मुझे ख़ामोश रहने दोएक दिन खो जाऊंगा मैंअगर ये सच हैतो फिर बताओ कि झूट क्या हैआज मैं "अश्विनी" गयातो लौट के फिर ना आऊंगा...
श्री गुरु गोविन्द सिंह जी प्रकाश पर्व डॉ शोभा भारद्वाज पहले मरन कबूल कर जीवनदी छड़ आस श्री गुरु गोविंद सिंह जी का मूल मंत्र था यह तरक्की का मूल मंत्र हैउन्होंने वीरों की वीरता का आह्वान करते हुए निराश देश में ऐसी हुंकार भरी हर बाजूफड़क उठीचिड़ियाँ तो मैं बाज लड़ाऊँ ,सवा लख से एक लड़ाऊँ ,ताँ गोविन्दसिं
जिंदगी माँग ले।हम तो यारा एवन साइकिल के, तू माँग करे, कार फरारी की। ऐसा युग जिसमे, इंसान, इंसान से डरे कोरोना महामारी से। अपने अपने साधन खोज लो, न डिमांड करो जागवारा की।आदमी की कीमत से ज्यादा, गैस तेल पानी महंगा हो गया।इस दौर के वायरस से, अपना, अपने से पराया हो गया।इस मौत के तांडव से, जीवन देने वाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘अचानक’ ‘‘लेह’’ (लद्दाख) की 11000 फुट की उंचाई पर स्थित अग्रिम चौकी ‘‘नीमू’’ पंहुचकर सैनिकों के बीच ‘‘दम’’ भर कर सेना की हौसला अफजाई की। यह कहकर कि ‘‘बहादुरी और साहस शांति की जरूरी शर्ते है, दुश्मन ने हमारे जवान की ताकत व गुस्से को देखा है‘‘। उक्त दौरे के बाद कांग्रेस क
*गुम हो गए संयुक्त परिवार**एक वो दौर था* जब पति, *अपनी भाभी को आवाज़ लगाकर* घर आने की खबर अपनी पत्नी को देता था । पत्नी की छनकती पायल और खनकते कंगन बड़े उतावलेपन के साथ पति का स्वागत करते थे । बाऊजी की बातों का.. *”हाँ बाऊजी"* *"जी बाऊजी"*' के अलावा दूसरा जवाब नही होता था ।*आज बेटा बाप से बड़ा हो गया
क्या यह हॉर्न जरुरी था/है ?आप कार चला रहे हैं. चलते चलते आप ने देखा कि आप ट्रैफिकजाम में फंस गए हैं. आप हॉर्न पर हॉर्न बजा रहे है; .....अफ़सोस कोई फायदा नहीं होरहा है; आप तो जाम में ही हैं. परन्तु क्या आप, कभी सोचते हैं कि क्या ये हॉर्न
भारतीय उद्यमी सिमरन सेठी भोला उर्फ सिमिलिशियस, जो अपने टिक टोक वीडियो के माध्यम से दर्शकों से अपार प्यार प्राप्त किया है।टिक टोक किशोरों और यहां तक कि वयस्कों के बीच एक बहुत लोकप्रिय मोबाइल एप्लिकेशन है, जो ऐप पर मनोरंजक सामग्री में आराम करने और उलझाने में अपना खाली स
न वर्दी, न तिरंगा, यह तो खूनी कफ़न हैं ।वर्दी मे हसता खिलखिलाता मेरा सपूत दिखता हैं वह चेहरा मेरी आंखो मे चमकता हैं। उसकी बाजुओ मे लटकती बंदूक खिलौना लगती हैं। वह उस खिलौने से न खेल सका। वह उस पल को न समझ सका न खेल सका, अपनी पत्नी, माँ, बच्चों को छोड़ गया, रोने की किलकारी सब मे, लिपटे कफ़न तिरंगे मे
वज़्न---122 122 122 122✍️अर्कान-- फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन✍️ क़ाफ़िया— आते स्वर की बंदिश) ✍️रदीफ़ --- बड़ी सादगी से "गज़ल"हँसा कर रुलाते बड़ी सादगी सेखिलौना छुपाते बड़ी सादगी सेहवा में निशाना लगाते हो तुम क्यों पखेरू उड़ाते बड़ी सादगी से।।परिंदों के घर चहचहाती खुशी हैगुलिस्ताँ खिलाते बड़ी सादगी से।।शिकारी कहू
नई दिल्ली (एजेंसी)। हर किसी का सपना होता है कि उसके पास एक बेहतरीन कार हो जिसमें वो अपने पूरे परिवार के साथ घूम सके। आज हम आपको यहां एक ऐसी कार के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे खरीदने के बारे में आम इंसान सपने में भी नहीं सोच सकता और ये कार इतनी खास है कि इसमें सारी सुविधाएं भी मौजूद हैं। हम जिस खा
क़ाफ़िया— ई स्वर कीबंदिश, रदीफ़- सादगी से"गज़ल" रुला कर हँसाते बड़ी सादगी सेगुलिस्तां खिलातेअजी सादगी सेहवा में निशानालगाने के माहिरपखेरू उड़ाते दबीसादगी से।।परिंदों के घर मेंनहीं मादगी परहिला डाल देते मिलीसादगी से।।शिकारी कहूँ याअनारी कहूँ तुम सजाते हो महफ़िलदिली सादगी से।।लपक जा रहे थे उड़ेथे फलक कोबिना
जिससे कम्पनी एक बार फिर से भारतीय बाजार में लांच करने वाली है। हम आपको बता दे हिन्दुस्तान एम्बेसडर 90 के दशक में लोगो के दिलो में राज करती थी इतना ही नहीं इस कार को अभी तक कई लोगो ने संभाल के रखा होगा।90 के दशक में इस कार की लुक और मजबूती को टककर देने के लिए और कोई कार मौजूद नहीं थी। परंतु हिन्दुस्त
प्लास्टिक बॉटल्स से भी अब लोगों का अपहरण हो रहा है। हाल ही में साउथ अफ्रीका की एक सिक्युरिटी एजेंसी ने ये चौंकाने वाला खुलासा किया है। एजेंसी ने बताया कि किस तरह एक खाली पानी की बॉटल को कार के टायर के ऊपर फंसाकर कार ड्राइवर को भ्रमित कर दिया जाता है और जैसे ही ड्राइवर कार
रोल्स रॉयस दुनिया की वो कंपनी है जो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा शानदार और लग्जरी कारें बनाने के लिए जानी जाती है। अगर हम आपसे कहें कि सबसे महंगी कार की कीमत कितनी होगी तो शायद आपका जवाब 10-20 करोड़ रुपये होगा
देखें लाइव प्रयोग । पानी से चलेगी Bike,Car.शेयर करना ना भूलें । – RajivDixitMp3.Com
साइकिल थी तो धीरे धीरे मजे मजे में चलाते थे. गांव से शहर तक जाने में एक घंटा लग जाता था. अगर शहर की तरफ जाते जाते शहर से वापिस आता हुआ हरेंदर मिलता तो हम पैडल रोक लेते और बायां पैर सड़क पर टिका कर खड़े हो जाते थे. वो भी सड़क के दूसरी तरफ बाय