जब हम उस आर्मी कैंप से निकल रहे थे तो हमें बताया कि आगे के रिकॉर्ड के लिए हमारे प्रत्येक दस्तावेज की एक प्रति उन्हे चाहिये होगी। विदुर वहीं ठहर गये ताकि उनकेा सारे कागजों की प्रतियाॅ करा कर दे सकें और उन्होने मुझे घर भेज दिया।
जब मैं कैब में थी और घर लौट रही थी, तो एक सवाल मेरे दिमाग में था- रिहान का क्या? वह कहाँ है? वह कैसा है? मेरे पास उसका कोई फोन नंबर नहीं था। क्या कोई ऐसा था जिससे मैं उसके बारे में पूछ सकता था? क्यों ... उसने ऐसा क्यों किया? वह बस मुझे जाने दे सकता था। वह मुझे भागने में मदद कर सकता था ... फिर क्यों? मैंने अपने माथे के कोने को कस कर रगड़ा।
मैं घर पहुॅची। हमारे हवाई टिकट फाडते हुए मैंने अपने बेडरूम में प्रवेश किया-, क्योंकि अब हम कहीं जा नही सकते थे कम से कम इतनी जल्दि तो नही। मैंने बिस्तर पर अपना पर्स फेंक दिया और पट्टी को खोल दी जो मेरे सिर का दर्द बढा़ रही थी।
मैंने खुद को आईने में देखा। मैंने एक हफ्ते से ज्यादा खुद को आईने में नहीं देखा था। मैं अपने ड्रेसिंग टेबल के करीब गयी और अपना अक्स देखा। ये कोई और था, मैं नहीं। मैं बदल गयी थी। मेरी आँखों के नीचे काले घेरे हो गए थे। मेरे दाहिने गाल में अभी भी सूजन थी। बाल सूखे थे और चेहरा सुस्त। दाँत लगभग पीले पड़ गए थे। मैं अपनी आँखों में देख रही थी कि मैंने पर्दे के पीछे दो नंगे पैर दिखायी दिये।
मैं पलटी। “कौन है?” मैंने पर्दा उठाया। मेरी सांस रूक गयी। “रिहान?”वह दीवार के सहारे खड़ा था। “तुम यहाँ क्या कर रहे हो?” मैं उसे यहाॅ देखकर खुष थी
“हाय।” उसने एक खिंचीं हुई मुस्कान दी। “तुम्हारी मुलाकात कैसी रही मेजर के साथ?”
मैंने अपने दाहिने गाल को छुआ और थप्पड़ के बारे में याद किया। “अच्छी नहीं थी।” मैंने उसके लिए एक कुर्सी बढा दी। “भारतीय सेना का मानना है कि मैं कुछ आतंकवादी संगठन से जुडी हूॅ।”
मैंने देखा कि वह चलने में सहज नहीं था। “यही कारण है कि मैंने तुमकों हमेशा शांत रहने और इंतजार करने के लिए कहा।” वह कुर्सी पर आराम से बैठा। “काश, अगर तुम मेरी बात सुनती।”
“क्या मतलब?” मैं अपने बिस्तर पर बैठ गयी
“क्या यह आसान नहीं है? अगर वे तुमकों खुद से बचाते तो वे कभी भी तुम पर शक नहीं करते।”
“ओह हाॅ।” मैं चुप हो गयी। “तुम यहाॅ कैसे?”
“सोचा कि अपने जूते वापस ले लूॅ।” उसने खिचीं सी मुस्कुराहट देते हुए कहा
“ओह साॅरी।” उसके जूते कल रात मेरे ही पास रह गये थे जिन्हें मैने अपने पलंग के नीचे ही रख दिया था। मैं उन्हें निकलाने के लिए झुकी तो देखा कि रिहान के कमीज पर खून के दाग थे। वह ताजा खून था जो कि उसकी जैकेट की खुली चेन के अन्दर उसकी कमीज को तर करते हुए नीचे उतर रहा था। मेरा दिल जोरों से धडकने लगा। “ये क्या है?” पूछते हुए मैने उसकी जैकेट के पल्लों को खोल दिया और जो दिखा उसे देखकर मेरे होष उड गये। “तुम्हें गोली लगी है?”
वह मेरा मुॅह दबाने के लिए लपक गया। मेरी आँखें भर आईं और मेरी सारी पाॅचा इन्द्रियाॅ उसके जख्मों पर केंद्रित हो गईं। मैं महसूस कर सकती थी कि जो पीड़ा वह झेल रहा था। मैं सांस लेना और झपकना और हिलना भूल गयी।
“अरन्या , शांत रहो।” उसने अपना ठंडा हाथ मेरे मुंह से हटाते हुए कहा।
मैंने अपनी जुबान ही खो दी और मैं अपने शरीर को महसूस ही नहीं कर पा रही थी उसकी हालत देखकर। “यह किसने किया?”
“जो विदुर पर नजर रखे हुए था, उसे हमारे संबंध के बारे में एक सुराग मिल गया था और वही उसने चीफ तक पहुॅचा दिया।” उसने गहरी साॅस ली। “चीफ ने मुझे देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है।”
“हे ईष्वर।” मैंने अपने हाथों को मलते हुए कपंकपी को काबू करने की कोषिष की।
“क्या मुझे पानी मिल सकता है?” उसने पूछा
मैं भाग कर रसोई में गयीं। मैंने एक ग्लिास लिया और चलने लगी फिर याद आया कि जग तो लिया ही नहीं। फिर जग लिया और निकलने लगी तो याद आया कि पानी तो भरा ही नहंी। जाने मुझे क्या हो रहा था उस दिन? जैसे तैसे खुद को सम्हालती हुई मैं उसके पास लौटी।
मैंने उसे पानी दिया तो वह उसे ऐसे निगलने लगा मानों सदियों से प्यासा था। उसने एक ही बार में आधा जग़ पी लिया लेकिन उसे निगलने मे ंमुष्किल हो रही थी। “तुम्हारे ही साथी ने तुम्हें गोली मारी। अजीब है।” मैने उसके हाथों से जग लिया।
“और उसका नाम अयान था।“ उसने बताया।
“अयान?” मैंने दोहराया। मैंने यह नाम पहले भी कहीं सुना था। मुझे याद नहीं आ रहा था, लेकिन मैंने यह नाम सुना जरूर था।
“तुम उसे जानती हो ... मेरा छोटा चचेरा भाई।”
“ओह!” मैने कहा। “तो वह हम पर नजर रखे हुआ था?” मुझे विष्वास नहीं हो रहा था। ये तो हैरान से भी कुछ ज्यादा ही कर रहा था मुझे। “तुमने अपने ही भाई को मार डाला?”
“मारना पड़ा।” कराहते हुए वह थोडा सहज होकर बैठा। उसे बैठने में आराम नहीं था। “मैं उस आदमी को ढॅूढ रहा था लेकिन मैं भी नहीं जानता था कि वह आयान होगा।” उसके होंठ एक सेकंड के लिए अलग ही रहे। “लेकिन वह जानता था कि ये मैं हूॅ जिसे उसने जान से मारना था। जब मैने अपने खिलाफ देखा तो, मैं ट्रिगर नहीं खींच सका ...।” वह मुस्कुराया। “लेकिन उसने खींच दिया।”
मुझे अपने आप को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं मिल सकते थे। मैं चुप रही।
“जैसा कि मैंने तुम्हें बताया ही था कि हममें से कई अच्छे निशानेबाज नहीं हैं ... उसने कई गोलियां ज़ाया कर दीं। ” वह दर्द मे ही मुस्कुराया।
मैंने अपना सर झुका लिया। फर्श को देखते हुए। क्या मैं इस सभी के लिए जिम्मेदार थी...? हाॅ, बिल्कुल। क्या मैं इस अमानवीय हत्या के लिए जिम्मेदार था? हाॅ ये मैं ही थी जिसने अपने साथ विदुर को यहाॅ रूकने पर मजबूर किया और वह भी मैं ही थी जिसके कारण रिहान को बगावत करनी पड़ी।
“मेरे बाद, वह तुम दोनों को मारने वाला था। अगर मैं उसे नहीं मारता, तो वह हम सभी को मार देता। वह उसी तरह अंधा था जैसे मैं एक बार था।” वह जारी रहा
कुछ पलों के लिए सब कुछ चुप था। हम अपनी सांस और दीवार घड़ी की लयबद्ध टिक-टिक सुन सकते थे। मैंने एक-दूसरे में अपनी उंगलियाँ फॅसायीं। अपराध बोध से मेरा सीना भारी हो गया। हर बार एक टीस सी उठती थी साॅस लेने पर जैसे मेरे फेफडे किसी कंटीले तार से जकड़ गये हों।
रिहान मेरे चेहरे को देख रहा था। “गुनहगार महसूस कर रही हो खुद को?” हमारी आँखें एक बार मिलीं और मुझे ऐसा कोई कोना नहंी मिल रहा था जहाॅ मैं देख सकूॅ। मेरा खून मेरी रगों में जमने लगा। “गिल्ट बहुत बुरा एहसास है।” उसने कहा।
मैने गहरी साॅस भरी और यहाॅ-वहाॅ देखते हुए- “तुम्हंे डॉक्टर के पास चलना चाहिये।” मैं उठकर खडी हो गयी।
लेकिन वह अपनी जगह पर ही था। “डॉक्टर?” वह मुझ पर मुस्कुराया। मुझे पता था कि वह डॉक्टर के पास नहीं जा सकता। “डाॅक्टर तो नही, अगर तुम्हारे पास रूई या एंटीसेप्टिक है तो ले आओ।” उसने मुझसे पूछा
मैरे दिमाग ने काम करना छोड़ दिया था। मैं अपना निर्णय नहीं ले पा रही थी। मैं वही कर रही थी, जो वो मुझसे करने को कह रहा था। उसके सीने पर गोली लगी थी, वह मर सकता था, यह सोच मुझे पागल बना रही थी। मैंने अपने बैग खोल दिए और सूटकेस खोल दिये और उन सभी दराजों को बाहर निकाल दिया, जहाँ मुझे प्राथमिक उपचार मिल सकता था। अंत में, मैंने उन सभी चीजों को एकत्र किया और रिहान के पास वापस आ गयी।
थोड़ी हिचकिचाहट के साथ, मैंने टेबल पर डेटॉल, कैंची, पट्टी और सेनेटरी पैड रख दिया। होठं आपस में भींच कर अपनी मुस्कुराहट पर काबू रखा और। “यह रूई से बेहतर काम करेगा।” मैंने अपनी आँखें अपनी हथेली पर रखते हुए कहा। उसने खामोषी के साथ सिर हिलाया।
मैंने उसके घावों को साफ किया और उसके ऊपर सेनेटरी पैड्स लगा कर पट्टी कर दी। मैंने उसकी छाती और कंधों के पास पट्टी की एक मोटी परत लपेटी। “तुम पहले मेरे पास क्यों नहीं आए?” मैने पूछा
वह मुस्कराया। “मैं पूरी रात तुम्हारे घर के पिछले आॅगन में ही था।” पट्टी कराकर वह वापस कुर्सी पर पीठ टिका कर बैठ गयां
“क्या-?” उसने सिर हिलाया। “पर क्यों?”
दो बार उसने कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोला और जल्द ही उसके शब्द एक दयनीय मुस्कान के साथ मिश्रित हो गए। “चीफ ने आज सुबह तुम्हंे मारने के लिए हमारे तीन लोगों को भेजा था, लेकिन तुम और विदुर पहले ही सेना के बेस ले जाये चुके थे।” मेरे हाथ से कैंची गिर गई। मन हो रहा था किसी दीवार पर अपना सिर दे मारूॅ। कुछ कहने के लिए मेरा मुँह खुल गया लेकिन शब्द पर्याप्त नहीं थे।
“मैं तुम्हारी रक्षा के लिए यहां था।” उन्होंने जारी रखा। मैंने उसे देखा और मैंने पाया कि उसकी आँखें मेरे चेहरे को पढ़ रही हैं। “अरन्या बात अब बचने या छुपने की नहीं रह गयी है।” एक अल्पविराम। “सेना और पुलिस, वे तुम्हें नरक की गहराई से भी खोद निकालेगें लेकिन मैं भारतीय सेना के बारे में चिंतित नहीं हॅू क्योंकि वे नियमों और न्याय पर काम करते हैं। मुझे पता है कि जांच हो जाने के बाद वह तुम्हें परेषान नही करेगें। मैं उन लोगों के बारे में चिंतित हूं जो नियमों का पालन नहीं करते हैं।”
“जो भी हो। मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए कोई रास्ता हो सकता है।” मैं हार मान चुकी थी। “तुम्हंे अपने इलाज के लिए कहीं जाना चाहिए।”
पिछले चार मिनट से उसकी आँखें मुझे देख रही थीं। मेरे चुप होने पर वह मुस्कुराया। “साॅरी।” उसने अपने तरीके से मुझे नकार दिया
“फिर तुम क्या करोगे?”
वह गहरी सांस लेता है। “मैंने तुम्हें बतया ना कि कुछ गलतियाँ ठीक करने की जरूरत है जो मैंने कीहैं।” उसने मुस्कुराते हुए कहा “एक आखिरी काम बचा है अभी।” उसने कहा। “मुझे शिविर में वापस जाना होगा।” वह सावधानी से खड़ा हुआ।
मेरा जबड़ा ख्ुाल गया। “क्या कहा?”
“मैं ड्राॅइव नहीं कर सकता। क्या तुम करोगी मेरे लिए?”
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रिहान असंभव रूप से जिद्दी था। उसके साथ बहस करना फिजूल था। एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह, मैंने वही किया जो उसने मुझसे करने को कहा। मैंने विदुर के लिए एक छोटा-सा नोट लिखा और अपने तकिये पर रख दिया।
बाहर धूप थी लेकिन हवा अभी भी बर्फीली ठंडी थी। मैंने अपने कफ लिंक खींचते हुए मुट्ठी में बंन्द़ लिये। मैं अपने घर से उसके पीछे चल रही थी। अजीब था कि उसकी चाल उस हालत में भी सधी हुई थी। उसने मुझे बताया था कि उसे दो गालियाॅ लगीं हैं-, एक पेट पर और दूसरी सीने पर लेकिन उसके बावजूद वह ना सिर्फ जिन्दा था बल्कि अपने पैरों पर चल रहा था। कोई भी विश्वास नहीं कर सकता था कि वह एक घातक दर्द से गुजर रहा था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि उस नाजुक और शर्मिले से किषोर को किस चीज ने एक फौलाद में बदल दिया होगा?
हम उनकी वैन तक गए, जो मेरे घर के ठीक पीछे खड़ी थी। मैंने ड्राइवर की सीट ले ली और वह मेरे बगल में बैठ गया। स्टीयरिंग व्हील को पकड़े हुए- “क्या आप श्योर हो? तुम बुरी तरह घायल हो। ”मैंने उससे पूछा।
“चिंता मत करो, मुझे थर्ड डिग्री यातना को सहन करने के लिए प्रशिक्षित किया है और मुझे पहली बार गोली नहीं लगी है।”
मैनें स्टीयरिंग व्हील पर अपने हाथ कस लिये। “भगवान!” गहरी साॅस ली और इंजन चालू कर दिया। यूॅ भी उसके पास दुनिया भर के सवालों के जवाब थे।
वैन वापस जंगल की ओर भाग रही थी।
एक चमड़े का थैला-, जो लबादा कल रात मैनें पहना था और एक काला कपड़ा....सब कुछ पीछे की सीट पर अब भी था। रिहान ने पीछे से बैग उठाया। उसने इसमें से कुछ खोजा और कुछ फर्जी वोटर आईडी और ड्राइविंग लाइसेंस निकाले। उसने चश्मा लिया और आॅखों पर चढ़ा लिया। मुझे लगता है कि वह शांत और सभ्य दिखने की कोशिश कर रहा था। वह दर्द में था और फिर भी वह अपने लक्ष्य पर केंद्रित था। मुझे नहीं पता कि वह वह क्या और कैसे करना चाहता है जो वह करना चाहता है।
पहले चेक पोस्ट पर हमारी वैन कतार में तीसरे स्थान पर थी। मैं घबरा रही थी लेकिन रिहान आश्वस्त था और थोड़ा लापरवाह भी। जब मैं इधर-उधर देख रही थी, तो उसकी आँखें सीधे विंडशील्ड पर थीं। उसने मेरी फिक्र को भाॅप लिया।
“महसूस करो कि वह तुम्हारा समय बर्बाद कर रहे हैं।”
उसकी बात पर मैंने मुस्करायी। वह बिल्कुल सही था। अगर मैं एक आम नागरिक की तरह और सामान्य इरादों वाली होती होती, तो मैं वास्तव में ऐसा ही महसूस करती। जल्द ही फौजी हमारी वैन और आईडी की जाँच कर रहे थे। रिहान ने बिना किसी झिझक के अपना फर्जी आईडी कार्ड दिखा दिया। शायद उस समय तक भी कानून के लिए रिहान कोई जाना-पहचाना चेहरा नहीं था-, कम से कम अपराधी के तौर पर तो नहंी इसीलिए उन्होनें हमें जाने दिया।
जैसे ही हमने चेक पोस्ट को पीछे छोड़ा, उसने गहरी सांस ली। “मुझे लगा कि वे तुम्हंे पहचान लेंगे।” उसने कहा
“मुझे?” जब समझ आया तो मेरी हॅसी छूट गयी। हां, वह सही था। वे मुझ पर संदेह कर सकते हैं यदि उन्हें पता होगा कि मैंने सेना के बेस में लगभग दो घंटे बिताए हैं और अभी तक मेरी जांच चल ही रही है।
“मुझे लगता है, अगर वे हमें गिरफ्तार करते हैं, तो यह बहुत बुरा नहीं होगा?” उसने मेरी तरफ देखा। “मेरा मतलब है कि वे तुम्हें अस्पताल तो ले जाएंगे ... वे तुम्हारा इलाज करेंगे और तुम्हंे जीवित रखेंगे।”
“बेशक।” उसने एक कड़ी मुस्कान दी। “वे निश्चित रूप से मुझे जीवित रखेंगे और फिर सवालों पर सवाल पूछेंगे।” उसने कहा और मेरे होठों से मुस्कुराहट गायब होती चली गयी। थोडा आराम से बैठते हुए एक तंग सांस ली। “वे मुझसे हर उस जानकारी के लिए प्रताडि़त करेंगे जो मैं जानता हूँ और जो मैं नहीं जानता।” एक अल्पविराम। “वे मुझे लोहे की सलाखों से मारेंगे। वे तीसरी डिग्री का उपयोग करेंगे। मेरे नाखून खींच लेगें और मुझे मौत की हद तक यातनायें-”
“इनफ!!” मैंने उसकी बात काट दी। मेरे हाथ कांपने लगे थे। “मै समझ गयी।” मेरी आँखें आग से भर गईं थीं। मेरी साँसें नियंत्रण से बाहर थीं। मैं इस तरह की अमानवीयता नहीं सुन सकी। मैंने गाडी की स्पीड बढ़ा दी।
उसकी आॅखें मुझे निहार रहीं थीं। “यहाॅ से दाॅयें।” उसने कहा और अपना चश्मा हटा दिया। मैंने स्टीयरिंग व्हील घुमाया।
रिहान ने मुझे संकरी गलियों से गुजरने और मुख्य सड़क से बचने के लिए कहा। वह शहर और उसकी गलीयों को कम से कम मुझ से बेहतर जानता था। मैं उसके अनुसार गाड़ी चला रही थी ... ठीक वैसे जैसे उसने कहा।