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कभी

28 मई 2022

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मैं गाड़ी चलाते हुए उसके अगले शब्द का इंतजार कर रही थी। मेरी नजर विंडशील्ड पर टिकी थी। “रिहान?” मैंने उसे पुकारा। “मुझे घर दिखायी दे रहा है।” मैंने उससे कहा और कुछ दूरी पर ब्रेक दबाया। मैं कोई फैसला खुद नहीं कर सकती थी। यह उसका काम था। “रिहान।” मैंने उसे फिर से पुकारा और देखा कि उसकी आँखें बंद थीं। उसके होंठ खुले थे। “रिहान?” एक शक के साथ मैंने अपना हाथ उसके सीने के बीच रखा। वह ठंडा था और अंदर सिवाय खामोषी के कुछ नहीं सुनायी दिया। 

Û Û Û Û Û Û

मैंने अपनी सांसे थाम लीं। 

रिहान मर चुका था! मुझे लगा जैसे सब कुछ खत्म हो गया है और मैं बिल्कुल अकेली रह गयी हूॅं। मेरी आँखों में आँसू भर आए और कुछ देर के लिए उस नमी ने मुझे अंधा बना दिया। “रिहान?” मेरे थरथराते होंठों से एक कांपता शब्द निकला। मैंने उसे हिलाया। “रिहान उठो। तुम्हें अपना काम पूरा करना है ना?” मैंने कहा और उसके माथे को चूम लिया।

मैंने उसे कई बार हिलाया लेकिन अब क्या हो सकता था?

मैं बेस से लगभग 25 मीटर की दूरी पर थी, जो झाडि़यों से घिरा हुआ था। वे वैन को देख सकते थे। वे जान सकते थे कि कोई आया है। मेरे पास बर्बाद करने का समय नहीं था। मैंने पीछे देखा। मैं वापस जाने की कोशिश कर सकती थी ... मैं आगे बढ़ सकती थी, लेकिन मैं इंतजार नहीं कर सकती थी। इसके अलावा मैं उसके प्रयासों को नाली में नहीं बहा सकती थी। मैंने स्टीयरिंग व्हील पर एक बार अपना सिर टिकाया ... अपने आँसू को बहने दिया। मैंने अपने बारे में सोचा ... मैंने विदुर और रिहान, और उन सभी लोगों के बारे में सोचा जो इस बेस के रहने से खतरे में थे। मैंने सोचा और यह अनुमान लगाने की कोशिश की कि क्या होगा अगर मैं वापस चली जाऊं? असल में मैं अपने लिए नहीं बल्कि विदुर के लिए डरी हुई थी और उसे मेरे मरने से नहीं बल्कि जिन्दा रहने से खतरा था। 

जल्द ही मैंने अपना सिर ऊपर उठाया ... घर की दिशा में। मैंने भरी आँखों से उसे देखा। वहाॅ हमेषा की तरह मौत का सन्नाटा पसरा हुआ था। सूखे पत्तों और लताओं से ढंका हुआ। “चलो दूरी तय करें।” मैंने रिहान को देखा और इंजन शुरू किया।

रिहान के आखिरी शब्द मेरे दिमाग में गूंज रहे थे जो शायद उसने मेरे लिए ही कहे थे।

“मैं वैन से बेस तक जाऊंगा।” मैंने वैन को आंगन के केंद्र में रोक दिया।

“मुझे पता है कि वे एक शपथ समारोह के लिए वहाॅ इकट्ठे हो रहे हैं। आज हमारे नए लोग जिहाद के लिए अपना जीवन समर्पित करने की शपथ लेंगे।” मुझे पता था कि उन्हें शपथ समारोह के लिए ऊपरी मंजिल पर इकट्ठा किया गया था।

“मैं सीधे बेस तक जाऊंगा, क्योंकि मुझे मारे जाने का कोई डर नहीं है।”  मैंने अपने पीछे वैन का दरवाजा बंद किया और सूखे पत्तों पर चलकर आगे बढ़ने लगी

“मैं आंगन के बीच और लगभग बीस फीट की दूरी पर वैन को पार्क करूंगा ये जानते हुए भी कि एक बंदूकधारी वहाॅ हमेषा तैनात होता है।” मैंने एक बंदूकधारी को देखा जो एक कोने से अपनी बंदूक के साथ बाहर झांक रहा था

“उन्हंे उम्मीद नहीं है कि मैं वापस आ सकता हूॅ, इसलिए उन्हें मुझे गोली मारने में कम से कम दो मिनट लगेंगे- “ पहरेदार वाकई मुझे देखकर सकपका गया। उसने मुझे तुरन्त गोली नहीं मारी क्योंकि वह मेरे पीछे उस आदमी के बाहर निकलने का इन्तजार कर रहा था, जो अब तक वैन के अन्दर बैठा दिखायी दे रहा था। लेकिन जल्द ही उसे मुझ से खतरा महसूस हुआ और उसने फायर कर दिया।

“दो मिनट मेरे लिए उस कमरे में जाने के लिए पर्याप्त हैं।” तक तक मैं चीफ के कमरे के दरवाजे पर पहुँचती हूँ।

“इस वक्त दरवाजे पर ताला नहीं होगा सो मैं आसानी से दाखिल हो सकूंगा।” दरवाजा वाकई बंद नहीं था और मैंने इसे आसानी से खोला लेकिन बंदूकधारी ने मेरे दाहिने कंधे पर गोली मार दी। “आहह!” पहली बार मुझे जलन और दर्द एक साथ हुए।

“कमरे में जाते ही वह चाबी ले लूॅगां जो दरवाजे के पीछे लटकी होती है।” मैं कमरे में थी और मैंने उसे अंदर से तुरंत बंद कर दिया। मैंने उसके पीछे लटक रही चाबी निकाल ली।

“मैं उस लाल बक्से को खोलूॅगा-,” मैं उस लाल बक्से तक गयी। बस रिहान का साथ यहीं तक था। बाहर आदमी जमा होने शुरू हो गये। वे सभी दरवाजे को पीट रहे थे और खिडकियों से अन्दर झाॅक रहे थे। मैं दर्जनों शूटिंग साउंड और पदचापों और चीखें सुन सकती थी। जब तक मैं बक्से को खोल रही थी, उन्होंने गोलियों से दरवाजे में बहुत सारे छेद कर दिए थे। मैंने इसे खोला और सीधे मेरी छाती पर एक गोली छेद कर गयी। मेरे अंग जलने लगे और उसमें दर्दनाक छेद हो गए। दूसरी तरफ मैं बक्से में रखे सामान को देखकर उलझन में थी। मुझे विस्फोटकों के बारे में जानकारी नहीं थी। मुझे नहीं पता कि यह कैसे काम करता है? फिर मैने एक को बाहर निकाला, जो मेरे लिए थोड़ा जाना पहचाना सा था। मैंने इसे फिल्मों में देखा था और मुझे पता था कि अगर मैं इसका पिन निकाल कर इसे नीचे गिरा दूॅ, तो यह फट जाएगा।

मैं उसे उठाया और दीवार के सहारे अपने बदन को स्थिर किया। मैं सिर से पैर तक हिल रही थी। मेरी साँसें पिछले एक मिनट से रूकी हुई थी। मैंने उस विस्फोटक की पिन दाॅत से खींचीं और उन लोगों को देखा जो मुझ पर गोली चला रहे थे। उन्होने पहले से ही अपनी बंदूकें फेंकना शुरू कर दिया था और छिपने के लिए जगह ढूॅढ रहे थे-,दौड़ रहे थे। मैं उन्हें देखकर मुस्कुरायी और बम को उसके वजन के साथ नीचे जाने दिया।

आखिरी चीज जो मैंने महसूस की, वह था मेरे अंगों और त्वचा के बीच अत्यधिक दबाव! लगा जैसे बम नहीं बल्कि मेरे अन्दर ही धमाका हुआ और फिर मैं कहीं नहीं थी। मैं विस्फोट की आवाज नहीं सुन सकी और ना ही अपने शरीर से उठती आग को देख सकी।

बस मैं इतना कहना चाहती थी कि कि रिहान-, वजह तुम नहीं। मैने जो किया वह विदुर और अपने लिए किया और वजह थी वह अपराधबोध। मुझे विश्वास था कि विदुर मेरे लिखे उस नोट को जरूर पढ़ लेगें जिसमें मैने लिखा था कि मैं कभी नहंी लौटूगीं। 

रिहान सही था कि अपराधबोध एक बड़ी बात है। हम अपने दोषों को सबके सामने सही ठहरा सकते हैं, लेकिन अपने सामने सही ठहराना इतना आसान नहीं है। हो सकता है कि मेरा अपराध इस तरह से आत्महत्या करने के लिए पर्याप्त नहीं था, लेकिन कभी-कभी कोई वजह काफी नहीं होती। मुझे कभी नहीं पता था कि मैं अपने जीवन में फिर से रिहान से मिलूंगी और भाग्य बदल दूंगी। मरने से पहले मुझे एहसास हुआ, मेरे दोस्त सही थे। यह हमारी कहानी ही थी-,रिहान और मेरी।


Papiya

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29 मई 2022

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कभी
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वह रविवार की आम सी सुबह थी। मैं एक घंटा और सोना चाहती थी जब अचानक मेरे पति विदुर ने मेरे गाल पर थपकी दी- “अरन्या!” मैंने आँखें खोलीं। “माँ को कल रात एक आतंकवादी हमले में मार दिया गया!” मैं एक पल में उठ बैठी! “माँ”? मैं उनके चेहरे को देखते हुए दोहराया। जितनी आंतकित मैं थी सुनकर शायद वह भी थे ये बात बोलते हुए। “किसकी माँ?” मैंने थोड़ी शंका के साथ पूछा कि क्या वह मेरी ही माँ के बारे में बात कर रहे हैं? उनके चेहरे पर भी शायद वही आंदेषा था, जो मेरे मन में हलचल मचा रहा था। कश्मीर में देर रात एक आतंकी हमले में मेरी मां की मौत हो गई।
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28 मई 2022
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कभी...। वह रविवार की आम सी सुबह थी। मैं एक घंटा और सोना चाहती थी जब अचानक मेरे पति विदुर ने मेरे गाल पर थपकी दी- “अरन्या!” मैंने आँखें खोलीं। “माँ को कल रात एक आतंकवादी हमले में मार दिया गया!” मैं एक

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28 मई 2022
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ये पहली मौत नहीं थी जो मैनें देखी थी। कुछ तीन साल पहले इसी तरह पिताजी को भी देख चुकी थी, और वह भी इसी घर में। वह बीमार रहते थे, उनकी मौत अपेक्षित थी लेकिन माॅ की मौत मेरे लिए चैंका देने वाली थी। मुझे

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मेरी आॅखें उस वक्त भी आसूॅओं से भर गयीं। मीनाक्षी ने मेरी ओर देखा। हम दोनों को पता था कि हम दोनों एक ही घटना के बारे में सोच रहे थे। अजान की आवाज खामोष हुई। “क्या यह तुम्हें अब भी ड़रा देता है?” उसने

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गर्म पानी के स्नान के बाद मैं हमाम से बाहर आयी। अपने कमरे में आकर मैनें खिडकी के पर्दे उठाए। कोहरे ने मेरी खिड़की के सभी शीषों को धुंधला कर दिया था। मैं उनके पार नहीं देख सकती थी। बाहर का मौसम सर्द है

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28 मई 2022
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मैं सालों बाद उस गली पर पैदल चल रही थी, जो मेरे घर से निकलकर इन वादियों के घुमावदार रास्तों में कहीं विलीन हो जाती थी। उस गली के हर कदम पर मैं खुद को बिखरा महसूस कर रही थी। उस गली से भी ना जाने कितनी

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वह आदमी दुकान तक गया और मेरा थैला उठा लाया। उसने इसे मेरे चेहरे पर फेंक दिया और मेरे जाने का इंतजार करने लगा। मैंने एक बार दुकान पर नजर डाली। मुझे उस गरीब दुकानदार की चिंता थी, जो हर गुजरते पल के साथ

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कभी

28 मई 2022
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आधे घंटे बादः उसने वैन को कहीं रोक दिया। एक जगह, जहाॅ मैं अपने जीवन में कभी नहीं गयी। जहाँ तक मैं देख सकती थी वहाँ तक पेड़, कोहरा, पहाड़ और घास ही दिख रहे थे। इससे पहले भी मैंने विंडशील्ड के बाहर झाॅ

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मेरी धड़कनें खुद मुझे भी सुनायी दे रहीं थीं। मैं महसूस कर सकती थी कि मेरा दिल मेरी छाती के पिंजर पर जोर से टकरा रहा है लेकिन उस रोषनी में मुझे जो दिखा उसने मुझे थोड़ी तस्सली दी। मुझे यह देखकर ताजुब्ब

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28 मई 2022
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“याद नहीं।” उसने जवाब दिया  “शायद पंद्रह दिन, या उससे भी ज्यादा।” अन्य महिलाओं में से एक ने वहीं कोने से जवाब दिया। “हमारे पास दिनों की गिनती करने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने हमारा सब कुछ ले लिया। ”

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“तुम यहाॅ कैसे फॅसी?” अंत में सब से ज्यादा चुप रहने वाली महिला ने अपना मुंह खोला। जब से मैं यहाँ थी, मैंने पहली बार उसकी आवाज सुनी थी। उसकी आवाज हर शब्द पर कांप रही थी। “तुम कहाॅ से हो? क्या तुम भागने

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एक सेकंड में मेरे दिमाग में दर्जनों सवाल पलक कौंध गये और मैं तय नहीं कर पायी कि पहले क्या पूछूँ? मैं पूछने वाली थी कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो? लेकिन उसी क्षण मुझे याद आया कि मीनाक्षी ने मुझसे क्या कहा

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28 मई 2022
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अब सारा माहौल ड़र की चादर ओढ़े खामोष होकर दुबका हुआ था। उस रोज वह कुछ घण्टे बड़े थका देने वाले थे मेरे लिए। बाकि बंधक बड़ी-बड़ी आॅखों से मुझे तक रहीं थीं, मानों कह रहीं हो कि अब हो गयी तसल्ली? मैं अपन

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मैंने बोतल एक तरफ रख दी और बच्चे की तरफ देखा। “इसे ले लो।” मैंने मुस्कुरा कर उसे आग्रह किया और पत्तल लड़कों की ओर बढ़ा दी। वे तेजी से आए और अपना मुंह भरने लगे। वे इतनी जल्दी में थे कि उन्होंने इसे ठीक

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हालात बदतर होते जा रहे थे। वह जनवरी का महीना था। ज्यादातर दिन या तो बारिश होती थी या बर्फबारी। बारीष का पानी उस घर की छत से कहीं-कहीं रिसता भी था। उससे कमरे की नमी बढ़ गयी थी और साथ ही गारे की बू भी।

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रिहान ने मेरी तरफ देखा। उसने मेरी हालत देखी और मेरा डर भी। उसने मेरे कपड़ों को देखा और फिर उसने दूसरे बंधकों को देखा। “वह फिर से नहीं आयेगा। आप सभी अब सो सकते हैं।” उसने सभी से कहा लेकिन उसकी आँखें मु

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अचानक मुझे पदचाप सुनाई दी। हमने सुबह से कुछ नहीं खाया था, मुझे लगा कि यह हमारा भोजन है। “ऐ तुम!” एक लड़का अंदर आया और मैं कमरे के बीच ठहर गया। हम सब उसे ताड़ रहे थे और वह सिर्फ मुझे। वह शायद ही सत्रह

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मैं एक बार फिर हार गयी थी। मैंने अपनी मुट्ठी फर्श पर मार दी। मैं थोड़ी और देर रस्सी को क्यों नहीं थामे रह पायी? उसकी गर्दन केवल एक निषान के साथ आजाद हो गयी थी। “ह-मजादी! आज बताता हूॅ तुझे!” उसने मेरी

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मेरी रीढ़ अब तक दर्द में थी। मैं अपने पैरों पर सीधी खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। वहाॅ किसी ने भी मुझे किसी तरह की दवा नहीं दी। दर्द से तड़पना ही एकमात्र विकल्प बचा था मेरे पास। लगभग एक दिन न तो रिहान और

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अचानक मुझे बाहर कुछ आवाजें सुनाई दीं। मैंने पहली आवाज को पहचाना-, यह अश्वश्री थी और दूसरा कुछ पुरुष था। जब तक मैं बाल्टी से कूद कर नीचे आयी तब तक दरवाजे पर एक तेज दस्तक ने मुझे चैंका दिया! “कौन?” मैं

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मैने वही किया जो उसने मुझे करने को कहा था। मैंने चलने की कोशिश की। मैं थोड़ी मुश्किल से ही सही लेकिन चल सकती थी। मेरा सिर अभी भी भारी दर्द में था और मैं बहुत बीमार महसूस कर रही थी। मेरी नसों में एक ती

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वह गाड़ी चलाता रहा और विंडशील्ड से बाहर देखता रहा। यह दुखद था! यह केवल मेरे रिहान के बारे में नहीं था। मैंने वहां देखे गए प्रत्येक आतंकवादी में रिहान को पाया। उनके पास विकल्प हैं लेकिन कहां? उनकी पहचा

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28 मई 2022
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जब हम उस आर्मी कैंप से निकल रहे थे तो हमें बताया कि आगे के रिकॉर्ड के लिए हमारे प्रत्येक दस्तावेज की एक प्रति उन्हे चाहिये होगी। विदुर वहीं ठहर गये ताकि उनकेा सारे कागजों की प्रतियाॅ करा कर दे सकें और

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मेरी नजर या तो सड़क पर थी या उसकी छाती पर। अभी भी खून बह रहा था। मैंने देखा कि उसकी पट्टी पर धब्बा हर मिनट के साथ अपना आकार बढ़ा रहा था। उसकी हालत गंभीर थी और मैं उसे छोड़ना नहीं चाहती थी। मैं आगे नही

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