प्रणाम सद्गुरू,
हाँ सद्गुरू जिस प्रकार से एक पौधा पूरी तरह से खिल उठता है वातावरण में सुगंध बिखेर देता है उसी प्रकार से मनुष्य के जन्म का उद्देश्य अपनी पूरी संभावना के साथ खिल उठना हैं । हमे अपना वजूद ही पता नही है और जिए चले जा रहे है ।रास्ते में तो जा रहे हैं पर ये रास्ता मंजिल की ओर ले जाता है ये पता नही। समय व्यर्थ गँवा रहे है। सही दिशा दिखाने वाला "ध्यान" ही उसका साथी है जो उसे खिलने पूरी तरह से सहायता प्रदान करेगा।
save tree🌲save earth🌏&save life❤