पश्चिम बंगाल के 24-परगना जिले के बशीरहाट इलाके में हिंसा भड़की हुई है. सिर्फ एक FB पोस्ट को लेकर. क्योंकि FB पोस्ट की वजह से सदियों से चला आ रहा इस्लाम उन लोगों के लिए खतरे में आ गया था. और गाड़ियों में आग लगा दी. हद है बेवकूफी की. उन्मादी लोगों ने इलाके की शांति छीन ली. 6 जुलाई को एक बार फिर हिंसा भड़क गई. इस पोस्ट की वजह से दो समुदाय आपस में भिड़ रहे हैं. इलाके में धारा 144 लगी है. गुरुवार को पुलिस ने भीड़ को काबू करने के लिए लाठीचार्ज किया, जिसमें कई लोग जख्मी भी हो गए.
दूर बैठे लोग भी इस हिंसा को भड़काने का काम कर रहे हैं. इस हिंसा को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं. और ये काम भी FB पोस्ट से ही हो रहा है. विजेता मलिक हरियाणा में बीजेपी नेता हैं. उन्होंने FB पर एक फोटो अपलोड की. एक आदमी औरत की साड़ी खींच रहा है. इस तस्वीर के साथ लिखा कि पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं पर ज़ुल्म हो रहा है. ये तस्वीर उनकी टाइमलाइन से शेयर होने लगी. लोग तस्वीर देखकर भड़कने लगे. जबकि ये तस्वीर सच नहीं है.
पहले पढ़िए क्या लिखा विजेता मलिक ने
क्या है इस तस्वीर का सच इस स्क्रीन शॉट में आप खुद ही पढ़ लीजिए. क्योंकि ये तस्वीर हकीकत की नहीं बल्कि फ़िल्मी है.
‘औरत खिलौना नहीं’ 2 घंटे 41 मिनट की भोजपुरी फिल्म है. जिस तस्वीर को हिन्दुओं पर हो रहा अत्याचार बताकर विजेता मलिक ने पेश किया, वो सीन इसी फिल्म के अंदर 2 घंटे 11 मिनट के बाद आता है. भीड़ खड़ी है. फिल्म का विलेन अपने गुंडों के साथ फिल्म की हिरोइन का चीरहरण कर रहा होता है. फिल्म का ये सीन आज के भीड़तंत्र को अच्छे से दर्शाता है. आज लोग कभी किसी को बच्चा चोरी के इलज़ाम में पीटकर मार दे रहे हैं. कभी बीफ की अफवाह में जान ले रहे हैं. और लोग तमाशबीन बने खड़े रहते हैं. ऐसे ही इस सीन में एक्ट्रेस को नंगा कर दिया जाता है. हिंसा होती है. और भीड़ ख़ामोशी से खड़ी देखती रहती है. ये फिल्म 2015 में आई थी.
विजेता मलिक को ये भी जान लेना चाहिए कि जिस तस्वीर को वो शेयर करके लोगों को भड़काना चाहती हैं. वो उस फिल्म का सीन है, जिसमें उनके बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने भी पुलिस वाले का किरदार निभाया है. कम से कम ये मनोज तिवारी से ही मालूम कर लिया होता कि ये तस्वीर पश्चिम बंगाल की है या फिर मनोज जी आपकी किसी फिल्म का सीन है.
फेसबुक पर विजेता मलिक ने अपने इंट्रो में लिखा है, ‘नशा तिरंगे की आन का है, नशा मातृभूमि की शान का है, लहरायेंगे हर जगह तिरंगा, नशा ये भारत के सम्मान का है.’ लेकिन उनकी फेसबुक वॉल पर नज़र दौड़ाओ तो नशा देश का नहीं बल्कि धर्म का नजर आता है. जो सिर्फ एक कम्युनिटी को निशाने पर लिए हुए है. देश की तो बात ही नहीं है. अगर तिरंगे की फ़िक्र होती तो समाज में ज़हर घोलकर देश के माहौल को दूषित न करती.
फिल्म में ये सीन देखना है तो देख लेना कि किस तरह से इस तस्वीर में झूठ परोसा गया. 2 घंटे 11 मिनट पर है सीन.