एक सेकंड में मेरे दिमाग में दर्जनों सवाल पलक कौंध गये और मैं तय नहीं कर पायी कि पहले क्या पूछूँ? मैं पूछने वाली थी कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो? लेकिन उसी क्षण मुझे याद आया कि मीनाक्षी ने मुझसे क्या कहा था? क्या वह सच था? मैंने सोचा ... बेशक! वह यहां आतंकवादियों के एक समूह के साथ था। हाँ, वह एक आतंकवादी है! मेरे शब्द मेरे होंठों पर मर गए और मेरा चेहरा गुस्से और हैरानी से लाल हो गया। “सही समय का इन्तजार करो।” उसने मेरी आॅखों में देखते हुए ठंडे लहजे में कहा। यह सुनिश्चित करने के लिए चारों ओर देखा कि क्या अन्य कैदी नियंत्रण में हैं?
“मैं जाना चाहती हूँ!” मैंने अपने कंधों से उसके गंदे हाथ झटक दिये। उन पर मेरी माॅ का खून लगा था।
“हर कोई चाहता है-,” एक अल्पविराम। “लेकिन कोई नहीं जा सकता।” उसकी आवाज अभी भी सर्द थी, मानों वह थक चुका है और हार गया है। लेकिन मुझे उसकी मनोदषा की कोई फिक्र नहीं थी। वह एक हत्यारा था जिसने मेरी माँ सहित कई लोगों को मार डाला होगा। कभी -, हम प्यार करते जरूर थे एक-दूजे से लेकिन उस वक्त मेरे लिए वह केवल एक अपराधी था। मुझे उसके चेहरे तक से नफरत थी! “मैं कैदी नहीं बनना चाहती। इससे आसान मुझे मारना होगा।” मैंने उसे चेताया
उसकी आँखें नीचे हुईं। “तुम कैदी नहीं हो। यहाॅ कोई भी कैदी नहीं है-,बंधक हैं और इसलिए वे अब जिन्दा हैं।” उसने दूसरों की ओर देखा। “यही कारण है कि तुम सभी अब तक जिन्दा हो।”
मैं उसे घूरती रही। “तुम मुझे पहले ही दो बार मार चुके हो रिहान।” मैंने अपनी आवाज होठों में दबाते हुए कहा। “पहले, बार का तो तुम्हें याद ही होगा और दूसरी बार जब तुमने मेरी माँ को मार डाला।”
मेरे लव्जों पर उसकी नजरें उठी और उसके होठं कुछ कहने को खुले। एक पल ठहरकर-“तुम कुछ नहीं जानती ...। तुम वहाॅ नहीं थीं।” जैसे ही मैनें उसकी आॅखों में देखा, दरवाजा खुल गया।
रिहान अब मुझसे चार फीट दूर था।
“कौन है वह लड़की?” एक आदमी जिसकी आवाज बुलंद थी वह अपने कुछ चेलों के साथ कमरे में आया। वह सबसे अधिक आत्मविश्वास और मजबूत लग रहा था यहाॅ। वह चेहरा परिपक्व और रौबदार था। कपड़ें औरांें के मुकाबले उजले थे। उसकी बाहर को निकली हल्की भूरी आॅखें जिन पर सुरमा लगा हुआ था-, तनी हुईं भौहें और लाल दाढ़ी में ढॅका जबड़ा था। देखने में वह किसी राक्षस से मिलता जुलता था। जिस तरह से उसने पूछताछ की और रिहान एक ओर सिर झुकाये खड़ा हो गया था, यह मान लेना आसान था कि जो आया, वह यहाॅ का प्रमुख होगा। उनका चीफ।
रिहान ने जवाब नहीं दिया।
प्रमुख ने अपनी आँखें मुझ पर केन्द्रित कीं। उसने मुझे सिर से पैरों तक ताड़ा। मेरी बाॅहों से होते हुए उसकी नजरें मेरे थैले पर पड़ीं और अटक गयीं। “यह क्या है?” वह मेरे पास आया और अपने दूधिया सफेद हाथ में थैले को उठा लिया। “उसे हाथ भी मत लगाओ!” मैंने कहा “वापस रखो उसे।” मैं चिल्लायी
मुखिया ने मुझे घूरा और बिना कुछ कहे थैले को खोल दिया। उसने सारा सामान उलट-पलट कर लिया लेकिन उसमें कुछ भी संदिग्ध नहीं था। निर्मम मुस्कान के साथ उसने वह थैला रिहान की तरफ उछाल दिया। रिहान ने उसे लपका।
“तो, तुम हो वह जिसने आते ही हमारी नाक में दम कर दिया?” एक अल्पविराम। “तुमने मेरे आदमी को गोली मारने की कोशिश की? दिलचस्प।” एक झूठी मुस्कान के साथ उसने मेरे चारों ओर एक चक्कर लगायास। “क्या उम्र है तुम्हारी?” उसने इस पंक्ति में थोड़ी दिलचस्पी भरी। मैंने जवाब नहीं दिया। वह मेरे सामने रुक गया। उसने मेरी ठुड्डी पकडी और मेरी मेरी आँखों में सीधे देखने के लिए मेरा चेहरा ऊपर उठाया। मेरे होंठों के कोने से रिसने वाले खून को तर्जनी से साफ करते हुए- “मैंने पूछा- आपकी उम्र कितनी है?”
“चैबीस साल।” मैंने कहा और उसका हाथ एक तरफ कर दिया। मुझे हर पल घबराहट हो रही थी कि कहीं चीफ यहीं कुछ अभद्र ना कर दे। डर मेरी रीढ़ को झकझोर रहा था, लेकिन मैंने उसे इसका एहसास नहीं होने देना चाहती थी। दिल सिहर रहा था और दिमाग सोच रहा था कि अब मैं क्या करूँ? मेरी नजरें बेवजह ही रिहान पर गयीं। लगा कि कम से कम रिहान तो मेरी मदद करेगा ...और कुछ नही ंतो विरोध ही सही, लेकिन उनका चेहरा और आँखें बुत सी बेजान, भावहीन ही रहीं। चीफ अपने चेलों को साथ लेकर जाने को हुआ- “हिम्मत वाली केवल एक तुम ही नहीं हो यहाॅ-, और भी है। मैं तुम्हारी हिम्मत की कद्र करता हूॅ लेकिन आगे कुछ भी करने से पहले ध्याान रहे कि तुम्हारी जान मेरे हाथ में है।” उसने चलते हुए एक बार रिहान को देखा- “सीधे गोली मार देना जो कोई भी यहाॅ शोर करता है।” इस आदेष के साथ वह सभी चले गये।
रिहान उसके पीछे गया।