छंद – मनोरम (मापनीयुक्त ) मापनी - २१२२ २१२२
“गीतिका”
हम नहीं तो तुम नहीं हो
तुम नहीं तो हम कहीं हों
क्या फरक पड़ता बताना
हम हमी हैं तुम तुम्ही हो॥
दिल लगाकर देख लेना
दिल किसी का तुम वही हो॥
हम हमारे तुम तुम्हारे
जब किनारे बत कही हो॥
लौट आती हैं बहारें
हर दिशाएँ जब सही हो॥
तुम हमेशा तम तमाशा
क्या दिलाशा जम दही हो॥
वाह गौतम आस किससे
हम हकीकत तुम डही हो॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी