श्री गुरु गोविन्द सिंह जी प्रकाश पर्व
डॉ शोभा भारद्वाज
पहले मरन कबूल कर जीवन
दी छड़ आस श्री गुरु गोविंद सिंह जी का मूल मंत्र था यह तरक्की का मूल मंत्र है
उन्होंने वीरों की वीरता का आह्वान करते हुए निराश देश में ऐसी हुंकार भरी हर बाजू
फड़क उठी
चिड़ियाँ तो मैं बाज लड़ाऊँ ,सवा लख से एक लड़ाऊँ ,ताँ गोविन्दसिंह
नाम कहाऊ”
जिसने सोये निराशा में डूबे नौजवानों में जोश भर दिया
था .
इसी मूलमंत्र का उदाहरण है कहते हैं ईरान और
पाकिस्तान की सीमावर्ती शहर जाह्दान इसका नामकरण एक सिख के नाम पर रक्खा गया था पहले इस शहर का नाम दूजद आब था ( दूजद आब का
फ़ारसी में अर्थ चोर डकैत आब का अर्थ पानी ) पानी के पास बसे चोरों की बस्ती .
जाह्दान एक सूखा क्षेत्र है एक बार ईरान के शाह दुज्द आब प्रदेश गये वहाँ उन्हें
एक नेक दिल सरदार जी को सबके साथ अकेले रहते देख कर हैरानी हुई उन्होंने इस प्रदेश
का नाम उस सिख के नाम पर रख दिया जिन्हें वहाँ के बाशिंदे जहेदस –दा पायस कह कर पुकारते थे अत: प्रदेश का नाम ही जाह्दान हो गया.
महान गुरु गुरु गोविन्द सिंह की जयंती इस वर्ष 20 जनवरी को है
हिंदी कलंदर के अनुसार गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष मास के शुक्ल
पक्ष की सप्तमी तिथि को 1666 में पटना साहिब में
हुआ था इस दिन को सिख समुदाय गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाशपर्व
के रुप में मनाता है .उनके ओजस्वी स्वर पंजाब की धरती हुंकार की तरह गूँजे
थे .
“चूंकार अज हमा हीलते दर
गुजशत, हलाले
अस्त बुरदन ब समशीर ऐ दस्त।”’श्री गुरु गोविन्द सिंह जी’ का संदेश था
“सत्य और न्याय की रक्षा के
लिए आखिरी उपाय, हाथ
में शमशीर धारण करना ही रह जाता है”
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लिखना मेरा शोक है में 30 वर्षों से आकाश वाणी से जुडी हुई हूँ आज का विचार, और वार्ता मे भाग लेती हूँ लेख भेजती हूँऔर विचार रखती हूँ पांचवा स्तम्भ , सूर्या संस्थान द्वारा छपने वाली मैगजीन में मेरे लेख प्रकाशित होते हैं वर्तमान अंकुर अखबार में नितन्तर मेरे लेख छपते हैं जागरण जंगशन और नवभारत टाईम्स ब्लॉग में निरंतर लिखती हूँ अंतर्राष्ट्रीय विषयों और कूटनीति के विषयों में मेरी विशेष रूचि है वैसे राजनीती और किसी महान पुरुष के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालना मेरा प्रमुख उद्देश्य है मैने 10 वर्ष ईरान में उस समय परिवार सहित बिठाये हैं जब ईरान का शाह देश छोड़ कर जा चुके थे इस्लामिक सरकार ने किस तरह ईरान की जनता पर नियन्त्रण किया तथा ईरान इराक युद्ध देखा मैंने भारत पाकिस्तान सम्बन्धों पर पर रिसर्च की है विषय Anglo American Impact on the Indo Pak Relations और कुछ ख़ास नहीं, मुख्य शौक लेक्चर देना है ,लिखना मेरा शोक है में 30 वर्षों से आकाश वाणी से जुडी हुई हूँ आज का विचार, और वार्ता मे भाग लेती हूँ लेख भेजती हूँऔर विचार रखती हूँ पांचवा स्तम्भ , सूर्या संस्थान द्वारा छपने वाली मैगजीन में मेरे लेख प्रकाशित होते हैं वर्तमान अंकुर अखबार में नितन्तर मेरे लेख छपते हैं जागरण जंगशन और नवभारत टाईम्स ब्लॉग में निरंतर लिखती हूँ अंतर्राष्ट्रीय विषयों और कूटनीति के विषयों में मेरी विशेष रूचि है वैसे राजनीती और किसी महान पुरुष के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालना मेरा प्रमुख उद्देश्य है मैने 10 वर्ष ईरान में उस समय परिवार सहित बिठाये हैं जब ईरान का शाह देश छोड़ कर जा चुके थे इस्लामिक सरकार ने किस तरह ईरान की जनता पर नियन्त्रण किया तथा ईरान इराक युद्ध देखा मैंने भारत पाकिस्तान सम्बन्धों पर पर रिसर्च की है विषय Anglo American Impact on the Indo Pak Relations और कुछ ख़ास नहीं, मुख्य शौक लेक्चर देना है ,लिखना मेरा शोक है में 30 वर्षों से आकाश वाणी एवं टीवी चैनलों से से जुडी हुई हूँ आज का विचार, और वार्ता मे भाग लेती हूँ लेख भेजती हूँ और विचार रखती हूँ पांचवा स्तम्भ , सूर्या संस्थान द्वारा छपने वाली मैगजीन में मेरे लेख प्रकाशित होते हैं वर्तमान अंकुर अखबार में नितन्तर मेरे लेख छपते हैं में वरिष्ठ स्तम्भकार हूँ जागरण जंगशन और नवभारत टाईम्स ब्लॉग में निरंतर लिखती हूँ अंतर्राष्ट्रीय विषयों और कूटनीति के विषयों में मेरी विशेष रूचि है वैसे राजनीती और किसी महान पुरुष के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालना मेरा प्रमुख उद्देश्य है मैने 10 वर्ष ईरान में उस समय परिवार सहित बिठाये हैं जब ईरान का शाह देश छोड़ कर जा चुके थे इस्लामिक सरकार ने किस तरह ईरान की जनता पर नियन्त्रण किया तथा ईरान इराक युद्ध देखा मैंने भारत पाकिस्तान सम्बन्धों पर पर रिसर्च की है विषय Anglo American Impact on the Indo Pak Relations और कुछ ख़ास नहीं, मुख्य शौक लेक्चर देना है ,लिखना मेरा शोक है में 30 वर्षों से आकाश वाणी एवं टीवी चैनलों से से जुडी हुई हूँ आज का विचार, और वार्ता मे भाग लेती हूँ लेख भेजती हूँ और विचार रखती हूँ पांचवा स्तम्भ , सूर्या संस्थान द्वारा छपने वाली मैगजीन में मेरे लेख प्रकाशित होते हैं वर्तमान अंकुर अखबार में नितन्तर मेरे लेख छपते हैं में वरिष्ठ स्तम्भकार हूँ जागरण जंगशन और नवभारत टाईम्स ब्लॉग में निरंतर लिखती हूँ अंतर्राष्ट्रीय विषयों और कूटनीति के विषयों में मेरी विशेष रूचि है वैसे राजनीती और किसी महान पुरुष के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालना मेरा प्रमुख उद्देश्य है मैने 10 वर्ष ईरान में उस समय परिवार सहित बिठाये हैं जब ईरान का शाह देश छोड़ कर जा चुके थे इस्लामिक सरकार ने किस तरह ईरान की जनता पर नियन्त्रण किया तथा ईरान इराक युद्ध देखा मैंने भारत पाकिस्तान सम्बन्धों पर पर रिसर्च की है विषय Anglo American Impact on the Indo Pak Relations और कुछ ख़ास नहीं, मुख्य शौक लेक्चर देना है D