मैं गाड़ी चलाते हुए उसके अगले शब्द का इंतजार कर रही थी। मेरी नजर विंडशील्ड पर टिकी थी। “रिहान?” मैंने उसे पुकारा। “मुझे घर दिखायी दे रहा है।” मैंने उससे कहा और कुछ दूरी पर ब्रेक दबाया। मैं कोई फैसला खुद नहीं कर सकती थी। यह उसका काम था। “रिहान।” मैंने उसे फिर से पुकारा और देखा कि उसकी आँखें बंद थीं। उसके होंठ खुले थे। “रिहान?” एक शक के साथ मैंने अपना हाथ उसके सीने के बीच रखा। वह ठंडा था और अंदर सिवाय खामोषी के कुछ नहीं सुनायी दिया।
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मैंने अपनी सांसे थाम लीं।
रिहान मर चुका था! मुझे लगा जैसे सब कुछ खत्म हो गया है और मैं बिल्कुल अकेली रह गयी हूॅं। मेरी आँखों में आँसू भर आए और कुछ देर के लिए उस नमी ने मुझे अंधा बना दिया। “रिहान?” मेरे थरथराते होंठों से एक कांपता शब्द निकला। मैंने उसे हिलाया। “रिहान उठो। तुम्हें अपना काम पूरा करना है ना?” मैंने कहा और उसके माथे को चूम लिया।
मैंने उसे कई बार हिलाया लेकिन अब क्या हो सकता था?
मैं बेस से लगभग 25 मीटर की दूरी पर थी, जो झाडि़यों से घिरा हुआ था। वे वैन को देख सकते थे। वे जान सकते थे कि कोई आया है। मेरे पास बर्बाद करने का समय नहीं था। मैंने पीछे देखा। मैं वापस जाने की कोशिश कर सकती थी ... मैं आगे बढ़ सकती थी, लेकिन मैं इंतजार नहीं कर सकती थी। इसके अलावा मैं उसके प्रयासों को नाली में नहीं बहा सकती थी। मैंने स्टीयरिंग व्हील पर एक बार अपना सिर टिकाया ... अपने आँसू को बहने दिया। मैंने अपने बारे में सोचा ... मैंने विदुर और रिहान, और उन सभी लोगों के बारे में सोचा जो इस बेस के रहने से खतरे में थे। मैंने सोचा और यह अनुमान लगाने की कोशिश की कि क्या होगा अगर मैं वापस चली जाऊं? असल में मैं अपने लिए नहीं बल्कि विदुर के लिए डरी हुई थी और उसे मेरे मरने से नहीं बल्कि जिन्दा रहने से खतरा था।
जल्द ही मैंने अपना सिर ऊपर उठाया ... घर की दिशा में। मैंने भरी आँखों से उसे देखा। वहाॅ हमेषा की तरह मौत का सन्नाटा पसरा हुआ था। सूखे पत्तों और लताओं से ढंका हुआ। “चलो दूरी तय करें।” मैंने रिहान को देखा और इंजन शुरू किया।
रिहान के आखिरी शब्द मेरे दिमाग में गूंज रहे थे जो शायद उसने मेरे लिए ही कहे थे।
“मैं वैन से बेस तक जाऊंगा।” मैंने वैन को आंगन के केंद्र में रोक दिया।
“मुझे पता है कि वे एक शपथ समारोह के लिए वहाॅ इकट्ठे हो रहे हैं। आज हमारे नए लोग जिहाद के लिए अपना जीवन समर्पित करने की शपथ लेंगे।” मुझे पता था कि उन्हें शपथ समारोह के लिए ऊपरी मंजिल पर इकट्ठा किया गया था।
“मैं सीधे बेस तक जाऊंगा, क्योंकि मुझे मारे जाने का कोई डर नहीं है।” मैंने अपने पीछे वैन का दरवाजा बंद किया और सूखे पत्तों पर चलकर आगे बढ़ने लगी
“मैं आंगन के बीच और लगभग बीस फीट की दूरी पर वैन को पार्क करूंगा ये जानते हुए भी कि एक बंदूकधारी वहाॅ हमेषा तैनात होता है।” मैंने एक बंदूकधारी को देखा जो एक कोने से अपनी बंदूक के साथ बाहर झांक रहा था
“उन्हंे उम्मीद नहीं है कि मैं वापस आ सकता हूॅ, इसलिए उन्हें मुझे गोली मारने में कम से कम दो मिनट लगेंगे- “ पहरेदार वाकई मुझे देखकर सकपका गया। उसने मुझे तुरन्त गोली नहीं मारी क्योंकि वह मेरे पीछे उस आदमी के बाहर निकलने का इन्तजार कर रहा था, जो अब तक वैन के अन्दर बैठा दिखायी दे रहा था। लेकिन जल्द ही उसे मुझ से खतरा महसूस हुआ और उसने फायर कर दिया।
“दो मिनट मेरे लिए उस कमरे में जाने के लिए पर्याप्त हैं।” तक तक मैं चीफ के कमरे के दरवाजे पर पहुँचती हूँ।
“इस वक्त दरवाजे पर ताला नहीं होगा सो मैं आसानी से दाखिल हो सकूंगा।” दरवाजा वाकई बंद नहीं था और मैंने इसे आसानी से खोला लेकिन बंदूकधारी ने मेरे दाहिने कंधे पर गोली मार दी। “आहह!” पहली बार मुझे जलन और दर्द एक साथ हुए।
“कमरे में जाते ही वह चाबी ले लूॅगां जो दरवाजे के पीछे लटकी होती है।” मैं कमरे में थी और मैंने उसे अंदर से तुरंत बंद कर दिया। मैंने उसके पीछे लटक रही चाबी निकाल ली।
“मैं उस लाल बक्से को खोलूॅगा-,” मैं उस लाल बक्से तक गयी। बस रिहान का साथ यहीं तक था। बाहर आदमी जमा होने शुरू हो गये। वे सभी दरवाजे को पीट रहे थे और खिडकियों से अन्दर झाॅक रहे थे। मैं दर्जनों शूटिंग साउंड और पदचापों और चीखें सुन सकती थी। जब तक मैं बक्से को खोल रही थी, उन्होंने गोलियों से दरवाजे में बहुत सारे छेद कर दिए थे। मैंने इसे खोला और सीधे मेरी छाती पर एक गोली छेद कर गयी। मेरे अंग जलने लगे और उसमें दर्दनाक छेद हो गए। दूसरी तरफ मैं बक्से में रखे सामान को देखकर उलझन में थी। मुझे विस्फोटकों के बारे में जानकारी नहीं थी। मुझे नहीं पता कि यह कैसे काम करता है? फिर मैने एक को बाहर निकाला, जो मेरे लिए थोड़ा जाना पहचाना सा था। मैंने इसे फिल्मों में देखा था और मुझे पता था कि अगर मैं इसका पिन निकाल कर इसे नीचे गिरा दूॅ, तो यह फट जाएगा।
मैं उसे उठाया और दीवार के सहारे अपने बदन को स्थिर किया। मैं सिर से पैर तक हिल रही थी। मेरी साँसें पिछले एक मिनट से रूकी हुई थी। मैंने उस विस्फोटक की पिन दाॅत से खींचीं और उन लोगों को देखा जो मुझ पर गोली चला रहे थे। उन्होने पहले से ही अपनी बंदूकें फेंकना शुरू कर दिया था और छिपने के लिए जगह ढूॅढ रहे थे-,दौड़ रहे थे। मैं उन्हें देखकर मुस्कुरायी और बम को उसके वजन के साथ नीचे जाने दिया।
आखिरी चीज जो मैंने महसूस की, वह था मेरे अंगों और त्वचा के बीच अत्यधिक दबाव! लगा जैसे बम नहीं बल्कि मेरे अन्दर ही धमाका हुआ और फिर मैं कहीं नहीं थी। मैं विस्फोट की आवाज नहीं सुन सकी और ना ही अपने शरीर से उठती आग को देख सकी।
बस मैं इतना कहना चाहती थी कि कि रिहान-, वजह तुम नहीं। मैने जो किया वह विदुर और अपने लिए किया और वजह थी वह अपराधबोध। मुझे विश्वास था कि विदुर मेरे लिखे उस नोट को जरूर पढ़ लेगें जिसमें मैने लिखा था कि मैं कभी नहंी लौटूगीं।
रिहान सही था कि अपराधबोध एक बड़ी बात है। हम अपने दोषों को सबके सामने सही ठहरा सकते हैं, लेकिन अपने सामने सही ठहराना इतना आसान नहीं है। हो सकता है कि मेरा अपराध इस तरह से आत्महत्या करने के लिए पर्याप्त नहीं था, लेकिन कभी-कभी कोई वजह काफी नहीं होती। मुझे कभी नहीं पता था कि मैं अपने जीवन में फिर से रिहान से मिलूंगी और भाग्य बदल दूंगी। मरने से पहले मुझे एहसास हुआ, मेरे दोस्त सही थे। यह हमारी कहानी ही थी-,रिहान और मेरी।