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नारीवाद

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मैं नारी हूँ ,हाँ नारी हूँ।मत अबला,समझो मुझको,मैं सबपर ,भारी हूँ।हाँ नारी हूँ।मैं सकल,सृष्टि की उत्पादक,मैं ही ,दया,क्षमा,त्याग,ममता की मूरत,मैं सुता,मैं अर्धांगिनी,मैं ही हूँ पयस्विनी,नर दीपक,तो मैं

17/9/2022प्रिय डायरी,                  आज का शीर्षक है नारीवाद,      नारीवाद अवधारणा का आरंभ इस विश्वास के साथ होता है कि स्त्रियां पुर

नारीवाद~एक इंसान के तौर पर जब हम इस धरती पर आते है तो सबसे पहला सानिध्य जिससे होता है वो एक नारी है, एक बुभुक्षु के तौर पर हमें कराई गयी पहली क्षुधा पूर्ति का माध्यम एक नारी होती है , और तो और हमारे स

तूफानी लहरों सी बनी अब हम लड़कियां रोके  अब हमे न कोई रोक पाए ना डरे न घबराए बेझिझक ये आगे बढ़ती जाए अब हारना हमे मंजूर नहीं मुश्किलें जितनी आए हमारे हौसलों से मंजिल अब दूर नहीं कलियां हम फूल

नारी तू ही नारायणी,मां, जननी, जगदम्बा।नारी से होता संसार,नारी की महिमा अपार।।नारी होती है स्वयं शक्ति,होते हैं इसके विभिन्न रूप।जरूरत खुद पहचानने की,होते हैं क्या इसके स्वरूप।।नारी दुर्गा नारी ही शक्त

             ये जरूरी नहीं है कि हमें सिख सिर्फ विद्यालयों में शिक्षकों के द्वारा ही मिले , कई बार हमें जिंदगी में आयी मुस्किलों से भी मिल जाती हैं ।   &nb

मां से अदभुत है संसार,जन्मदायिनी मां ही होती।उंगली पकड़ चलना सिखाती,मां ये अदभुत काज सिखाती।।मां से अदभुत है संसार,प्रथम शिक्षिका मां ही होती।पढ़ना लिखना मां ही सिखाती,स्कूल का रास्ता वही दिखाती।।मां

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