#1. इस फ़िल्म को प्रस्तुत कर रहा है NFDC (नेशनल फिल्म डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन), जो इंडिपेंडेंट और स्वस्थ कहानियों वाली फिल्मों को सपोर्ट करते हैं. इससे पहले इन्होंने ‘गांधी’, ‘द लंचबॉक्स’, ‘तितली’, ‘चौथी कूट’ और ‘किस्सा’ जैसी फिल्में प्रस्तुत की थीं.
#2. इसका नाम ‘अंग्रेज़ी में कहते हैं’ अमिताभ बच्चन की 1982 में आई फिल्म ‘ख़ुद्दार’ के गाने से प्रेरित लगता है. उसके बोल थे – ‘अंग्रेजी में कहते हैं कि आई लव यू.’ जो बात गाने में कही गई थी, इस फिल्म की थीम भी वही है.
#3. संजय मिश्रा ने इसमें लीड रोल किया है. जैसे ‘आंखों देखी’ में उनका पूरा रोल था. हालांकि बाकी एक्टर्स और उनके किरदार भी उतने ही महत्व के हैं. इसमें पंकज त्रिपाठी, शिवानी रघुवंशी, अंशुमान झा, एकावली खन्ना और बृजेंद्र काला भी हैं.
#4. शुक्रवार को फिल्म का पहला ट्रेलर आ गया है. जिसे देखकर लगता है कि ये इस साल की सबसे अच्छी और स्वस्थ फिल्मों में से एक होगी. इसका विषय ऐसा है जिसे हिंदी फिल्मों में यूं पहले कब एक्सप्लोर किया गया था याद नहीं आता. न जाने कितने लोगों को इसका मैसेज पॉज़िटिव तरीके से प्रभावित करेगा.
#5. कहानी यशवंत बत्रा (संजय मिश्रा) से शुरू होती है जो 50 पार कर चुके हैं. पोस्ट ऑफिस में काम करते हैं. उनके हिसाब से पति और पत्नी के बीच प्रेम का मतलब है – “ये घर संभालती हैं, मैं दफ्तर जाता हूं. इसे कहते हैं शादी.” उन्होंने अपने दांपत्य जीवन की गर्माहट को कब का खत्म कर दिया है. जब पत्नी किरण (एकावली) बहुत कोशिशें करती हैं और पति की ओर से सिवा अकड़ के कुछ नहीं मिलता तो वे सख़्त कदम उठाती हैं.
#6. यशवंत का पात्र इसके बाद जीवनसाथी की अहमियत समझता है. उसे अहसास होता है कि भारत के करोड़ों पतियों की तरह उससे भी कितनी बड़ी ग़लती हो गई.
#7. कहानी में दूसरी जोड़ी है उनकी बेटी प्रीति (शिवानी) और उसके बॉयफ्रेंड जुगनू (अंशुमान) की जो एक-दूजे से बहुत प्यार करते हैं. लेकिन उस समाज में जिसमें अरेंज मैरिज के लिए तो गहरी श्रद्धा है लेकिन युवाओं के लव के लिए कोई सम्मान नहीं. शुरू में यशवंत इस रिश्ते की वजह से हाथ भी उठा देते हैं लेकिन बाद में कैसे इन्हीं युवाओं के लव को देखकर उनकी सोच बदल जाती है.
#8. यहां तीसरा कपल है फिरोज़ (पंकज त्रिपाठी) और सुमन (इप्सिता चक्रबर्ती) का. दोनों ने इंटर-कास्ट मैरेज की है और इतना प्यार करते हैं जिसकी कोई सीमा नहीं. इन्हें देखकर इंस्पिरेशन मिलती है. अब बेटी, उसका बॉयफ्रेंड, दोस्त (बृजेंद्र) और फिरोज़ के सहयोग और प्रेरणा से यशवंत अपनी ग़लती को सही करने की कोशिश करते हैं. और उसके लिए न जाने क्या-क्या करते हैं. लेकिन क्या वे अपनी किरण को मना पाते हैं, ये अंत में पता चलता है.
#9. ‘अंग्रेजी में..’ को डायरेक्ट किया है हरीश व्यास ने जो इससे पहले पंजाबी फिल्म ‘प्रॉपर पटोला’ बना चुके हैं. वे फाइन आर्ट्स के बैकग्राउंड से आते हैं.
#10. वाराणसी में स्थित कहानी वाली ये फिल्म 18 मई को रिलीज हो रही है.