“मुक्तक”
नूतन किसलय फूल खिले हैं अरमानों के बाग में।
चितवन चितवन धूल भरी है इन्सानों के भाग में।
जिसके मन में जो आता है तूल झुला के रख दिया-
वीणा में अनगिनत तार हैं पहचानों के राग में॥-१
नव जीवन मिलता हैं किसको बार बार जब रोग लगे।
सुख दुख है सबके जीवन में आर पार हठ जोग लगे।
कर्म धर्म की अपनी धूरी फिर नवीन पाखंड क्यों-
नए नए उपवन खिल जाएँ अमरता का भोग लगे॥-२
महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी