शीर्षक --- बिजली, सौदामनी, शया, घनप्रिया, ऐरावती, बीजुरी, चंचला, क्षणप्रभा, चपला, इन्द्र्वज्र, घनवल्ली, दामिनी, ताडित, विद्युत
"मुक्तक"
तुझे देख सौदामिनी, डर जाता मन नेक।
तू चमके आकाश में, डरती डगर प्रत्येक।
यहाँ गिरी कि वहाँ गिरी, सदमे में हैं लोग-
सता रही इंसान को, चपला चिंता एक।।
लहराती नागिन सरिस, कातिल तेरी चाल।
तेज दौड़ती चंचला, बिना पाँव की नाल।
शोर करे जब भी चले, चिग्घाड़े दिन रात-
मन करता है पकड़ लू, पर डर से बेहाल।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी