हमारे जहन में जब भी इंटरव्यू की बात आती है तो पूरे शरीर में पसीना आने लगता है। लिखित में पेपर देना आसान होता है लेकिन इंटरव्यू में आपको अथाह नोलेज, हाजिरजवाबी और संयम तीनो की जरूरत पड़ती है।पहला सवाल तो अक्सर महिलाओ से पूछा जाता है, अगर आपके पति का किसी और महिला से अफेयर
एसिड अटैक सर्वाइवर्स को समाज या तो बहिष्कृत महसूस कराता है या फिर उनको संवेदना और दया भाव से ही देखा जाता है. दया दिखाने से ज़्यादा ज़रूरी है संवेदनशीलता दिखाना. सर्वाइवर्स की जगह पर ख़ुद को रखकर सोचने की ज़रूरत है.Source- KettoHumans of Bombayफ़ेसबुक पेज पर एक एसिड अटैक
प्यार से ही दुनिया चल रही है. नफ़रत कितनी भी जगह क्यों न बना ले, अगर प्यार है तो हर मर्ज़ की दवा मिल जाती है, सारी परेशानियों का हल मिल जाता है.लेकिन कई बार कुछ लोग ग़लत इंसान से मोहब्बत कर लेते हैं. इतनी गहरी मोहब्बत कि उनके लिए सही-ग़लत के सारे पैमाने ख़त्म हो जाते हैं.
इस वीडियो को देखिए. एक बार नहीं. बार बार. ईयरफोन लगाकर. स्पीकर तेजकर. अकेले. दोस्तों के साथ. तब तक. जब तक इसकी एक एक आवाज, एक एक शब्द, एक एक भाव रोएं रोएं से भीतर न पैठ जाए.ये कल्कि कोएचलिन हैं. ये उनकी लिखी कविता है. या कि एक सच्चाई. एक खौफ. जिसके हम सब जो पढ़ रहे हैं, ह
सोशल मीडिया पर दिनभर में बहुत कुछ दिखता है. अच्छा-बुरा, हर तरह का कॉन्टेंट. पर कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं कि देखकर एकदम दिल खुश हो जाता है. बेंगलुरु से ऐसी ही एक फोटो आई है, जो आपने ऊपर देखी. इसकी कहानी भी दिल खुश कर देने वाली है.शुक्रवार की सुबह बेंगलुरु के दोद्दाथगुरु इलाक
पति द्वारा क्रूरता से तो सभी वाकिफ हैं और उसके परिणाम में पति को सजा ही सजा मिलती है किन्तु आनंद में तो पत्नी है जो क्रूरता भी करती है तो भी सजा की भागी नहीं होती उसकी सजा मात्र इतनी कि उसके पति को उससे तलाक मिल सकता है किन्तु नारी-पुरुष समानता के इस युग में पारिवारिक संबंधों के मामले में पुरुष
. यूनान ,मिस्र ,रोमां सब मिट गए जहाँ से , बाकी अभी है लेकिन ,नामों निशां हमारा . कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी , सदियों रहा है दुश्मन ,दौरे ज़मां हमारा . भारतीय संस्कृति की अक्षुणता को लक्ष्य कर कवि इक़बाल ने ये ऐसी अभिव्यक्ति दी जो हमारे जागृत व् अवचेतन मन में चाहे -अनचाहे विद्यम
देशभर में आश्विन के महीने में देवी की पूजा की जाती है. देश के अलग-अलग क्षेत्रों में देवी के पूजा के विधि-विधान भी अलग होते हैं.कहीं पर पूरे निरामिष (शाकाहारी) तरीके से पूजी जाती हैं आदिशक्ति, तो कहीं पर आमिष (मांसाहारी) तरीके से. श्रद्धा के तौर-तरीके अलग-अलग. कोई नौ दिनों तक कठिन व्रत करता है, तो को
वैसे तो कहने के लिए हम चाँद पर पहुँच गए है लेकिन आज भी हमारे देश भारत में तमाम ऐसे रीती-रिवाज और परंपरा है जो सदियों से अभी तक कायम है। ऐसा नहीं है की सभी रीती रिवाज गलत है या फिर समाज के लिए गलत है लेकिन अभी भी कुछ ऐसे रिवाजें है जिसे समाज में एक काला धब्बा को छोड़कर कुछ नहीं कहा जा सकता है। ऐसा नही
दुनिया दो ऐसे प्राणी हैं जिन पर सबसे ज्यादा चुटकुले बनते हैं- पति और पत्नी। ये दोनों ही प्राणी जीवन में एक दूसरे के सबसे घनिष्ठ साथी होते है और सबसे ज्यादा आपस में नोंकझोंक भी यही करते हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पत्नियों के नखरों और मांगों के आगे पति की एक नहीं चल पाती है। पत्नी न
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक महिला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और अपने पति को तलाक दे दिया. शाजदा का कहना है कि मौलवी और उनका पति 'खुला' के लिए बात तक करने को तैयार नहीं थे. खुला के द्वारा मुस्लिम महिलाएं अपने पति से तलाक़ ले सकती हैं.Source: Matrubhoomiशाजदा ख़ातून ने बताया कि वो चिट्ठी द्वारा
जिस घटना के बारे में आज आपको बता रही हूं, उसके लिए 'छेड़-छाड़' शब्द बहुत हल्का है. हर दिन अख़बार रेप, छेड़-छाड़, यौन शोषण की ख़बरों से पटे रहते हैं. जगहों के नाम बदल जाते हैं पर दरिंदों के इरादे वही होते हैं. इस बार हैदराबाद में दिन-दहाड़े छेड़-छाड़ की घटना वीडियो में रिकॉर्ड की गयी है.मौका था गणेश विसर्जन क
महिलाओं पर होते अत्याचार और उनकी समस्याओं के बारे में तो हम सब जानते हैं. अपने देश में महिलाएं मूलभूत सुविधाओं के लिए भी जूझती दिखती हैं. लेकिन हर महिला का ये हाल नहीं है. कुछ को देख कर आपको समझ आएगा कि महिलाओं को क्यों दुर्गा या शक्ति का रुप कहा जाता है. ये तस्वीरें आपको बताएंगी कि महिलाओं से गलती
बीते शुक्रवार सीबीआई की विशेष अदालत ने जैसे ही राम रहीम को बलात्कार का दोषी घोषित किया, वैसे ही पंचकुला, सिरसा समेत हरियाणा के कई ज़िलों में हिंसा, आगजनी जैसी घटनायें सामने आने लगी. आलम ये था कि दंगाई, मीडिया कर्मियों और आम लोगों की भी निशाना बना रहे थे.उपद्रव के ऐसे माहौल में दंगाइयों को संभालना मुश
तेरी मुबहम दावेदारियां, सबब हैं,मेरी आदतन खुशगवारियों का,तूं जो यूं, करके जुल्फें परीशां,तूफां को दावते-जुनूं देती हो,अल्फाजों के सितारे बिखेर कर,कहकशां को बटुए में सहेज लेती हो,खूब दिखती हो, अच्छी लगती हो...।किसको गरज है खुलूस की आम
'' वकील साहब '' कुछ करो ,हम तो लुट गए ,पैसे-पैसे को मोहताज़ हो गए ,हमारी बेटी को मारकर वो तो बरी हो गए और हम .....तारीख दर तारीख अदालत के सामने गुहार लगाने के बावजूद कुछ नहीं कर पाए ,क्या वकील साहब अब कहीं इंसाफ नहीं है ? " रोते रोते उसने मेरे सामने अपनी बहन की दहेज़ हत
सेक्स से जुड़ा एक बहुत ही जरूरी शब्द है, ‘कंसेंट’. यानी सहमति, इजाजत. बोले तो परमीसन.रेप पर जब भी बहस हुई, ये सवाल हमेशा उठा कि हम किसे रेप कहें. किसी कम्बख्त ने ये भी कहा कि लड़कियों को रेप में मजा आता है. पति के जबरन सेक्स को हम आज भी रेप नहीं मानते. कहते हैं वो तो पत
मान लीजिए आप घर में अकेले हों. कोई आए, चाकू की नोक पर आपके पैसे लूट ले. फिर आपको बांधकर एक वीडियो दिखाए जिसमें किसी का खून किया जा रहा हो. सुकून से शूट किया गया. बड़ा सा वीडियो. क्या आप उस वीडियो को देख कहेंगे कि हां मेरा खून कर दो? या कोई आपको जबरन एक वीडियो दिखाए जिसमें किसी की टांगें तोड़ी जा रही ह
दुनिया 'मेन्स डे' नहीं मनाती। जो जानवरों से भी गया बीता हो, उसका दिन भला क्यों मनाया जाए। लोलुप, लम्पटों के साथ ऐसा ही होना चाहिए। किसी कामी पुरुष के 'एसएस' को सार्वजानिक कर दिखाना चाहिए कि देखो पुरुष ऐसे 'ही' होते हैं।कुछ साल पहले हाइकोर्ट में आए एक केस में घरवालों क
चली है लाठी डंडे लेकर भारतीय नारी , तोड़ेगी सारी बोतलें अब भारतीय नारी . ................................................ बहुत दिनों से सहते सहते बेदम हुई पड़ी थी , तोड़ेगी उनकी हड्डियां आज भारतीय नारी . .......................................................... लाता नहीं है एक भी तू पैसा कमाकर , क