"मुक्तक"
मंदिर रहा सारथी, अर्थ लगाते लोग।
क्या लिख्खा है बात में, होगा कोई ढोंग।
कौन पढ़े किताब को, सबके अपने रूप-
कोई कहता सार है, कोई कहता रोग।।-1
मंदिर परम राम का, सब करते सम्मान।
पढ़ना लिखना बाँचना, रखना सुंदर ज्ञान।
मत पढ़ना मेरे सनम, पहरा स्वारथ गीत-
चहरों पर आती नहीं, बे-मौसम मुस्कान।।-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी