Dil ko mere humesha se sirf tujse hi pyar hai,Par mere raj kumar ko ye baat Mai bataaun kaise.Jiski aane ki aahat hi dil ko betab kar jaati hai,Dil ki ye halat tujse ab chhupaun kaise.Jiski hansi se labo pe mere hansi chha jaati hai,Dil ka ye pagalpan tujko dikhaun kaise.Aaine mai jab dekhu to galo
प्रेमचंद और स्त्री प्रेमचंद स्त्रियों को आधुनिक षिक्षा देने के विरोध थे और स्त्रियों की षिक्षा के सम्बंध में उनका दृस्टिकोण संकीर्णतावादी है,लेकिन यह भी स्पश्ट हैकि उनका विरोध पाष्चात्प नारी के आदर्ष को अपनाने के लिए प्रेरित करने वाली षिक्षा के प्रति है,मुझे खेेद है,हमारी
मित्र हमारे इतने अच्छे होते है की समय के साथ अपना रुख बदल लेते है अक़सर आप सभी ने देखा होगा की जब हमारे पास पैसे , ज्ञान और पहचान की बात आती है तो मित्र हमारे साथ रहते है यही जब हम उन्हें देते है तो कुछ दिनों बाद हमें भूल जाते है और यदि हम उनके सामने होते है तो भी पहच
मेरे शब्दों में अब बजन ही कंहा रहा है वो तो बस असर था तेरी मोहब्बत का , जो इतना कुछ लिखा था तेरे को दिल के आइने में देख देख के ... #आप याद आते हो मनमोहन कसाना
साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी, हिंदी साहित्य के श्रेष्ठतम रचनाकारों में से एक हैं । आपका जन्म 4 अप्रैल 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में बाबई नामक स्थान पर हुआ था । आप भारत के ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे जिनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुईं। सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के वे अनूठे हिंद
ये सच है कि कलाकार स्वतंत्रता की ज़मीन परही काम करता है उसके विचारों कि स्वतंत्रता ही उसकी वोजादुई तूलिका होती है जिसके माध्यम से वो अनेकानेक रचनाओं में रंग भरता है. कलाकार स्वतंत्र नहीं होगा तोकिसी भी नयी रचना की सम्भावना भी नहीं रहेगी. विचारों कि जितनी स्वतंत्रता होती है, कल्पना कि उड़ान भी उतनी ही