विपक्षी दलों ने जब से भाजपा के राष्ट्रपति पद के दलित उम्मीदवार श्री रामनाथ कोविंद के सामने दलित उम्मीदवार के ही रूप में मीरा कुमार जी को खड़ा किया है तब से भाजपा के नेताओं व् भाजपा के समर्थकों के पसीने छूटने लगे हैं.कभी मीरा कुमार जी के दलित होने को लेकर सोशल मीडिया पर खील्ली उड़ाई जा रही है तो क
माता-पिता बच्चों को स्कूल इसी उम्मीद में भेजते हैं कि वहां उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ मानवीय मूल्य भी सिखाये जायेंगे. लेकिन कुछ स्कूल अपनी इस ज़िम्मेदारी को भुलाते हुए, बच्चों को ऐसी पाठ्य सामग्री देते हैं, जो उन्हें नस्लभेदी भी बना सकती है.ये तस्वीर बच्चों की पाठ्यपुस्तक में छपी है. इसके द्वारा बच्चों क
फादर्स दे पर पिता का बेटी के नाम लिखा पत्र डॉ शोभा भारद्वाज बोस्टन ( यूएस ) हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के नोटिस बोर्ड पर सुंदर हैंडराईटिंग में हाथ से लिखा पत्र लगा था | फादर्स डे बीते पांच दिन हो चुके थे इंटरनेट के जमाने म
अगर आपको लगता है कि ठरकी लोग केवल दिल्ली मेट्रो में चढ़ते हैं तो ये वीडियो आपको गलत साबित करने वाला है.सिंगापुर मेट्रो में ये वीडियो 13 मई को शूट हुआ. इसे शूट किया उमा नाम की एक लड़की ने.वीडियो में आप देख पाएंगे किस तरह एक अंकल जी अपने फो
ईरान की संसद और खोमैनी के मकबरे पर इस्लामिक स्टेट के हमलों में 12 की मौत ईरान की संसद और खोमैनी के मकबरे पर इस्लामिक स्टेट के हमलों में 12 की मौत ईरान की संसद और यहां के क्रांतिकारी संस्थापक रूहुल्लाह खोमैनी के मकबरे पर बुधवार को बंदूकधारियों और आत्मघाती हमलावरों ने सुन
अगर बिन दर्द के अपने मुझे तू क़त्ल कर देता , खुदा अपने ही हाथों से ये तेरी सांसें ले लेता , जन्म मेरा ज़मीं पर चाहा कब कभी किसने जुनूनी कोई भी बढ़कर कलम ये सर ही कर देता . ................................................................ दिलाओ मुझको हर तालीम हवाले फिर कहीं कर
भारतीय संस्कृति ,जिसका हम इस विश्व में बहुत बढ़-चढ़ कर गुणगान करते हैं अब लगता है उसकी तरफ से मुंह फेरने का वक़्त नज़दीक आ गया है .कहने को यहाँ मेरी सोच को पुरातनवादी कहा जायेगा ,पिछड़ी हुई कहा जायेगा ,बहनजी सोच कहा जायेगा किन्तु क्या यही आ
कुर्सियां,मेज और मोटर साइकिल नजर आती हैं हर तरफ और चलती फिरती जिंदगी मात्र भागती हुई जमानत के लिए निषेधाज्ञा के लिए तारीख के लिए मतलब हक के लिए! ये आता यहां जिंदगी का सफर, है मंदिर ये कहता न्याय का हर कोई, मगर नारी कदमों को देख यहां लगाता है लांछन बढ हर कोई. है व
''हैलो शालिनी '' बोल रही है क्या ,सुन किसी लड़की की आवाज़ मैंने बेधड़क कहा कि हाँ मैं ही बोल रही हूँ ,पर आप ,जैसे ही उसने अपना नाम बताया ,अच्छा लगा ,कई वर्षों बाद अपनी सहपाठी से बात कर रही हूँ ,पर आश्चर्य हुआ कि आखिर उसे मेरा नंबर कैसे मिला ,क्योंकि आज जो फोन नंबर की स्थिति
दर्द गृहस्थी का ,बह रहा आँखों से छलके , ये उसके पल्लू बाँधा है ,उसी के अपनों ने बढ़के . ................................................................पिता के आदेशों को मान ,चली थी संग जिसके वो. उसी ने सड़कों पर डाला ,उसे बच्चे पैदा करके. ..................................
आपने कुछ दिन पुराना वो किस्सा जरूर सुना होगा जब गूगल ने एक लड़की को आत्महत्या करने से बचा लिया। मामला यह था कि लड़की को उसके बॉयफ्रेंड ने रिलेशनशिप के कई सालों बाद शादी करने से मना कर दिया था। कारण वही पुराना घिसा-पिटा था, लड़के के मां-बाप इस रिश्ते के लिए कतई राजी नहीं थे। अपने सामने कोई रास्ता न देख
न जाने कितनी ही लड़कियों की शादी उसके पंद्रहवें जन्मदिन से पहले कर दी जाती हैं. इनमें से कुछ लड़कियों की शादी तो आठ या नौ साल की उम्र में भी कर दी जाती है. अगर यही गति बनी रही तो 2011 से 2020 के बीच 14 करोड़ से ज्यादा लड़कियों की 18 से कम उम्र में शादी हो जाएगी. पुरानी
गाज़ियाबाद की एक मुस्लिम महिला आज इस बात के लिए अफ़सोस कर रही है, कि उसने अपने घर पर रखा नमकीन का पैकेट मायके वालों को क्यों दिया. ये नमकीन आज उसके तलाक का कारण बन चुकी है. बीते रविवार को उत्तर प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति राज्य मंत्री और सांसद अतुल गर्ग के जनता दरबार में एक ऐसा केस आया कि वो भी असहा
जब भी महिलाओं के सामने करियर चुनने की बात आती है तो समाज उनके लिए कुछ काम तय कर देता है, जैसे टीचर बन जाओ फिर पूरी जिंदगी कोई दिक्कत नहीं होगी। कई ऐसे प्रोफेशन भी हैं जिसमें काम करने वाली महिलाओं का चरित्र निर्धारण लोग बहुत जल्दी कर देते हैं। मसलन फलां काम करने वाल
"भारतीय नारी" जिसे सम्पूर्ण विश्व प्रेम, स्नेह, त्याग ,तपस्या, वात्सल्य,संघर्ष, समझदारी, बुद्धिमत्ता और नेतृत्व कौशल की देवी के रूप में देखता है। भारतीय संस्कृति में नारी को देवी समान माना गया है विभिन्न अवसरों पर उनकी पूजा होती है। वेदों में ये भी कहा गया है कि "यत्र
काला रंग, गोरा रंग ये हमारे समाज का एक कड़वा सच है. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बदलते समय के साथ दुनिया ने बहुत तरक्की की है, लेकिन अफ़सोस की बात ये है, कि लोगों की मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आया है. ज़्यादातर लोगों के लिए सुंदरता का मतलब होता है गोरा होना.भारत में ब्यूटी प्रोडक्ट्स का कार
समीक्षा - '' ये तो मोहब्बत नहीं ''-समीक्षक शालिनी कौशिक उत्कर्ष प्रकाशन ,मेरठ द्वारा प्रकाशित डॉ.शिखा कौशिक 'नूतन' का काव्य-संग्रह 'ये तो मोहब्बत नहीं ' स्त्री-जीवन के यथार्थ चित्र को प्रस्तुत करने वाला संग्रह है .आज भी हमारा समाज पितृ-सत्ता की ज़ंजीरों में ऐसा जकड़ा ह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी भाषण देते हैं तो श्रोता उनके साथ जुड़ जाते हैं। भले ही लोग उनसे सहमति रखते हों या न रखते हों लेकिन इस बात में कोई दोराय नहीं है कि उनकी भाषण शैली कुछ खास है। मौजूदा दौर में पक्ष-विपक्ष का शायद ही कोई ऐसा नेता होगा, जो यह दावा कर सके कि लोगों को अपनी भाषण शैली से बांधे
बेटी का जन्म पर चाहे आज से सदियों पुरानी बात हो या अभी हाल-फ़िलहाल की ,कोई ही चेहरा होता होगा जो ख़ुशी में सराबोर नज़र आता होगा ,लगभग जितने भी लोग बेटी के जन्म पर उपस्थित होते हैं सभी के चेहरे पर मुर्दनी सी ही छा जाती है.सबसे ज्यादा आश्
मेरा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है' ये तो आपने देखा और सुना ही होगा. इस स्लोगन से ये प्रतीत होता कि हमारे भारत की छवि बदल रही है और देश तरक्की की राह पर है. अच्छी बात है कि देश ख़ूब तरक्की करे और आगे बढ़े, इससे बढ़कर हम देशवासियों के लिए फ़र्क की बात और क्या हो सकती है.लेकिन इतनी तरक्की के बावजूद द