मेरी नजर या तो सड़क पर थी या उसकी छाती पर। अभी भी खून बह रहा था। मैंने देखा कि उसकी पट्टी पर धब्बा हर मिनट के साथ अपना आकार बढ़ा रहा था। उसकी हालत गंभीर थी और मैं उसे छोड़ना नहीं चाहती थी। मैं आगे नहीं जाना चाहती थी और पीछे लौट नहीं सकती थी। ना ही मैं कहीं रुक सकती थी। मैं उन तंग गलियों में कहीं खो जाना चाहती थी। चाहती थी कि ये सफर खत्म ही ना हो और हम कहीं ना पहुॅचें। मेरे मन में अभी भी बहुत सारे सवाल थे लेकिन मैं पूछने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी।
मुझे पता था कि उसकी नजर मुझ पर है ... सीधे मेरे चेहरे पर ... लेकिन मैं उसकी तरफ देखने की हिम्मत नहीं कर सकती थी। मैं उसे इस तरह नहीं देख पा रही थी ... हर गुजरते पल के साथ वह मर रहा था। यह एहसास मुझे भी मार रहा था। दूसरी तरफ मैं विदुर के बारे में चिंतित थी जो अकेला और असुरक्षित था। मेरे पास पूछने के लिए बहुत सारे सवाल थे ... आगे क्या? क्या वे हम दोनों को मार देंगे? या रिहान अपने कार्य को समाप्त करने के बाद लौटेगा? अगर वह यहाँ मर जाए तो क्या होगा? और क्या होगा अगर वापस आता है?
“तुम कुछ सोच रही हो?” उसने दर्द दबाते हुए करवट सी ली।
“मैं विदुर के बारे में चिंतित हूॅं।” मैंने उनसे कहा। “उसने मुझे पहले दिन ही कश्मीर छोड़ने के लिए कहा, लेकिन मैंने मना कर दिया।” मैंने एक बैचेन साॅस छोडी “मैंने उसे खतरे में डाल दिया। और तुम्हें भी।”
वह अपने दर्द को दबाते हुए मुस्कुराया। “यही कारण है कि हमाारे अड्डे को नष्ट करना बहुत जरूरी है।”
“क्या?” मैं फिर से चैंक गया।
“हाँ। यही मेरा आखिरी काम है।”
“लेकिन क्यों और कैसे?” मेरा मुंह खुल गया! “जरा अपने आप को देखो! त्ुम ठीक से बैठ तक नहीं पा रहे।” मैं भौचक्की रह गयी।
उसने खाँसते हुए अपना हाथ उसकी छाती पर रख दिया। “हमें जानकारी मिली थी कि भारतीय सेना को हमारे अड्डे के बारे में सुराग मिल गया है और वे जल्द ही हमला करेंगे।” उसने दर्द दबाते हुए साॅस भरी। “इसीलिए हमने अपने बंधकों को इतने लंबे समय तक जिन्दा रखा।” उसने एक दर्दभरी साॅस ली। “मुझे यकीन है कि सेना आज या आज रात तक हमला करेगी। वे हममें से कम से कम एक को जिंदा पकडने की कोशिश करेंगे। यदि वे ऐसा कर लेते हैं और कोई उन्हें तुम्हारे भागने के बारे में सेना को बता देता है, तो वे तुम्हारे जीवन को नरक बना देंगे।”
मैंने निराशा में अपनी आँखें बंद कर लीं। “लेकिन रिहान वे पहले से ही मेरे बारे में पूछाताछ रहे हैं। शायद अब तक तो उन्हें हमारे बारे में पता चल भी गया होगा।” मैंने उसके तर्क की हंसी सी उडाई।
“मुमकिन है।” वह मेरी तरह घबराया नहीं। “लेकिन तुम्हारा प्रेमी आतंकवादी नहीं था। जब तुम मुझ से प्यार करतीं थीं तो मैं एक आम लडका था लेकिन अगर आज वह हमारे बीच कोई कनेक्शन निकाल लेते हैं तो तुम कोई सफाई नहीं दे सकोगी।” उसने कहा और मेरे होष उड़ गये। “यहाॅ से दाॅयें।”
कुछ अजीब भी लगा मुझे कि आज क्या मैं रिहान के लिए सिर्फ एक कनेक्शन हूॅ? ये बात थोडी चुभी मुझे। क्या वह सिर्फ एक कनेक्शन के कारण इतना जोखिम उठा रहा था?
मैंने उसकी छाती की तरफ देखा। पट्टी अब उसके खून को सोख नहीं पा रही थी। मैंने देखा कि उसके घाव से खून की एक पतली रेखा खामोषी से नीचे उतरती आ रही है। उसकी आँखें बंद थीं और सिर सीट के सहारे टिका हुआ था। मेरी आँखें फिर भर आईं। मैं अपने जीवन में इतनी असहाय कभी नहीं थी। कसम से-, मैं मर जाना चाहती थी।
“तुम ऐसा क्यों कर रहे हैं रिहान?” मैंने कहा। उसने अपनी आँखें खोली। “प्लीज अस्पताल चलो। प्लीज।” मेरा गला रूंध गया।
उसने अपनी आँखें मेरी तरफ घुमाईं जो आधी खुली थीं। “चिंता मत करो। मैं ऐसा इसलिए नहीं कर रहा हूं क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता हूॅ।” उसने कहा और मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मैंने अपना निचला होंठ दाॅतों के बीच दबा लिया। उन हालातों में भी उसकी इस बात ने मेरे गालों को गुलाबी कर दिया होगा। मैनें अपनी आँखें सड़क पर कर दीं। मैं उसे देखने की हिम्मत नहीं कर सकती थीं “वजह तुम नहीं हो जिसने मुझे बदल दिया, लेकिन मेरा गुनाह है जिसने मुझे बदल दिया।” वह कठिनाई से साँस लेता है। “मैं अनगिनत मौतों के लिए जिम्मेदार हूँ । अनाथ और घायल बच्चों के लिए, घरों के जलने के लिए जिम्मेदार हॅू और महिलाओं के साथ बलात्कार के लिए जिम्मेदार हूॅ। मेरे द्वारा बनाये गए बम एक सेकंड में सैकड़ों लोगों को मारने में सक्षम हैं। मेरा कसूर ही मेरी सज़ा है और वही मेरे बदलाव के लिए जिम्मेदार है।”
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लगभग चालीस मिनट तक मैंने वैन चलाई और अब हम जंगल की सीमा में प्रवेश कर रहे थे। रास्ता घास और पत्थरों और झाडि़यों से भरा था। मैं इस तरह के रास्ते पर एक साईकिल तक चलाने की आदत में नहीं थी। मुझे नहीं पता कि रिहान ने कल रात इस सड़क पर कैसे गाड़ी चलायी होगी और वह भी इतनी आसानी से। यहाँ, मैं चिंतित थी कि मैं स्टीयरिंग पर नियंत्रण खो दूंगी और किसी पेड़ से टकरा जाऊंगी।
“तुम जंगल में गाडी नही चला सकोगी। तुम्हें अब वापस जाना चाहिए।” उसने अपनी आँखें खोलीं और स्टीयरिंग लेने के लिए आगे की ओर झुका। उसके हाथ अस्थिर थे।
“तुम्हें कैसे पता चला कि हम जंगल में हैं?” मैने वैन के ब्रेक लगाये
“मैं को जंगल सूँघ सकता हूॅ। इसके अलावा शहर और जंगल के रास्तों का फर्क भी आॅखें बन्द कर के महसूस किया जा सकता है।” उसने मुझे बताया।
मैं अवाक् थी। उस रोज एक बात मुझे पता चली कि अपराजेय होना कोई बड़ी बात नहीं है। बस हमें उन क्षमताओं पर ध्यान देने की जरूरत है जो प्रकृति ने हमें प्रदान की है। बहुत सी छोटी-छोटी चीजें हैं, जिनका बेहतर इस्तेमाल हमें परफेक्ट बना सकता है।
“ंरिहान, मैं वापस नहीं जा रही हूॅ। तुम ड्राइव नहीं कर सकते। ”मैंने उससे कहा
उसने अपने हाथ पीछे ले लिए। उसके होठ मुस्कुरा गये। “चिन्ता मत करो मैं चीजों को ठीक करने से पहले मरूंगा नहीं।” उसने आत्मविश्वास से कहा। “खुद को खतरे में मत डालो। बड़ी मुष्किल से निकली हो वहाॅ से।” उसने कहा “मैं वहाँ पर केवल रिहान था।”
वह मेरे लिए दरवाजा खोलने के लिए आगे झुका लेकिन उसका हाथ फिसल गया। “देख के!” मैंने कहा और उसे उसकी सीट पर वापस रख दिया। “मैं वापस जाऊंगी लेकिन मुझे तुम्हें वहाॅ छोड़ने के बाद।”
मुझे पता था कि वह मेरा फिर से विरोध करना चाहता था लेकिन उसने अपनी ताकत खो दी। वह अपनी आँखें नहीं खोल पा रहा था। उसे साॅस लेने में अब और तकलीफ होने लगी थी। ठण्ड के मौसम में भी उसे पसीना आ रहा था। उसके हाथ ठंडे थे और उसके होंठ सूख रहे थे। हमारे पास उसके लिए पानी नहीं था और मैं उसे एक सेकंड के लिए भी अकेला छोड़ने से डर रही थी।
मैने दोबारा वैने चलानी शुरू की। जितना हो सकता था मैं आराम से वैन चला रही थी लेकिन मुझे रास्ता नहीं पता था। रिहान लगभग बेहोश था। मुझे पता था कि वह मर रहा है और मेरे लिए भी उसे ऐसे देखना मुश्किल हो रहा था। दूसरी तरफ, मुझे उसकी जरूरत थी ताकि मैं आगे बढ़ती रहूॅ।
“रिहान।” मैंने उसे पुकारा। “प्लीज, बात करते रहो।” मैंने कहा।
“कहो?” उसकी आवाज शायद ही उसके होंठों से निकल पा रही थी।
मैंने अपने प्रश्नों के ढेर में खोज की और कहा - “क्या तुम कभी रोए ... या दुखी हुए या मेरे लिए बुरा लगा?”
उसने एक पल लिय। “एक बार-” उसने कहा।
सिर्फ एक बार? मेरे दिल ने मुझसे पूछा क्योंकि मैं लगभग एक महीने तक रोयी थी। मैंने उसकी तरफ देखा। उसके होंठ मुस्कुराहट में खिचें हुए थे। “दिन में एक बार।”
वह फिर चुप था।
“रिहान?” मैंने कहा। उसने कोई जवाब नहीं दिया। मेरा दिल मुंह को आ गया। मैं अपनी नाड़ी और अपनी नसों में बह रहे डर को महसूस कर सकती थी। “रिहान!” मैंने तेज़ आवाज में पुकारा।
डसने एक गहरी साँस ली और विंडशील्ड के बाहर देखा। दृष्टि को साफ करने के लिए अपनी आँखों को झपकाया और पहचानने की कोशिश की कि हम कहाँ थे? “उत्तर की ओर बढ़ती रहो।” उसने एक बार अपनी उंगली बाईं ओर उठाई और उसका सिर फिर से सीट पर आ गया।
मेरे हाथ बुरी तरह से काँप रहे थे। मेरी आँखें भर आई थीं। बाहर ठंड होने के बाद भी मुझे पसीना आ रहा था। एक लम्बे अरसे बाद मेरा दिल उसके लिए तडप रहा था। मैं उसे गले लगाना चाहती थी और उसे प्यार करनी चाहती थी और उसे बताना चाहती थी कि मैं अभी भी तुमसे प्यार करती हूँ। ना जाने क्यों मैं उससे यह कहना चाहती थी जबकि मैं पहले से जानती था, वह मर रहा था। “तुम कैसे करोगे?” मेरे सूखे गले से आवाज ही नहीं निकली। मैंने गला साफ किया और -“तुम अपने बेस को कैसे नष्ट करोगे?”
“मेरे पास योजना है।”
“क्या तुम मुझे बता सकते हो?” मैंने पूछा। मैं सिर्फ यह सुनिश्चित करना चाहती थी कि वह जीवित रहे और मुझ से बात करता रहे।
“मैं वैन से बेस तक जाऊंगा।” उसने साॅस भरी। “मुझे पता है कि वे एक शपथ समारोह के लिए वहाॅ इकट्ठे हो रहे हैं। आज हमारे नए लोग जिहाद के लिए अपना जीवन समर्पित करने की शपथ लेंगे।” उसने एक दर्दभरी साॅस ली। “मैं सीधे बेस तक जाऊंगा, क्योंकि मुझे मारे जाने का कोई डर नहीं है।” उसने साँस ली। “मैं आंगन के बीच और लगभग बीस फीट की दूरी पर वैन को पार्क करूंगा ये जानते हुए भी कि एक बंदूकधारी वहाॅ हमेषा तैनात होता है।” उसने कठिनाई से साॅस भरी और दो पल को ठहर गया। “उन्हंे उम्मीद नहीं है कि मैं वापस आ सकता हूॅ, इसलिए उन्हें मुझे गोली मारने में कम से कम दो मिनट लगेंगे- “ उसका आवाज घुट गयी। दांहिने हाथ छाती पर रखकर वह दो तीन बार खांसा। जैसे ही उसे थोड़ी राहत महसूस हुई उसने अपना सिर सीट पर टिका दिया। उसने दो गहरी सांसे लीं। “दो मिनट मेरे लिए उस कमरे में जाने के लिए पर्याप्त हैं।” वह असहज रूप से साँस लेता है। “इस वक्त दरवाजे पर ताला नहीं होगा सो मैं आसानी से दाखिल हो सकूंगा।” वह कठिन साँस लेता है “कमरे में जाते ही वह चाबी ले लूॅगां जो दरवाजे के पीछे लटकी होती है।” उसने एक भारीसाँस भरी-“मैं उस लाल बक्से को खोलूॅगा-,”