जिन्दगी एक वरदान भी, एक अभिशाप भी, एक पुण्य भी, एक पाप भी, औरों पर छोड़ी कुछ ने यहां छाप भी, जिन्दगी एक वरदान भी एक अभिशाप भी ...
इस कहानी को किताब का रूप देने का उद्देश सिर्फ यह है कि हम सभी के जीवन में अनेक किरदार जुड़ते हैं, उन किरदारों में से कई किरदार ऐसे भी होते हैं कि हमारे जीवन को प्रभावित कर जाते हैं, जिन्हें हम यादों के रूप में समेटे तो रहते हैं, लेकिन, कहीं ना कहीं
दोस्तों आज कि कहानी में मैं आपको एक फनी मोमेंट के बारे मे बताता हूँ.... बात हमारे कॉलेज एम•आर• शेरवानी इंटर कॉलेज सल्लाहपुर इलाहबाद जो अब प्रयागराज हो गया है तब कि है। हम 2015 बैच के स्टूडेंट थे कॉलेज मे हमारा लास्ट ईयर था।सारे स्टूडेंट अपनी तैयारी म
कुछ रिश्तों का ...ना नाम होता हैं.... ना पहचान होती हैं... ना कोई मोल होता हैं..।
किताब में संस्मरण, अनुभव,, दूरदराज के ख्याल, नजारे, कठिनाई यां आदि वरणित है꫰
क्या पाया क्या खोया हिसाब-किताब किसके पास है निरंतर चलते रहना हर हाल में खुश रहना जिन्दगी का आधार है तु अकेला ही नहीं इस सफर में सदियों से चली आ रही है ये कारवां हर किसी को यहां जिंदगी का तलाश है दर दर भटकते रहे लाखों यहां एक मुसाफिर तु भी है यहां
मर्फी कॉलेज ले जाने के लिए अपने दोस्त को भाई बना लेती है । पहले तो वो उसे अपना भाई जैसा बिलकुल नहीं मानती । लेकिन धीरे धीरे वो दोनों का भाई बहन का प्रेम अत्यंत बढ़ जाता है।
यह एक प्रेरणादायक लघु कथा एवं शायरी की संग्रह है, और शायरी की शृंखला भी है जो कि समान्य जीवन से ओतप्रोत है आप सब जरूर एक बार इसे पढे।
भारतीय पत्रकारिता के बुझते हुए पुंज में बचे कुछ अंतिम उजालों में से एक थे "कमाल ख़ान" कमाल की सादगी, कमाल की तहज़ीब, कमाल की लखनवी ज़बान और कमाल का अंदाज़... सच में कमाल कमाल के ही थे। पत्रकारिता से लुप्तप्राय रिपोर्टिंग के लिए कमाल ख़ान जैसे पत्रकार वेंट
राज तो हमने हमेशा किया है पसंद करने वालों के दिल पर और न पसंद करने वालों के दिमाग पर
Jivan ke mahatva purn Anubhav ko aapke sath taaja karne ka jariya
मैंने तुरंत दुकान बन्द की और अपनी साईकिल उठा कर तेज़ रफ़्तार से चलाते हुए दूसरी दुकान की तरफ भागा । थोड़ी देर में मैं वापस आ गया। वो नीचे अभी तक नहीं आई थी । मै बैठ कर उसका इन्तजार करने लगा। थोड़ी देर में वो भागती हुई आई और बोली-अब तो दे दो आइसक्रीम
जिंदगी की परेशानियां कभी खत्म नही होतीं.... लेकिन अगर इनसे निकलना चाहते हैं तो.. अपने अंदर के बचपने को जिंदा रखिये... 🤗
दिवाली.... खुशियों का त्यौहार....अपनो के साथ... मनाने वाला त्यौहार...।।।।। हर वर्ष ये त्यौहार अपनों के साथ सभी बड़ी धुम धाम से.... हर्षोल्लास से मनाते हैं....।।।।आइये .....इस बार कुछ अलग करते हैं.... एक ऐसी दिवाली मनाते हैं जो सच्ची खुशी दे...।।।।।।
हमारे भारत वर्ष में समय-समय पर अनेक संत-महापुरुषों का अवतरण हुआ है, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन लोक हित और जन कल्याण के लिए न्यौछावर कर दिया। ऐसे संत-महात्मा निश्चित ही हमारे लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं, लेकिन जिस तरह से आज लोक कल्याणार्थ उनके बताये म
बाज़ की जिंदगी का एक अनसुना लेकिन प्रेरणादायी सच..।
खामोश अधर मेरी स्मृतियों, संस्मरणों एवं जेहन में अनायास उठने वाले ख्यालों का दस्तावेज़ है,जो मुक्तक, दोहा, चतुष्पदी, शायरी, आलेख, संस्मरण आदि के रूप में संग्रहित रहेगा। खामोश अधर में संग्रहित सामग्रियों का कोई निश्चित क्रम नही है। प्रसंगवश जो घटना या
भारतेंदु हरिश्चन्द्र द्वारा आधुनिक भारत के महानतम हिंदी लेखकों में से एक और आधुनिक हिंदी साहित्य का पितामा माना जाता है। हरिश्चंद्र को उनकी कविता, और साथ ही साथ गद्य की नई शैली विकसित करने के लिए भी पहचाना जाता था उन्होंने कई नाटक, रोजमर्रा की जिंदग