"कुंडलिया"
मेला कुंभ प्रयाग का, भक्ति भव्य सैलाब
जनमानस की भावना, माँ गंगा पुर आब
माँ गंगा पुर आब, लगे श्रद्धा की डुबकी
स्वच्छ सुलभ अभियान, दिखा नगरी में अबकी
कह गौतम कविराय, भगीरथ कर्म न खेला
काशी और प्रयाग, रमाये मन का मेला।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी