महिला सशक्तीकरण पर सर्वाधिक चर्चा नब्बे के दशक से उभरे भूमंडलीकरण के दौरान प्रारंभ हुई। 'विमेन फ्रीलिव' जैसे अप्रासंगिक आन्दोलन ने 'सशक्तीकरण' का जो रूप ग्रहण किया है वह उचित एवं प्रासंगिक दोनों ही है। महिला सशक्तीकरण के सन्दर्भ में जब कानपुर का प्रसंग आता है तो कुछ नाम सहज ही याद आने लगते हैं। इन्ह
श्रीश्री रविशंकर के रवि से श्रीश्री बनने तक के सफर के बारे में एमएन चक्रवर्ती आगे बताते हैं, उन दिनों में वह बेहद आकर्षक थे। एक ऐसा युवक जिसके गाल आपको उसके करीब ले जाते और आपका दिल करता कि आप उसके गालों को पिंच करें। लंबे उड़ते बाल और दाढ़ी के बावजूद आप जब उसे छूते तो आपके अंदर नारी को छूने वाला फी
सादर शुभ प्रभात मित्रों,आज विश्व महिला दिवस पर मंच की सभी महिला मित्रों को सादर प्रणाम, महिला शक्ति को सादर नमन। मुझे लगता है कि आज हमें अपने अंतरमन से यह जरूर पुछना चाहिए कि क्या हमारे अबतक के जीवन का एक पल भी बिना किसी महिला के साथ के व्यतित हुआ है। अगर उत्तर नहीं है तो पीछे मुड़कर देखें, जन्म दिया
औरत तो अपना फर्ज़ खूब निभाती रही,और ये दुनिया मासूम पर ज़ुल्म ढाती रहीन मालूम कितनी कुर्बानियां दी हैं अब तलक,वो बेक़सूर होकर भी ताउम्र सज़ा पाती रहीबेटी, माँ, सास का किरदार सलीके से निभाया,इनाम तो न हुआ हासिल ज़िल्लत ही पाती रहीउसे इल्म ही न था कुछ सीखने समझने का,यही एक कमी थी दुनिया बेवक़ूफ बनाती रह
स्त्री यदि बहन है तो प्यार का दर्पण है,स्त्री यदि पत्नी है तो खुद का समर्पण है,स्त्री यदि भाभी है तो भावना का भण्डार है,स्त्री अगर मामी, मौसी, बुआ है तो स्नेह का सत्कार है,स्त्री यदि चाची है तो कर्तव्य की साधना है,स्त्री अगर साथी है तो सुख की शतत् सम्भावना है,औरस्त्री यदि माँ है तो साक्षात परमात्मा
भारतीय नारी एक साथ 10 से 15 परिवार का टेंशन लेके चलती है -.- -.- -.- एक उनका खुद का बाकि टीवी सीरियल और पडोसी का 😜😜😜
माँ मार मार कर खिलाती है ।पत्नी खिला खिला कर मारती है ।(क्षमा करे सभी नही)
अर्ध सत्य तुम, अर्ध स्वप्न तुम, अर्ध निराशा-आशाअर्ध अजित-जित, अर्ध तृप्ति तुम, अर्ध अतृप्ति-पिपासा,आधी काया आग तुम्हारी, आधी काया पानी,अर्धांगिनी नारी! तुम जीवन की आधी परिभाषा।इस पार कभी, उस पार कभी.....तुम बिछुड़े-मिले हजार बार,इस पार कभी, उस पार कभी।तुम कभी अश्रु बनकर आँखों से टूट पड़े,तुम कभी गीत
एक लङकी थी रात को आँफिस से वापस लोट रही थी तो देर भी हो गई थी... पहली बार ऐसा हुआ ओर काम भी ज्यादा था तो टाइम का पता ही नही चला वो सीधे auto stand पहुँची. वहाँ एक लङका खङा था वो लङकी उसे देखकर डर गई की कही उल्टा सीधा ना हो जाए तभी वो लङका पास आया ओर कहा बहन तू मौका नही जिम्मेदारी हे मेरी ओर जब तक त
ये Women's Day वगैरह विदेशी टँटा है टोटल । तुम महिलाओँ 'का' ध्यान रखो अपन महिलाओँ 'पर' ध्यान रखते हैँ । तुम साल मेँ एक दिन महिला महिला कर लेते हो इधर अपन एक दिनमेँ दस बार माँ बहन करते हैँ ।और ये कौन बक रहा था कि अपन महिलाओँ को नजरअँदाज करतेहैँ?? अरे उसकी प्रोफाइल पिक तक नहीँ छोड़ते, बकायदा जूम करकर
@लाज है नारी का गहना,इसका मत व्यापार करो@********************************************************नारी जिस्म-फ़रोशी का , बन्द यह बाजार करो ।लाज है नारी का गहना,इसका मत व्यापार करो ॥नारी के जिन उरोजों पर,होता शिशुओं का अधिकार।मिलती है जिनसे उनको,उज्ज्वल पावन जीवन-धार॥सरे आम उघाड़ कर उनको, न उन पे अत्या