घर जाना चाहिए। जिंदगी

तेरे ग़म उठाने के लिए जिये जा रहा हूँ,तेरे दिए इन ज़ख्मों को सिये जा रहा हूँ,यूँ तो ऐ ज़िंदगी तुझसे शिकवे थे हज़ारों,फ़िर भी मैं जीने का मज़ा लिये जा रहा हूँ।           

मेरे दिल में अभी भी है, लेकिन किस्मत से निकल गयी है, कल राह में मिला था उससे, वो कितनी बदल गयी है.उसके हाथों में चुड़ियाँ, और मांग में सिंदूर देखकर, मेरी आँखें फटी की फटी रही,

ढल गया हुस्न-ए-बारात अब पूछे कौन उसके हालात अब हम ही थे क्या असल उसके मलता ना रह गया हाथ अब

मांगते हैं जो नहीं पाते हैं जान अपना वो नहीं पाते हैं जान खोने से क्या डरना आख़िर अपना जो है खो नहीं पाते हैं

उसने फिर से कसम अपनी भी तोड़ दी उसने सच्ची कसम खानी ही छोड़ दी सब ने सब के दिलों की तो की, होड़ की सब ने अपने दिलों की सुनी छोड़ दी हाथ उसने मिलाया हमें फिर से जब उसने उँगली ‌भी फिर से वही मोड़ दी

जब तेरी बात आती है बस तेरी याद आती है मुझ से कुछ भी नहीं आता बस तेरी बात आती है कौन ये बात मानेगा दिन में भी रात आती है मैने दिल खोल के देखा और तू हाथ आती है

बिना मय के शराबी भी रहे थे हम ये आख़िर कौन सी मय पी रहे थे हम तुम्हे ये जान कर हैरानी तो होगी बिना कैसे तुम्हारे जी रहे थे हम थे इतने तेज प्यासे करते भी तो क्या अभी तक प्यार में ही पी रहे थे

एक हॅंसी नाम जोड़े जा रहे हैं हम भी आहिस्ता से छोड़े़ जा रहे हैं ये भी आख़िर कैसी मोहब्बत है जानाॅं लोग हैं के फूल तोड़े जा रहे हैं थी मुझे उससे मोहब्बत जानती थी और हम पागल से दौड़े जा रहे हैं

कुछ फॅंसा देखने जाल में लग गया डंक़ इक मखमली खाल में लग गया रात में मोम बत्ती बुझाते हुए मोम सा एक बदन गाल में लग गया

हाथ पर वो हाथ रखना आपका और ऊपर से दुपट्टा आपका बाल खुल जाना अचानक आपके मारने का है इरादा आपका आपको ही लोग देखेंगे न सब ख़ूबसूरत जो है चहरा आपका हर गली में हैं यहाॅं घर आपके शहर पूरा है मुहल्ला आपका

इस डर से किनारे पे उतर जाना था क़िस्मत में लिखा डूब के मर जाना था दीवानगी ले डूबी हमें दुख है ये उस नाव से औरों को भी घर जाना था हम एक मुसाफ़िर थे यहाँ धरती पर घर थोड़ी बनाना था गुज़र जाना था

याद कर रोए एक आध दुख-दर्द हम टूट कर गिर गईं डालियाँ वर्द हम रात भर चुभती इक जिस्म की रौशनी ओढ़ कर सो गए एक हम-दर्द हम कैसे जी पाएगा दिल हमारा कहीं है मोहब्बत सबा जिस के पर्वर्द हम

क्या और चाहिए मेरी जान के सिवा सब कुछ पड़ा हुआ गिरवी जान के सिवा दिल है मेरा किसी का पहले ही और तुम क्या माँस का करोगी भी जान के सिवा

तिश्नगी यूॅं आस में बुझती हुई है इक नदी जो गाॅंव की सूखी हुई है तेल से ऑंखें बदन नहला रहीं हैं आग मेरे पास में बैठी हुई है

🌸🌸💮💮🏵️🏵️🌻🌻☘️☘️🍃🍃🌿🌿🌱🌱🌷🌷मुसीबत के क्षण में ,पल गुजारें कैसे ,खुशी भी है ,गम भी हैसमझ में आता नहीं ,सवारें कैसे ॥               हंसना होता तोखुल कर

💖💛💫🌟✨💛💚💙💜💘❤️💙💚💛सुनहरी शाम की राहों में तेरी उंगली थामें चलता रहा !तेरे सहारे से गीर कर संभलता रहा !!मैने सोचा था अपने हाथों से , तुम मोहब्बत  की दो घुँट जाम पिलाओंगी !इस सुनहरी शाम को

❤️💘💝💖♥️💚💙🧡💛💜💓💗अर्ज किया है . . .तुझसे तेरा दिवाना ....उसकी इक ख़्वाहिश पूरी कर दो ....दो घड़ी ही सही पर , ....आज़ाद कर दो ज़ुल्फो को ....इन कम्बख्त क्लिपों से ....उड़ने दो इन्हें हवाओं में .

💘💘❤️❤️🌷🌻🏵️🌼🌹🌺🌾💮🌴🍀🍀ये कोई अपने ऊपर ना ले । आज के जेनरेशन को देखते हुए लिखा है ।वो लोगों के बीच अपना हाल -ए दिल बयां करते हैं ।हाँ है उन्हें  किसी से बेपनाह मोहब्बत ये ऐलान करते हैं॥फि

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