बुआ जी के घर रहते हुए जीवन के विभिन्न रूप दिखे. गांव के लोगों का निश्छल जीवन था तब और आज की तरह वो राजनीती के शिकार नहीं हुए थे.
जिन्दगी के सफ़र में दुःख का आना जाना आम बात है। जो गुज़र गया उसे भुलाकर आगे बढ़ने का नाम जिंदगी है। हर रोज हर पल यहां कुछ खास होता है। उस खास को समझना और आगे बढ़ते रहना हि जिंदगी का फलसफा है। पाना खोना तो यहां साधारण है। हमने समाज को क्या दिया ये खास
जिंदगी में परेशानियां कितनी भी आएं कभी भी अपने आप को कमजोर मत पड़ने देना . याद रखना ये परेशानियां ही आप को मजबूत बनातीं हैं. ये बो सबक सिखा के जातीं हैं जो कोई किताब या ब्यक्ति नहीं सिखा सकता. और फिर भी समझ में न आये तो याद रखना. सूरज क
जिंदगी के दौर का अगर सबसे खूबसूरत क्षण होता हैं बचपन.... वो दोस्ती.... वो मस्ती... वो खेल.... वो दोस्तों से लड़ना.... वो दोस्तों के लिए लड़ना....।
इस पुस्तक में मेने अपनी पुरानी डायरी के कुछ पन्ने साँझा किए हैं। इसमें मेने अपने मां बनने के सुखद अहसास को और अपनी बेटी के बचपन को शब्दों में सजा कर व्यक्त किया है।
तीन दोस्त जिनकी उम्र लगभग 13'-14 वर्ष की थी। परीक्षा के पास वे तीनों एक दिन ट्रेन में बैठकर डोंगरगढ माता के दर्शन के लिये जाते हैं । ट्रेन मेँ तीनों रायपुर के बाद सो जाते हैं और उनकी नींद खुलती है ट्रेन के नागपुर पहुंचने के बाद। वे तीनों घबरा कर
मैं सहदेव सिंह एम ए बी एड ब्लागर, लेखक, कवि, मेरे लेख एवं कविताएं जीवन के व्यक्तिगत अनुभूतियों की प्रतिलिपी हैं । मैंने जिंदगी के हर दौर बहुत से उतर चढाव महसूस किए और उनसे जिंदगी का जो मतलब समझ आया वही लिखने को कोशोस किया । ३ अक्टूबर २०२० मेरे जीवन क
(गोस्वामी तुलसीदास) 🙏🙏 जय श्री राम🙏🙏 तुलसीदास का जन्म विक्रम संवत 1554 ई० क्षवण शुक्ल पक्ष सप्तमी मे उत्तर प्रदेश के सोरो नामक ग्राम में हुआ था। तुलसीदास के पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। तुलसी
एक छोटी सी घटना गुरु गोविंद सिंह के जीवनी से..
किताब के बारे मे यह किताब मेरे कॉलेज के दिनों की कहानी पर आधारित है | मेरे घर की आर्थिक स्तिथि अच्छी ना होने की वजह से बहुत सी समस्या का सामना करना पड़ा, मगर वामनकर मामाजी, बुआ, मिथिलेश भैया और अभिषेक भैया के सहयोग से मेरी हर मुश्किल आसान सी लगने लग
मनुष्य की हर अवस्था के अलग-अलग कहानियां होती है मनुष्य जब बच्चा होता है, जब किशोर होता है, जब युवा होता है, जब प्रौढ़ होता है जब मुझे बूढ़ा हो जाता है। युवावस्था मनुष्य के जीवन का दौर है,जब वो सपने देखता है, जब उसे लगता है कि से किसी से प्यार हो गया
लेखक के बारे मे मेरा जन्म 9 मार्च 1992 को गाँव बिरूल बाजार, जिला बैतूल, मध्यप्रदेश मे हुआ था | जब मै 5 वर्ष का था तब मेरी मम्मी का स्वर्गवास हो गया था | इस घटना का मानसिक रूप से मुझ पर बहुत प्रभाव पड़ा | मेरा बचपन, अन्य बच्चों की तरह खेलकूद, शरारत मे
हर दिन एक ही ढर्रे के बीच झूलती जिंदगी से जब मन ऊबने लगता है तो मन को कुछ सुकूं भरे पलों की तलाश रहती है। इसके लिए मैं यात्राओं को सबसे अच्छा विकल्प समझती हूँ, जो थके-हारे मन और दिल को तरोताजगी से भर लेते हैं। इन यात्राओं के दौरान हमें घर से बाहर बहु
हमारे आंगन की शान रही चारपाई ,शान चारपाई से नहीं उस पर बैठी हमारी अम्माजी से बढ़ती थी। 95 साल की उम्र में भी अम्माजी को दिनभर बिस्तर पर लेटे पड़े रहना पसंद ना था ,और ना ही दिन भर अपने बिस्तर बिछे रहने देती । अरे हां सच में आज की तरह दिनभर बिस्तर बिछे
एक ऐसा हादसा जिसने मेरे स्वभाव और मेरी सोच को बदल दिया..।
ये कहानी एक भाई बहन की है, जिसमें उनके माता-पिता बचपन में ही गुजर गये हैं और वो लङका भी अपंग है लेकिन बाद में वह लङका अपनी मेहनत से अपनी जिंदगी बदल देता है, लेकिन कैसे आइये जानते है ।।
इस पुस्तक में आपको कई महापुरुषों का जीवन और उनसे जुड़ी कई प्रसिद्ध घटनाओ को पढ़ सकते हैं