इज़हार...
हां तो बात आती है इज़हार की,
तो हम तुम्हारे साथ चलते कहीं दूर,
किसी कलकल बहती नदी के शांत किनारे पर ,
और थामते तुम्हारी हथेली को अपने हाथो में,
देखते तुम्हे शांत नजरो से एकटक,
और कहते तुम्हारी आंखों में आंखे डालकर,
कि हम बहुत प्यार करते हैं तुमसे,
नही कहते की जान दे देंगे तुम्हारे लिए,
मगर हां जब तक सांसे हैं हम तुम्हारे ही रहेंगे
तुम्हे सोचकर जिएंगे, मुस्कुराएंगे,
बस तुम्हे ही संजोकर रखेंगे ,
अपने मन की किताब में
बोलो क्या मुझको अपनाओगे ,
उम्र भर मेरा साथ बिना स्वार्थ के निभा पाओगे..?