ये बहुत पहले की बात है एक नाज़ुक गुलाब का पौधा था छोटा सा पौधा। एक बड़े से अंजीर के पेड़ के पीछे उगा हुआ था। अंजीर का पेड़ उसकी छोटी - छोटी डालियों का हमेशा मज़ाक उड़ाता करता था । एक दिन बहुत ते
जीवन गति बड़ी निराली है, इसे मापने का कोई निश्चित पैमाना नहीं है। संसार में कर्म और भाग्य के बारे में कोई एक धारणा नहीं है। भाग्य और कर्म दोनों के लिए अलग-अलग धारणाएँ पुरातन काल से ही प्रचलित हैं, जिसम
सवाल है कि भाग्य होता है,या नहीं होता है,लेकिन ये सच है कि,बिना कर्म के भाग्य अकेला होता है।भाग्य कर्म और समय का,योगफल होता है,जो जितना ज्यादा मेहनत करता है,उसका भाग्य उतना ज्यादा चमकीला होता है।अगर ब
शिशु जब जन्म लेता है तब यमराज की पत्नी प्रसुति उस शिशु का मरण भी तय कर देती है उसी प्रकार हमारे कर्म हमारा भाग्य लिख देते हैं..... जो बोया है तुमने बीज, वहीं तो काटोगे, अब तय तुम्हें करना है, और उस
प्रबलः कर्मसिद्धान्तः उक्ति जीवन में कर्म के सिद्धान्त को दर्षाती है कि जीव जगत में कर्म का सिद्धान्त अत्यन्त ही प्रबल है। आज हम इस सिद्धान्त को वास्तविक धरा से जुड़ी वैज्ञानिक दृश्टि से समझेंगे कि किस
मेरे प्यारे अलबेले मित्रों !बारम्बार नमन आपको🙏🙏परिचर्चा के लिए आज का अत्यंत हीं महत्वपूर्ण विषय है कर्म और भाग्य । रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा -कर्म प्रधान विश्व रचि राखा ।
निश्छलता से अपना कर्म करते रहभाग्य खुद ही एक दिन संवर जायेगाहर पल नया रंग दिखाती जिंदगीअंधेरी रात का कभी तो नया सवेरा आएगाकर्म की राह चल हौसला न हारचाहे डगमगाए कदम कर मुश्किलों को पारभाग्य चक्र चलता र
सदियों से इंसान इसी असमंजस में डूबा रहता हैं की में इतना कर्म करता हूँ किन्तु मेरा भाग्य मेरा मेरा साथ नही देता ईश्वर मेरे ऊपर अत्याचार कर रहा हैं और पता नही किस कर्म की सजा मुझे मिल रही है न जाने ऐसे
आज का मेरा जो विषय है लिखने का वो है "कर्मा" "जैसा तुम करोगे, वैसा तुम भरोगे ’’ यह 'कर्मा' का सबसे महत्वपूर्ण और सच्चा नियम है, किसी भी काम को करने का अगर हमारा Intention (इरादा) अच्
किस्मत हमारी भाग्य से जुड़ी,या फिर होती ये मेहनत से।जीवन के पहलुओं को उजागर,करते फिर भाग्य या मेहनत से।।मेहनतकश इस जीवन में कुछ,आशा और निराशा का खेल।भाग्य में लिखा होता है अगर,बनता है ये किस्मत का खेल