मैंने बोतल एक तरफ रख दी और बच्चे की तरफ देखा। “इसे ले लो।” मैंने मुस्कुरा कर उसे आग्रह किया और पत्तल लड़कों की ओर बढ़ा दी। वे तेजी से आए और अपना मुंह भरने लगे। वे इतनी जल्दी में थे कि उन्होंने इसे ठीक से चबाने के लिए समय भी बर्बाद नहीं किया। मैं थोड़ी देर के लिए उन निर्दोष बच्चों को देखती रही और जल्द ही- “माफ करना। ” मैं धीरे से खड़ी हुई।
Û Û Û Û Û Û
जब वह आदमी मुझे पीट रहा था, तो मैंने केवल उसके वार महसूस किये, लेकिन अब मुझे पता चल रहा था कि मेरे शरीर का सत्तर प्रतिशत हिस्सा चोटिल था। जब मैं उठ रही थी, जब मैं खुद को पैरों पर संतुलित कर रही थी, जब मैं शौचालय की तरफ जा रही थी और जब मैंने दरवाजा खोला ... मैं दर्द और केवल दर्द महसूस कर सकती थी। यह हर गुजरते घंटे के साथ बढ़ता जा रहा था।
जैसे ही मैंने शौचालय का दरवाजा खोला, मुझे एहसास हुआ कि यह अगली सुबह है। शौचालय दूसरे कमरे के मुकाबले ज्यादा रोषन था और उसे देखकर किसी सार्वजनिक शौचालय की याद आती थी क्योंकि ये काफी बदबूदार था। इसे आखिरी बार जाने कब साफ किया गया होगा? जगह-जगह मल-मूत्र के धब्बे थे। पान के थूक के निषान थे और साबुन आदि की व्यवस्था होना तो यहाॅ वैसे भी मुमकिन नहीं था। मैंने अपने हाथों से अपनी नाक और मुंह ढक लिया। एक बार फिर मेरे दिल ने कहा, यहाँ रहने के बजाय मर जाना बेहतर होगा। उस रोज़ मुझे भागने का एक और कारण मिला!
वहाॅ प्लासिटक का एक पुराना मग था और लोहे की जंग लगी बाल्टी। संभवतः ये शौचालय आतंकवादी भी इस्तेमाल कर रहे थे। पुरानी वास्तुकला के अनुसार, इसकी बाईं दीवार में एक छोटी हवादार खिड़की थी। मैं उसके करीब गयी और ध्यान से उसकी जाँच की। इसे मोटे प्लाईबोर्ड के एक टुकड़े के साथ सील कर दिया गया था, जो थोड़े प्रयास से अलग हो सकता था। जितना मैं समझ सकी , वह जंगल की तरफ खुलता होगा और उसका व्यास मानव के लिए अंदर या बाहर जाने के लिए पर्याप्त था। मैं इसे खोलने और तुरंत वहाॅ से भागने का प्रयास कर सकती थी, लेकिन मेरे शरीर ने मुझे अनुमति नहीं दी। उस वक्त मैं कोषिष करती तो भी चार कदम ना चल पाती।
मैंने इंतजार करने का फैसला किया।
हम घंटों या दिनों की गिनती नहीं कर सकते थे वहाॅ, क्योंकि उस अंधेरे कमरे में हर समय रात होती थी। जब भी मुझे मौसम या दिन या रात के बारे में जानना होता, तो हम शौचालय इस्तेमाल करती थी। यह अपने रोषनदान के कारण दिन के समय थोड़ा उज्ज्वल हुआ करता था।
मैं हर रोज की गिनती के लिए वहाॅ की दीवार पर नाखूनों से एक खरोंच मार देती जिससे मुझे रातों को गिनने और याद रखने में आसानी रहे। ऐसा वहाॅ पहले किसी ने नहीं किया। वे समय के बारे में चिंतित नहीं थे, लेकिन मैं थी। मैं थी क्योंकि मुझे पता था कि यह मेरा जीवन है, दिनों, घंटों और मिनटों में विभाजित ... और मुझे चिंता थी क्योंकि मैं अपने जीवन के बाकी हिस्सों को अपने तरीके से बितानी चाहती थी और उसके लिए किसी से दया की भीख माॅगने वाली नहीं थी।
मेरी गिनती के अनुसार मैं तीन रातें तीन दिन उस अंधेरे कमरे में बिता चुकी थी। वह कमरा मुझे बीमार बना रहा था। दूसरी ओर, एक डर मुझे मार रहा था कि चीफ मुझे किसी भी क्षण सोने के लिए बुलाएगा। युसुफ ने भी अपने गंदे इरादों से मेरे अंगों को छूने का मौका नहीं छोड़ता था। सुना था कि मुझे मिलने के ठीक बाद चीफ यहाॅ से कहीं बाहर गया था। ये मेरे लिए अच्छी बात थी लेकिन मैं ये नहीं समझ पा रही थी युसुफ को ऐसा करने से आखिर रोक कौन रहा होगा? बहरहाल, जो दिन कट रहे थे गनीमत थी।
इस अवधि के दौरान वे लोग हमें बहुत कम भोजन देते रहे दिन में एक बार। वे बस हमें जिन्दा रखने के लिए खिला रहे थे, पोषण के लिए नहीं। मैं शाकाहारी हूँ। जब तक मैं सहन कर सकती थी, तब तक मैंने मांसाहारी भोजन का स्वाद नहीं चखा। लेकिन आखिरकार मेरी ताकत और मेरे शरीर ने घुटने टेक दिए। फिर जो कुछ भी उन्होंने हमें परोसा ... मुर्गा-, गौमाॅस मैनें सब कुछ खाया। हमें क्यों या क्या यह पूछने की अनुमति नहीं थी।
इस बीच में रिहान हमसे मिलने आया ... लेकिन दूसरों से कम। केवल तभी, जब उसे हमारे लिए भोजन या पानी लाना होता या शौचालय का उपयोग करना होता। असल में वहाॅ केवल एक शौचालय था और मैं सही थी, इसे बंधकों और आतंकवादियों द्वारा साॅझा किया जा रहा था। रिहान ने वहाॅ से गुजरते हुए कभी मुझसे आँख नहीं मिलाई। उसने कभी मेरे स्वास्थ्य के बारे में नहीं पूछा। उसने यह तक नहीं पूछा कि क्या मुझे कोई समस्या है? लेकिन मैंने उनके मुंह से दो शब्द अक्सर सुने- “शांत रहें और सही वक्त का इंतजार करो।” वह भोजन या पानी परोसते समय मुझसे यही कहता रहा-,बहुत ही दबे हुई आवाज में। इसके अलावा, वह हमेशा सभ्य और खुद में लीन रहता था।
मैंने देखा, अश्वश्री पर रिहान का अच्छा प्रभाव था। वह अक्सर उसके बारे में बात करती थी। उसने मुझे बताया कि जब वह पहली बार चीफ के पास गई थी, तो रिहान भी उस कमरे में था। वह एक कुर्सी पर बैठा था और अपने काम में लीन था। अष्वी ने मान लिया कि रिहान भी उसका यौन उत्पीड़न करेगा, लेकिन रिहान ने उसे कमरे में आते देखते ही कमरा छोड़ दिया। मुझे लगा कि शायद उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं होगी?’ तब अष्वी मुझे बताया कि रिहान एकमात्र ऐसा व्यक्ति था जिसने कभी भी अपनी ताकत का फायदा नहीं उठाया था। मैंने सुना था कि वह इस समूह का सब से व्यस्त और बहुत महत्वपूर्ण सदस्य था। मुझे नहीं पता था कि क्यों? और न ही मैं जानने में मेरी दिलचस्पी थी।
Û Û Û Û Û Û