दुष्कर्म आज ही नहीं सदियों से नारी जीवन के लिए त्रासदी रहा है .कभी इक्का-दुक्का ही सुनाई पड़ने वाली ये घटनाएँ आज सूचना-संचार क्रांति के कारण एक सुनामी की तरह नज़र आ रही हैं और नारी जीवन पर बरपाये कहर का वास्तविक परिदृश्य दिखा रही हैं . भारतीय दंड सहिंता में दुष्कर्म ये है - भारतीय दंड संहिता १
आपने भी शायद यह कई बार सुना होगा। लेकिन आज लता को जब यह सासूमाँ ने बोला तो वह भौचक रह गयी। उसकी आँखें डबडबा गई । पिछले १० साल मानो उसके नज़र के सामने से एक पल में निकल गया हो । जब नई नवेली दुल्हन बनकर उसने अपने पति के घर में पहला कदम रखा था। बस बीस साल की थी तो वह। कितनी गलतिया की थी उसने शुरू के
कवि शायर कह कह कर मर गए-''इस सादगी पे कौन न मर जाये ए-खुदा,''''न कजरे की धार,न मोतियों के हार, न कोई किया सिंगार फिर भी कितनी सुन्दर हो,तुम कितनी सुन्दर हो.'' पर क्या करें आज की महिलाओं के दिमाग का जो बाहरी सुन्दरता को ही सबसे ज्
''कुछ लोग वक़्त के सांचों में ढल जाते हैं ,कुछ लोग वक़्त के सांचों को ही बदल जाते हैं ,माना कि वक़्त माफ़ नहीं करता किसी कोपर क्या कर लोगे उनका जो वक़्त से आगे निकल जाते हैं .'' नारी शक्ति को लेकर ये पंक्तियाँ एकदम सटीक उतरती हैं क्योंकि न
बहुत अच्छा लगता है ये सुनकर कि कोई तो है जो जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए अपना समय देता है। उसे अपनी जरूरत समझता है। और ऐसा जब कोई महिला करती है तो बात कुछ और ही होती है। इन्हीं कुछ महिलाओं में से एक स्मिता हैं। स्मिता जरूरतमंद लोगों तक पहुंचती हैं और फेसबुक के ज़रिए उनकी मदद करती हैं। फेसबुक पर उनकी
नारी सशक्त हो रही है .इंटर में लड़कियां आगे ,हाईस्कूल में लड़कियों ने लड़कों को पछाड़ा ,आसमान छूती लड़कियां ,झंडे गाडती लड़कियां जैसी अनेक युक्तियाँ ,उपाधियाँ रोज़ हमें सुनने को मिलती हैं .किन्तु क्या इन पर वास्तव में खुश हुआ जा सकता है ?क्या इसे सशक्तिकरण कहा जा सकता है ? नहीं .....................
आज जैसे जैसे महिला सशक्तिकरण की मांग जोर पकड़ रही है वैसे ही एक धारणा और भी बलवती होती जा रही है वह यह कि विवाह करने से नारी गुलाम हो जाती है ,पति की दासी हो जाती है और इसका परिचायक है बहुत सी स्वावलंबी महिलाओं का विवाह से दूर रहना . यदि हम सशक्तिकरण की परिभाषा में जाते हैं तो यही पाते हैं कि ''स
व्यथित सही ,पीड़ित सही ,पर तुझको लगे ही रहना है , जब तक सांसें ये बची रहें ,हर पल मरते ही रहना है . ............................................................................ पिटना पतिदेव के हाथों से ,तेरी किस्मत का लेखा है , इस दुनिया की ये बातें ,माथे धरकर ही रहना
मही अर्थात धरती , जिसे हिला कर रख दे वह है महिला। 8 मार्च संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा महि
आज महिला दिवस के मौके पर हम आपको भारत की कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो कई रिकॉर्ड तोड़ रही हैं। इनमें से कोई बहुत लम्बी है तो कोई बहुत छोटी तो एक तो दुनिया की सबसे बुद्धिमान लड़की है। इनमें से कुछ को शारीरिक समस्या भी है।लेकिन ये महिलाएं इस समस्या को एक चुनौती के रूप में देखती हैं और
कुछ टैलेंट्स तो इंसान जन्म के दौरान ही लेकर आता है और कुछ यहां धरती पर आने के बाद आ जाती हैं। वैसे कुछ लोगों में इतनी प्रतिभाएं होती हैं कि उनके बारे में कुछ कहना भी कम ही लगता है। शायद उन्हें ही 'गॉड गिफ्टेड' का नाम दिया जाता है। एक ऐसा ही नाम है 'नैना जायसवाल', जिन्हें गॉड गिफ्टेड की संज्ञा दी जा
''आंधी ने तिनका तिनका नशेमन का कर दिया , पलभर में एक परिंदे की मेहनत बिखर गयी .'' फखरुल आलम का यह शेर उजागर कर गया मेरे मन में उन हालातों को जिनमे गलत कुछ भी हो जिम्मेदार नारी को ठहराया जाता है जिसका सम्पूर्ण जीवन अपने परिवार के लिए त्याग और समर्पण पर आधारित रहता है .
तमन्ना जिसमे होती है कभी अपनों से मिलने की रूकावट लाख भी हों राहें उसको मिल ही जाती हैं , खिसक जाये भले धरती ,गिरे सर पे आसमाँ भी खुदा की कुदरत मिल्लत के कभी आड़े न आती है . ............................................................................................ फ़िक्र जब होती अपनों की समय तब निकल
मंडप भी सजा ,शहनाई बजी ,आई वहां बारात भी ,मेहँदी भी रची ,ढोलक भी बजी ,फिर भी लुट गए अरमान सभी .समधी बात मेरी सुन लो ,अपने कानों को खोल के ,होगी जयमाल ,होंगे फेरे ,जब दोगे तिजोरी खोल के .आंसू भी बहे ,पैर भी पकड़े ,पर दिल पत्थर था समधी का ,पगड़ी भी रख दी पैरों में ,पर दिल न पिघला समधी का .सुन लो समधी
आपको 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए हमले का दिन याद होगा। कैसे इस घटना के बाद देश में एक गुस्सा फूट पड़ा था। इस हमले में आतंकवादी नाकाम हो गए। हमारे सुरक्षा बलों ने उन्हें कड़ी टक्कर दी और उनके मकसद को कामयाब नहीं होने दिया। इस हमले में 13 जवान और 1 माली की मौत हो गई। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिसने इ
कुछ दिनों से नगालैंड में जनजातीय संगठनों का विरोध-प्रदर्शन चल रहा है। जिससे निपटने के लिए हुई पुलिस फायरिंग में दो व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। अराजकता तथा अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने कुछ शहरी इलाकों में कर्फ्यू , इंटरने
जी हाँ, यह अब तक का सबसे बड़ा खुलासा है. खुलासा करने वाली कोई महिला नही बल्कि एक लड़का कर रहा है. यह कोई गलत बात नहीं हैं आपने भी तो देखा ही होगा, ये 'हिलाओं' वाला कारनामा और यह
कानपुर के किसोरा राज्य की आत्मबलिदानी राजकुमारी ताजकुंवरी भारत पर आक्रमण करने के पीछे मलेच्छ आक्रांताओं का उद्देश्य भारत में लूट, हत्या, बलात्कार, मंदिरों का विध्वंस और दांव लगे तो राजनीतिक सत्ता पर अधिकार स्थापित करना था। अत: भारतीयों ने भी इन चारों मोर्चों पर ही अपन
" डाक्टर मैँ एक गंभीर समस्या मेँ हुँ और मै आपकी मदद चाहती हुँ । मैं गर्भवती हूँ, आप किसी को बताइयेगा नही मैने एक जान - पहचान के सोनोग्राफी लैब से यह जान लिया है कि मेरे गर्भ में एक बच्ची है। मै पहले से एक बेटी की माँ हूँ और मैं किसी भी दशा मे दो बेटियाँ नहीं चाहती" -
वे स्कूल जाती थीं, तो लोग पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 160 साल पहले बालिकाओं के लिये जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था कितनी सामाजिक मुश्किलों से खोला गया होगा देश में एक अकेला बालिका विद्यालय।सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया