प्रणाम सद्गुरू, हाँ सद्गुरू जिस प्रकार से एक पौधा पूरी तरह से खिल उठता है वातावरण में सुगंध बिखेर देता है उसी प्रकार से मनुष्य के जन्म का उद्देश्य अपनी पूरी संभावना के साथ खिल उठना है
हरि अनंत हरि कथा अनंता। रंगनाथ रामायण में एक सर्वथा नई कथा मिलती है जिसके अनुसार शूर्पणखा को एक पुत्र था जिसका नाम जंबुमाली था। कथा के अनुसार जब रावण ने अपने बहनोई विद्युज्जिह्व का वध कर दिया, उस समय
हरि तुम हरो जन की भीर। द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढायो चीर॥ भक्त कारण रूप नरहरि, धरयो आप शरीर। हिरणकश्यपु मार दीन्हों, धरयो नाहिंन धीर॥ बूडते गजराज राखे, कियो बाहर नीर। दासि 'मीरा लाल गिरिधर, दु:ख
वैजयंती माला के सम्बन्ध में प्राचीन ग्रन्थों काफी महिमा का बखान किया गया है। यह माला धरा ने श्रीकृष्ण को भेंट में दी थी, अतः श्रीकृष्ण को यह माला अत्यन्त प्रिय थी। यह माला वैजयंती के बीजों से बनती है।
सुबह की शुरूवात जैसी होती है बाकि दिन भी उसी अनुसार बीतता है ऐसे में जरूरी है कि सुबह को बेहतर बनाया जाया .. शास्त्रों में सुबह के समय उठते ही कुछ विशेष कार्य करने की सलाह ही दी गई है। मान्यता है कि अ
भारतीय रीतिरिवाज अनुसार करवीर व्रत भगवान सूर्य और कनेर वृक्ष की पूजा उपासना के रूप में मनाया जाने वाला पर्व है। हिन्दु धर्म में सूर्य पंच देवों में एक है। वह साक्षात देव माने जाते हैं। जिनकी अपार शक्त
मैंने आज सुबह-सुबह संकल्प लिया कि होश पूर्वक आज हर कृत्य करूँगा लेकिन मैं अपने आप को भूल गया ।यह पुरा दिन बेहोश ही निकला ।बेहोशी से हंसी भी निकला क्रोध भी आया गीत भी गाए गुन गुनाए । संकल्प का जर
हम प्रतिपल बेहोश है इस बेहोशी का हमें तनिक भी पता नही जिसे हम जीवन मान कर चले है वह एक यंत्रवत कार्य मात्र है । सुबह उठते ही यह यंत्रवत चालू हो जाता है और हम अपने काम में लग जाते हैं। हम समझ रहे
हमारी दिनचर्या सुबह से शुरु होती है ।सबेरे सबेरे हम क्या करते हैं ।पहले तो बिस्तर से उठे कि राम का नाम ले लेकिन अब बहुत परिवर्तन हो चुका है मोबाईल की लत ने आदत हमारी बिगाड़ दी है ।आपने रात में सो
महामृत्युंजय मंत्र पौराणिक महात्म्य एवं विधि〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰महामृत्युंजय मंत्र के जप व उपासना कई तरीके से होती है। काम्य उपासना के रूप में भी इस मंत्र का जप किया जाता है। जप के लिए अलग-अलग मंत्रों क
हे निलंबरा हे निलंबरा मतेस्वरी मतेस्वरी हे श्मशान निवशनी हे भभूतनि हे मृत्यु शय्या विराजनी हे अघोरणी हे निलंबरा मतेस्वरी हे मुक्तकेशी एकजटा हे निलंबरा हे खड़क धरिणी हे मारणी हे निलंबरा हे निलंबरा म
हे रक्तदन्तिका महादेवी नमस्तुते प्रचिती नाशनी सूर्यकोटि महाबला हे भक्षणि दानव दामानि हे रक्तम्भरी रक्तदन्तिके नमस्तुते घोरकेशा अंधकेशा भयंकरी हे श्रंगलिनी शक्तिस्वरूपा माहेश्वरी हे सहस्त्राणि खण्ड
बगलामुखी साधना में महाविद्याओं तथा उनकी उपासना पद्धतियों के बारे में संहिताओं, पुराणों तथा तंत्र ग्रंथों में बहुत कुछ दिया गया है। बगलामुखी देवी की गणना दस महाविद्याओं में है तथा संयम-नियमपूर्वक बगलाम
बगलामुखी परिचय एवं साधना नियमवैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है जिस कारण इसे माँ बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना कि जाती है
पचास साल की उम्र पूरी होने के बाद शुरू होती है दूसरी पारी।भागदौड़ भरी जिन्दगी को अलविदा कहकर पूरे करने होगे अधूरे रह गये सपने।अपनी रुचि के काम जैसे बागवानी,जरूरतमंद की मदद के लिए नरसेवा-नारायण सेवा ओ मूर्तरूप देना,सूखते रिश्तो को समय के जल से सीचना,सामाजिक सरोकार विषय पर लेखन के साथ प्रेरणादायक प्रस
जब में ये लिख रहा हु, मेरी एक बहस हुई है, दिन की सुरुवात में, नींद की कठिनाइय, जीवन में बदलाव, एक कार्यभार जो बहुत अधिक है।जैसा कि आप कल्पना कर सकते हैं, इस सब को तनावपूर्ण, कष्टप्रद, कठिन और बस आम तौर पर चूसने जैसा देखने का एक तरीका है। मैं इसे इस तरह से बिल्कुल नहीं देखता, लेकिन उस मानसिकता में उत
सफलता के 20 मँत्र " 1.खुद की कमाई से कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनाओ..! 2. दिन मेँ कम से कम 3 लोगो की प्रशंसा करो..! खुद की भुल स्वीकारने मेँ कभी भी संकोच मत करो..! 4. किसी के सपनो पर हँसो मत..! 5. आपके पीछे खडे व्यक्ति को भी कभी कभी आगे जाने का मौका दो..! 6. रोज हो सके तो सुरज को उगता हुए देखे..! 7. ख